थोक मूल्य सूचकांक महंगाई बढ़कर 3.39 प्रतिशत
थोक मुद्रास्फीति में तीन महीने का गिरने का सिलसिला दिसंबर 2016 में टूट गया और यह बढ़कर 3.39 प्रतिशत हो गई। इसमें बढ़ोतरी की खास वजह विनिर्माण सामानों के दाम बढ़ना है।
थोक मुद्रास्फीति में तीन महीने का गिरने का सिलसिला दिसंबर 2016 में टूट गया और यह बढ़कर 3.39 प्रतिशत हो गई। इसमें बढ़ोतरी की खास वजह विनिर्माण सामानों के दाम बढ़ना है जबकि खाद्यों की कीमत कम हुई। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर के 3.15 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 3.39 प्रतिशत रही है। दिसंबर 2015 में यह शून्य से 1.06 प्रतिशत नीचे थी। दिसंबर में सब्जियों के थोक दाम एक साल पहले इसी माह की दुलना में 33.11 प्रतिशत कम थे। यह गिरावट खास कर प्याज के दामों में भारी कमी के चलते हुई है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में दालों की महंगाई दर 18.12 प्रतिशत ऊंचाई बनी रही। आलू सालना आधार पर 26.42 प्रतिशत महंगा रहा। जबकि अंडा, मांस-मछली के भाव 2.73 प्रतिशत ऊंचे रहे। कुल मिलाकर खाद्य सामग्रियों के दामों में स्थिरता देखी गई और नवंबर के 1.54 प्रतिशत महंगाई के मुकाबले दिसंबर में खाद्यों के दाम कुल मिला कर एक साल पहले से 0.70 प्रतिशत नीचे रहे। ईंधन और बिजली एवं विनिर्मित उत्पादों में महंगाई में कुछ बढ़ोतरी हुई जिससे दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में तेजी देखी गई है। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 3.67 प्रतिशत रही जो नवंबर में 3.20 प्रतिशत थी। इसी प्रकार ईंधन में महंगाई 8.65 प्रतिशत रही जो नवंबर में 7.07 प्रतिशत थी। चीनी में महंगाई का स्तर 28.04 प्रतिशत, पेट्रोल में 8.52 प्रतिशत और उच्च दक्षता डीजल में 20.25 प्रतिशत रहा। अक्तूबर की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा संशोधन के बाद 3.79 प्रतिशत हो गया है जो प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर 3.39 प्रतिशत था। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में 3.41 प्रतिशत रही है जो तीन साल का न्यूनतम है। रिजर्व बैंक ने इसे मार्च तक 5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। पिछले महीने रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मुद्रा नीति समिति ने ब्याज दरों को स्थिर रखा था।
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