क्या आप भी मंहगा सामान ईएमआई पर खरीदतें हैं, तो जानें बेहतर विकल्प

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फाइनेंस कंपनियों के एक्सपर्ट की मानें तो जब आप बैंक से लोन की ईएमआई भरते हैं तब आप मूलधन के साथ-साथ ब्याज भी भरते हैं। वहीं जब आप म्यूचुअल फंड की एसआईपी भरते हैं तब आप अपने मूलधन पर अच्छा खासा ब्याज पाते हैं।

आजकल जैसे-जैसे लोगों का लाइफस्टाइल बेहतर हुआ है, लोगों कि ज़रूरतें भी उसी हिसाब से हो गईं हैं। हर वर्ग के लोग अपने हिसाब से महंगा सामान खरीद रहें हैं। यही वजह है कि अब सभी लोग ज्यादातर ज़रूरत का सामान ईएमआई पर खरीद रहें हैं। लेकिन लोगों में इस बात का कन्फ्यूज़न है की ईएमआई ऑप्शन सही है या एसआईपी अपनाएं। आज की युवा पीढ़ी खरीदारी के लिए लोन का सहारा ज्यादा लेती है। लेकिन ईएमआई व एसआईपी में से कौन सा ऑप्शन बेस्ट है, यह आज हम आपको बताने जा रहें हैं।

फाइनेंस कंपनियों के एक्सपर्ट की मानें तो जब आप बैंक से लोन की ईएमआई भरते हैं तब आप मूलधन के साथ-साथ ब्याज भी भरते हैं। वहीं जब आप म्यूचुअल फंड की एसआईपी भरते हैं तब आप अपने मूलधन पर अच्छा खासा ब्याज पाते हैं। साथ ही, आप अपनी लिक्विडिटी को भी बरकरार रख पाते हैं क्योंकि एसआईपी को आप कभी भी रोक या तोड़ सकतें हैं और मात्र तीन दिन में पैसा अकाउंट में पा सकते हैं। जबकि ईएमआई में ऐसा नहीं होता है।

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जब आप लोन लेते हैं तो कुछ एडजस्टमेंट करते हैं

जब भी आप कोई लोन लेते हैं, आप हर महीने किस्तों के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं। यह एक निश्चित ब्याज दर के आधार पर लंबी व छोटी अवधि के लिए होते हैं जो बैंक या ऋणदाता आपसे वसूल करता है। इसके साथ ही आप अपने बजट में भी कुछ निश्चित एडजस्टमेंट करते हैं। जैसे कि आप अपने दूसरे खर्चों में कटौती कर सकते हैं लेकिन आप अपनी मासिक ईएमआई को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। आप नए खर्चे करने से पहले हर बार अपनी ईएमआई के बारे में सोचेंगे कि क्या आप मौजूदा खर्चों के साथ मैनेज कर पाएंगे या नहीं। 

और एसआईपी में पैसे जुड़ते हैं

जहां लोन में ईएमआई चुकानी होती है वहीं दूसरी ओर, एसआईपी यानि सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में पैसे जोड़े जाते हैं। म्यूच्यूअल फंड की योजना में आप कुछ जोड़ना शुरू करते हैं जिसका आसान मासिक योगदान 500 रुपए भी हो सकता है। यही वजह है कि यह निवेश का एक लोकप्रिय विकल्प है। कोई भी व्यक्ति अपने कई निर्धारित आर्थिक लक्ष्यों को म्यूच्युअल फंड की एसआईपी द्वारा पूरा कर सकता है।

खरीदने से पहले बनाएं प्लान

एक्सपर्ट कहते हैं कि कोई भी खरीदारी यदि तरीके से की जाए तो वह फायदेमंद साबित होती है। यदि आप पहले से ही योजना बना लें तो आप एक अच्छी राशि की बचत कर सकते हैं। साथ ही यह आपको लिक्विडिटी भी प्रदान करता है और बचत की आदत भी डालता है। 

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ईएमआई या एसआईपी में से कौन सा विकल्प सही ?

यदि बात करें दोनों में से बेहतर विकल्प की तो ईएमआई के केस में, यदि आप ईएमआई का भुगतान किसी एसेट के निर्माण में कर रहे हैं तो इसे अच्छा माना जाएगा जैसे की होम लोन, क्योंकि आप इस ईएमआई पर ब्याज का भुगतान कर रहें हैं। इसलिए, कोई भी ईएमआई जिसका भुगतान होम लोन के लिए किया जा रहा है तो वह सही है। कार लोन, पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए दी जाने वाली ईएमआई सही नहीं है क्योंकि आपको उसकी मूल राशि पर अधिक ब्याज देना पड़ता है। साथ ही, आपने जो सामान लिया है, उसकी कीमत भी समय के साथ कम होती जाती है। दूसरी तरफ, जब आप एसआईपी के ज़रिये म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप अपने खुद के खर्चों पर कंट्रोल करके असेट का निर्माण करते हैं जो कि जीवन में आपके आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करती है।

दोनों में से किसे चुनें ?

एक उदाहरण से समझतें हैं- यदि अगले साल आप आपने अपने घर के लिए एक नया टीवी या वाशिंग मशीन खरीदने की योजना बना रहे है जिसकी कीमत तक़रीबन 85,000 रुपए है। एक विकल्प ये है कि आपने इसे खरीदने की योजना बनाई और अगले साल क्रेडिट कार्ड या कंस्यूमर लोन का इस्तेमाल करके इसे खरीद लेते हैं। मान लेते हैं आप 12 से 15 फीसदी (हर बैंक में अलग-अलग) ब्याज पर 12 महीने की मासिक किश्त बनवाते हैं। ऐसा करने पर, आप लगभग 90,626 रुपए का भुगतान करेंगे। लेकिन, अगर आप आज ही 5,000-6,000 प्रति महीने की एसआईपी कर लेते हैं तो आप अपने लक्ष्य को लगभग अगले 12 महीने में पूरा कर सकते हैं। यहां हमने रिटर्न्स को 10% माना है, जो कि कम-ज़यादा हो सकता है।

- शैव्या शुक्ला

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