किसी विषय पर बहस कर रहे हैं तो इस तरह जीत सकते हैं

If you are debating a topic then you can win this way

कभी भी दो लोगों के विचार आपस में पूर्ण रूप से मिलें, ऐसा होना बेहद मुश्किल होता है। आमतौर पर, जब विचारों में मतभेद होता है तो दो लोगों के बीच बहस होना भी बेहद आम बात है।

कभी भी दो लोगों के विचार आपस में पूर्ण रूप से मिलें, ऐसा होना बेहद मुश्किल होता है। आमतौर पर, जब विचारों में मतभेद होता है तो दो लोगों के बीच बहस होना भी बेहद आम बात है। कभी−कभी बात इतनी हद तक बढ़ जाती है कि एक आम बहस बड़ी लड़ाई का रूप ले लेती है। जब भी बहस होती है तो दोनों पक्ष यही चाहते हैं कि जीत उन्हीं की हो। फिर चाहे बहस परिवार के सदस्य से हो या ऑफिस में कुलीग से। वैसे बिना दूसरे का दिल दुखाए किसी भी बहस को जीतना भी वास्तव में एक कला है। तो आईए जानते हैं इस तरीके के बारे में−

सुनना सीखें

किसी भी बहस को जीतने का एक मूलमंत्र बोलना नहीं बल्कि सुनना है। किसी भी बहस में प्रत्येक पक्ष पहले अपनी बात को रखना चाहता है। ऐसे में कोई भी दूसरे के प्वाइंट ऑफ व्यू को समझ नहीं पाता और बहस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचती। इस स्थिति से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सबसे पहले शांतिपूर्वक दूसरे की बात सुनें। जब आप दूसरे का पक्ष शांति से सुनेंगे तब सामने वाला व्यक्ति काफी हद तक शांत हो जाएगा और फिर आप भी उसे अपना पक्ष समझा पाएंगे। जब आप एक−दूसरे के नजरिए को समझ जाएंगे, तब आपकी बहस खुद−ब−खुद खत्म हो जाएगी।

समझें शारीरिक भाषा

ऐसा जरूरी नहीं है कि आपका प्रतिद्वंद्वी आपको सिर्फ बोलकर ही अपना पक्ष समझाए। कभी−कभी उसकी बॉडी लैंग्वेज भी बहुत कुछ बयां करती है। सबसे पहले आप उसे समझने का प्रयास करें। साथ ही आप उसकी बॉडी लैंग्वेज की कॉपी भी कर सकते हैं। मसलन, अगर आपका प्रतिद्वंद्वी क्रॉस−लेग करके बैठा हुआ है तो आप भी ऐसा ही कर सकते हैं। लेकिन हर मूवमेंट को कॉपी न करें। यह देखने में न सिर्फ अननेचुरल लगता है, बल्कि इससे बहस बढ़ने की संभावना भी रहती है।

आई कॉन्टैक्ट

जब भी आप किसी से बात करें तो अपना आई कॉन्टैक्ट बनाकर रखें। जब आप किसी की आंखों में आंखें मिलाकर बात करते हैं तो इससे आपकी बातों में आत्मविश्वास झलकता है। साथ ही आपका आत्मविश्वास सामने वाला व्यक्ति भी महसूस कर पाता है और वह आसानी से आपकी बातों पर भरोसा करता है। 

नीची रखें आवाज

आमतौर पर देखने में आता है कि जब भी किसी की बहस होती है तो उसकी आवाज खुद−ब−खुद तेज हो जाती है। ऑर्गूमेंट का यह तरीका न केवल गलत है, बल्कि इससे आप अपना प्वाइंट ऑफ व्यू भी दूसरों को नहीं समझा पाते। बहस के दौरान हमेशा अपने माइंड को कंट्रोल रखें तथा अपने गुस्से व डर को खुद पर हावी न होने दें। याद रखें कि आपकी आवाज नहीं बल्कि शब्दों में वजन होना चाहिए।

न अपनाएं साइलेंस

जब भी पति−पत्नी में बहस होती है तो अक्सर महिलाएं अपनी बात मनवाने के लिए साइलेंस का सहारा लेती है। लेकिन यह अप्रोच बेहद गलत है। नकारात्मक चुप्पी आपके रिश्ते को अंदर से खोखला बनाती है। ऐसा करने से भले ही आप अपनी बात मनवा लेती हो लेकिन इससे आपके रिश्ते में दरार आती है। इसलिए कभी भी अपनी बात मनवाने के लिए नकारात्मक रवैया इख्तियार न करें। एक हेल्दी बातचीत न सिर्फ आपके रिश्ते को मजबूत बनाती है, बल्कि इससे आप अपनी बात भी आसानी से मनवा सकते हैं।

- वरूण क्वात्रा

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