भारत की गेहूं, धान खरीद नीति को अमेरिका ने बताया चिंताजनक
अमेरिका का कहना है कि भरत में गेहूं और धान की खेती करने वाले किसानों को सरकार से भारी सहायता मिलती है जिससे इन जिंसों के ‘व्यापार में विसंगतियां उत्पन्न होती है।
वॉशिंगटन। अमेरिका का कहना है कि भरत में गेहूं और धान की खेती करने वाले किसानों को सरकार से भारी सहायता मिलती है जिससे इन जिंसों के ‘व्यापार में विसंगतियां उत्पन्न होती है। उसने कहा है कि अन्य देशों को उनका व्यापार बिगाड़ने वाली भारत की इस नीति से चिंतित होना चाहिए।
अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (यूएसटीआर) के मुख्य कृषि वार्ताकार ग्रेगरी डॉड ने गुरुवार को अमेरिकी संसद की एक समिति की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
उन्होंने सांसदों से कहा, "दुनिया के हर धान या गेहूं उत्पादक देश को भारत की व्यापार बिगाड़ने वाली घरेलू समर्थन नीति के बारे में चिंता करनी चाहिये।"
डॉड ने आरोप लगाया कि अमेरिका का अनुमान है कि भारत ने 2010 से 2014 के दौरान अपने चावल उत्पादकों को उत्पादन मूल्य के 74 से 84.2 प्रतिशत तथा गेहूं उत्पादकों को 60.1 से 68.5 प्रतिशत के दायरे में समर्थन देता है। जबकि भारत को किसी जिंस के उत्पादन मूल्य के केवल 10 प्रतिशत तक समर्थन देने की अनुमति है।
पिछले पांच वर्षों में भारत ने 5.3 अरब डॉलर से 8 अरब डॉलर का धान निर्यात किया। यह दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है। इस दौरान, भारत का गेहूं निर्यात 7 करोड़ डॉलर से 1.9 अरब डालर के बीच रहा।
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