माइक्रोआर्टिस्ट बनें, हुनर भी दिखाएं, पैसा भी कमाएं

मिताली जैन । Feb 8 2017 12:52PM

एक माइक्रोआर्टिस्ट का काम सिर्फ चीजों को छोटे रूप में पेश करना ही नहीं होता बल्कि उन्हें पेश करने के तरीके को इजाद करना भी उन्हीं का कार्य है। बतौर माइक्रोआर्टिस्ट आप भी अपना उज्ज्वल भविष्य देख सकते हैं।

आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि जीवन में कुछ बड़ा करके दिखाना चाहिए। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि शोहरत कमाने के लिए आपको कुछ बड़ा ही करना पड़े। कबीर जी ने भी कहा है− बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर। ऐसा ही क्षेत्र है माइक्रोआर्ट, जहां पर आप छोटी से छोटी चीज के जरिए अपने बड़े से बड़े सपने साकार कर सकते हैं। माइक्रोआर्ट एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां पर एक माइक्रो आर्टिस्ट एक चावल के दाने जैसी छोटी−सी चीज को भी अपना कैनवास बनाकर उस पर अपनी सभी कल्पनाएं उकेर देता है। अगर आपका रूझान भी कलात्मकता की ओर है तथा आप अपनी भावनाओं को सूक्ष्म रूप देना चाहते हैं तो बतौर माइक्रोआर्टिस्ट अपना उज्ज्वल भविष्य देख सकते हैं।

क्या होता है काम

माइक्रोआर्ट के अंतर्गत एक कलाकार अपनी सोच बेहद सूक्ष्म रूप में दुनिया के समक्ष पेश करता है। यह भारत की अपनी एक अद्वितीय प्राचीन कला है। पुराने समय में इस कला का प्रयोग गुप्त संदेश भेजने के लिए किया जाता था। हालांकि वर्तमान में, लोग अपने माइक्रोआर्ट की कला का प्रयोग करते हुए अपने घर की शोभा बढ़ाते हैं। वैसे तो माइक्रोआर्टिस्ट बनने के लिए केाई फिक्स फार्मूला नहीं होता। हर माइक्रोआर्टिस्ट चीजों को अपनी सोच व कल्पना के अनुसार देखता है और अपने काम को अंजाम देने के आवश्यक टूल्स भी वह खुद ही बनाता है। इसलिए एक माइक्रोआर्टिस्ट का काम सिर्फ चीजों को छोटे रूप में पेश करना ही नहीं होता बल्कि उन्हें पेश करने के तरीके को इजाद करना भी उन्हीं का कार्य है।

स्किल्स

एक माइक्रोआर्टिस्ट का कलात्मक रूप से जितना स्ट्रांग होना आवश्यक है, उतना ही उसका शारीरिक रूप से स्ट्रांग होना भी जरूरी है। एक माइक्रोआर्टिस्ट को अपने काम को अंजाम देने के लिए कई दिनों तक भी लगातार काम करना पड़ता है। इस प्रकार आपके भीतर कौशल के अतिरिक्त धैर्य भी होना चाहिए। इन सबके अतिरिक्त आपकी कला में रूचि होनी चाहिए। साथ ही ऑब्जर्वेशन स्किल अच्छे होने के साथ−साथ चीजों को देखने का नजरिया भी दूसरों से अलग होना चाहिए तभी आप अपनी कला को बेहद सूक्ष्म रूप में दुनिया के सामने पेश कर पाएंगे।

कोर्स व योग्यता

इस क्षेत्र में महारत प्राप्त करने के लिए कोई भी प्रोफेशनल कोर्स अभी तक भारत में उपलब्ध नहीं है लेकिन फिर भी ऐसे बहुत से रास्ते हैं, जिसके जरिए आप इस क्षेत्र में कदम रख सकते हैं। अगर आप माइक्रोआर्ट के क्षेत्र में अपना भविष्य देखते हैं तो आप फाइन आर्ट्स करने के बाद अपना कदम बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप सबसे पहले बैचलर इन फाइन आर्ट्स करके किसी एक्सपर्ट के अंडर काम कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो बीएफए करने के बाद एमएफए भी कर सकते हैं। वैसे भारत में कुछ माइक्रोआर्टिस्ट खुद भी वर्कशॉप्स व इवेंट्स ऑर्गेनाइज करते हैं, जहां पर माइक्रोआर्ट की बारीकियों के बारे में समझाया जाता है। आप वहां से भी काफी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

संभावनाएं

एक माइक्रोआर्टिस्ट सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अच्छी जॉब की तलाश कर सकते हैं। वहीं भारत में आप आर्ट फॉर्म ऑर्गेनाइजेशन जैसे गिफ्ट कंपनियों, एडवरटाइजिंग क्षेत्र इत्यादि में कफरियर देख सकते हैं। वहीं अगर आप चाहें तो खुद की अपनी माइक्रोआर्ट की शॉप खोल सकते हैं और स्थानीय व सैलानियों को अपना हुनर दिखाकर पैसा कमा सकते हैं। 

कमाई

इस क्षेत्र में आपकी कमाई आपके हुनर पर निर्भर करती है। एक माइक्रोआर्टिस्ट के रूप में आप शुरूआती दौर में पंद्रह से बीस हजार रूपए प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। लेकिन जब आपका काम लोगों को पसंद आने लगेगा और मार्केट में आपके काम की डिमांड बढ़ेगी तो आपकी कमाई की कोई सीमा नहीं रहेगी। आपका काम पसंद आने के बाद आप डेढ़ से दो लाख रूपए प्रतिमाह भी कमा सकते हैं। 

प्रमुख संस्थान

दिल्ली यूनिवर्सिटी, कॉलेज ऑफ आर्टस, दिल्ली

जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली

कला भवन, झारखंड

एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स, नोएडा

अपोलो आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, चेन्नई

सीनियर कॅरियर काउंसलर डॉ. संजीब कुमार आचार्य से बातचीत पर आधारित।

मिताली जैन

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