कंपनियों में उत्पादकता में उछाल के लिए कृत्रिम मेधा का उपयोग बड़ी चुनौती: Nilekani

Nilekani
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नंदन एम निलेकणि ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ता के लिए जिस तरीके से कृत्रिम मेधा का उपयोग है, वह कंपनियों के मामले में अलग है। उद्यमों के लिए अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के सामने आने में समय लगेगा और उनके लिए उत्पादकता में उछाल के लिए एआई के लाभ का उपयोग सबसे बड़ी चुनौती है।

नयी दिल्ली । इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन एम निलेकणि ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ता के लिए जिस तरीके से कृत्रिम मेधा का उपयोग है, वह कंपनियों के मामले में अलग है। उद्यमों के लिए अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के सामने आने में समय लगेगा और उनके लिए उत्पादकता में उछाल के लिए एआई के लाभ का उपयोग सबसे बड़ी चुनौती है। निलेकणि ने इन्फोसिस की 43वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में कहा कि एआई को लेकर शुरूआत में जो एक निराशावाद था, वह दूर हो गया है और लोगों ने स्वीकार कर लिया है कि यह किसी भी अन्य सामान्य-उद्देश्य वाली प्रौद्योगिकी... बिजली, परमाणु ऊर्जा, इंटरनेट आदि की तरह है। 

सृजन से जुड़ा (जनरेटिव) कृत्रिम मेधा (एआई) जब जिम्मेदारी की सीमाओं के भीतर आगे बढ़ता है तो इसमें अच्छाई की काफी संभावनाएं होती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया एआई विकास के अभी काफी शुरुआती चरण में है। उपभोक्ताओं से जुड़ा जो कृत्रिम मेधा है, वह तेजी से सामने आएगा। लेकिन इसके विपरीत उद्यमों के स्तर पर कृत्रिम मेधा का लाभ आने में कई साल लगेंगे। इन्फोसिस इस मामले में अच्छी स्थिति में है।’’ निलेकणि ने कहा, ‘‘जिस गति से हमारे चारों ओर सब कुछ विकसित हो रहा है वह चकित कर देने वाला है। हमारे समय की एक बड़ी चुनौती उद्यमों के लिए उत्पादकता में नये उछाल के लिए एआई के लाभ को सामने लाना है। 

हमने इस दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है...।’’ उन्होंने कहा कि शक्तिशाली ‘ओपन-सोर्स एआई मॉडल’ के उभरने से कठिन कारोबारी और सामाजिक चुनौतियों को हल करने के लिए कृत्रिम मेधा के उपयोग में भी तेजी ला दी है। निलेकणि ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हम उपयोग के स्तर पर आगे बढ़ेंगे, हजारों फूल खिलेंगे।’’ इन्फोसिस का दावा है कि उसने सृजन से जुड़े एआई के क्षेत्र में 2.5 लाख कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। निलेकणि ने कहा कि उपभोक्ता से जुड़े एआई से लाखों लोगों के लिए जीवन आसान और अधिक सार्थक होगा। 

जबकि दूसरी ओर, उद्यम के मामले में एआई बहुत अधिक जटिल है। उन्होंने कहा, ‘‘ एआई को लेकर कंपनियों के भीतर दशकों से चलन में मौजूद प्रौद्योगिकी में बदलाव की आवश्यकता होगी। चुनौती कंपनियों के अंदर व्यापक डेटा को इस तरह से व्यवस्थित करने की भी होगी कि इसका एआई द्वारा उपयोग किया जा सके...।’’ निलेकणि ने यह भी कहा कि हालांकि एआई को लेकर चिंताएं हैं, लेकिन जिम्मेदार एआई पर कोई वैश्विक पहल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हालांकि इन्फोसिस जिम्मेदार बनने और सॉफ्टवेयर विकास के समय गंभीरता से लेने के लिए प्रतिबद्ध है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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