ब्रह्मांड के रहस्यों में है रुचि तो बनिए एस्ट्रोनोमर

मिताली जैन । Nov 29 2016 3:20PM

एक खगोल विज्ञानी का मुख्य काम वेधशालाओं और उपग्रहों का विश्लेषण करके जानकारी इकट्ठा करना होता है। बाद में एस्ट्रोनोमर अपनी जानकारी की सहायता से रिपोर्ट तैयार करता है।

विज्ञानों में से अंतरिक्ष विज्ञान सबसे प्राचीन है। खगोल विज्ञानी हमेशा ही ब्रह्मांड में छिपे रहस्यों को जानने में लगे रहते हैं। लेकिन फिर ब्रह्मांड इतना विस्तृत है कि इसके बारे में जितना भी जानें, उतना कम है। अगर आप ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में रूचि रखते हैं तो बतौर एस्ट्रोनोमर अपना एक सफल भविष्य देख सकते हैं। 

क्या होता है काम

एक खगोल विज्ञानी का मुख्य काम वेधशालाओं और उपग्रहों का विश्लेषण करके जानकारी इकट्ठा करना होता है। बाद में एस्ट्रोनोमर अपनी जानकारी की सहायता से रिपोर्ट तैयार करता है। वह यह जानकारी जुटाने के लिए टेलीस्कोप व अन्य उपकरणों का सहारा लेता है तथा उस जानकारी की सहायता से उपग्रह संचार, नेविगेशन व अंतरिक्ष उड़ान में आने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। उनका काम खगोलीय पिंडो व पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर ब्रह्मांड का अध्ययन करने से जुड़ा होता है। खगोल विज्ञान के कई उपक्षेत्र भी होते हैं, जिनके आधार पर इनके कार्य को डिवाइड किया जाता है तथा कई शाखाओं में विभाजित खगोल विज्ञान ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में मदद करता है। 

स्किल्स

एक खगोल विज्ञानी बनने के लिए आपके भीतर जिज्ञासा, उत्साह व एकाग्रता का होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त उनमें उच्च कल्पना, दृढ़ता, समस्या सुलझाने और विश्लेषणात्मक कौशल भी होना चाहिए। साथ ही उनमें गणितीय व कंप्यूटर कौशल उनके काम को आसान बनाता है। चूंकि उन्हें लंबे समय व अनियमित घंटों तक काम करना पड़ता है, इसलिए उनमें धैर्य भी होना चाहिए। उनमें उत्कृष्ट मौखिक व लिखित संचार कौशल से काम के समय पर काफी आसानी होती है क्योंकि उन्हें एक टीम में काम करना पड़ता है। उन्हें वैज्ञानिक घटनाओं को समझने में सक्षम होना चाहिए। साथ ही अपने काम के दौरान इस्तेमाल में आने वाले सभी उपकरणों के बेहतर प्रयोग की जानकरी होना भी बेहद आवश्यक है। 

योग्यता

जो छात्र इस क्षेत्र को चुनते हैं, उन्हें 12वीं में विज्ञान विषय खासतौर से फिजिक्स व मैथ्स का होना अनिवार्य है। हालांकि कुछ विश्वविद्यालय एस्ट्रोनॉमी में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम भी कंडक्ट करते हैं, लेकिन आमतौर पर ऐसा कम ही होता है। आप भौतिकी या खगोल विज्ञान में मास्टर डिग्री की प्राप्त करने के बाद एस्टोनॉमी में पीएचडी कर सकते हैं। अगर खगोल विज्ञान में रिसर्च करना चाहते हैं तो आपका पीएचडी करना अनिवार्य है। पीएचडी करने के लिए पहले आपको एक संयुक्त प्रवेश स्क्रीनिंग टेस्ट देना होगा। इंस्ट्रूमेंटेशन खगोल विज्ञान में भविष्य देख रहे छात्र बारहवीं के बाद बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग करके इस क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं।

संभावनाएं

एक खगोल विज्ञानी विभिन्न सरकारी क्षेत्रों जैसे रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, आदि के लिए काम कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह बिजली और इलेक्टॉनिक उपकरण निर्माताओं के लिए भी काम कर सकता है। उनके लिए कर्मिशयल, नॉन कमर्शियल रिसर्च, विकास और परीक्षण प्रयोगशाला, वेधशालाओं, तारामंडल व विज्ञान पार्क में भी काम के रास्ते खुले होते हैं। आप चाहें तो इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी आदि के साथ भी जुड़ सकते हैं। 


आमदनी

इस क्षेत्र में आपका पारिश्रमिक संगठन, आपके अनुभव व काम के पहलुओं पर निर्भर करता है। अनुसंधान कार्य में आप शुरूआती दौर में 10000 से 15000 रूपए मासिक आसानी से कमा सकते हैं। वहीं सरकारी निकाय और अनुसंधान संस्थान खगोलविदों को उच्च वेतन के साथ−साथ अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। 

प्रमुख संस्थान

उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद।

इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस, बैंगलोर।

रमन रिसर्च इंस्टीटयूट, बैंगलोर।

इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे।

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीटयूट ऑफ ऑर्ब्जवेशनल साइंस, उत्तराखंड।

मिताली जैन

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