थोक-मूल्य मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़ी
थोक-मूल्य मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 1.62 प्रतिशत पर पहुंच गयी। आलोच्य माह में खाद्य एवं विनिर्मित दोनों प्रकार के उत्पादों के मूल्यों में वृद्धि दर्ज की गयी।
थोक-मूल्य मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 1.62 प्रतिशत पर पहुंच गयी। यह इस तरह लगातार तीन महीने से बढ़ रही है। आलोच्य माह में खाद्य एवं विनिर्मित दोनों प्रकार के उत्पादों के मूल्यों में वृद्धि दर्ज की गयी। इससे पहले मंगलवार को घोषित आंकड़ों में जून में खुदरा मुद्रास्फीति भी बढ़कर 5.77 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका 22 महीने का उच्चतम स्तर है। मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने से आरबीआई की नौ अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर में कटौती की संभावना कम हुई है।
इस बार जून की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मई के 0.79 प्रतिशत और जून 2015 के शून्य से 2.13 प्रतिशत नीचे की तुलना में काफी ऊंची कही जा सकती है। आज जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक जून में खाद्य मुद्रास्फीति 8.18 प्रतिशत रही। ऐसा फल-सब्जी, अनाज और प्रोटीन संपन्न उत्पादों की ऊंची कीमत के कारण हुआ।
जून में सब्जियों की महंगाई दर उच्च स्तर पर बरकरार रही और यह बढ़कर 16.19 प्रतिशत रही। दाल की मुद्रास्फीति 26.61 प्रतिशत रही जबकि आलू जून पिछले साल इसी माह की तुलना में 64.48 प्रतिशत महंगा रहा। प्याज की कीमत से, हालांकि, थोड़ी राहत मिली और इस महीने इसकी महंगाई दर शून्य से 28.60 प्रतिशत नीचे रही। इसके अलावा ईंधन तथा बिजली की मुद्रास्फीति शून्य से 3.62 प्रतिशत और खनिज की कीमत शून्य से 20.75 प्रतिशत नीचे रही। विनिर्मित उत्पाद खंड में मुद्रास्फीति 1.17 प्रतिशत रही। आईडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा, ‘‘अगस्त में आरबीआई द्वारा मुख्य नीतिगत दर में कटौती निश्चित तौर पर नहीं होगी। आरबीआई काफी समय से यथास्थिति बरकार रख सकती है।’'
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