बायोइन्फॉरमेटिक्स क्षेत्र में खूब अवसर उपलब्ध हैं नौकरी के

अमित भंडारी । Apr 11 2017 12:51PM

आमतौर पर लोगों में धारणा है कि बायोइनफारमेटिक्स का क्षेत्र बायोटेक्नालाजी का ही हिस्सा है। कुछ हद तक ये सही भी है। लेकिन इसमें कार्य करने की प्रक्रिया बिलकुल अलग है।

अगर आप एक ही शाखा के अंतर्गत बहुआयामी विषय पर काम करने का शौक रखते हैं तो बायोइनफारमेटिक्स के क्षेत्र में कॅरियर बनाएं। यहां आप को जीव विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक साथ काम करने का मौका मिलेगा। बायोइनफारमेटिक्स बनने के इच्छुक अभ्यर्थी को साइंस विषयों में 12वीं पास होना आवश्यक है।

आमतौर पर लोगों में धारणा है कि बायोइनफारमेटिक्स का क्षेत्र बायोटेक्नालाजी का ही हिस्सा है। कुछ हद तक ये सही भी है। लेकिन इसमें कार्य करने की प्रक्रिया बिलकुल अलग है। दरअसल यह जीव विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी से मिलकर बना एक नया बहुआयामी विषय है। इसके अंतर्गत जैविक सूचनाओं मसलन आरएनए/डीएनए, न्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन संरचना आदि का कम्प्यूटर की मदद से डाटाबेस तैयार किया जाता है। इस डाटाबेस का उपयोग सामान्य कोशिकीय क्रियाओं के व्यापक प्रस्तुतीकरण में किया जाता है। इससे शोधकर्ताओं को उनके अनुसंधानों में सहायता मिलती है। इन जैविक सूचनाओं का उपयोग रोग के लक्षण पहचानने तथा चिकित्सा में भी किया जाता है।

बायोइनफारमेटिक्स ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिए पशु के रोग की जैविक सूचना के आधार पर शोधकर्ता मानव में उस रोग की प्रगति तथा उसके रोकथाम के बारे में निष्कर्ष निकाल सकते हैं। हालांकि मानव और पशुओं के रोगों में एकदम समानता नहीं होती है। यही कारण है कि फार्मास्यूटिकल उद्योग की रूचि जीनोम अनुक्रमिक योजनाओं में बढ़ी है। लिहाजा विभिन्न फार्मास्यूटिकल कंपनियों, बायोटेक्नोलाजी और उससे संबंधित उद्योगों में बड़े−बड़े बायोइनफारमेटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिवीजन स्थापित किए जा रहे हैं। फक्टानल, जीनोमिक्स, बाईमोलीकुलर, संरचना प्रोटीन संश्लेषण, शैल मेटाबोलिजमा, जैवविविधता ड्रग डिजाइन, वेक्सीन डिजाइन आदि का बायोइनफारमेटिक्स एक अभिन्न अंग है।

बायोइनफारमेटिक्स के क्षेत्र में स्थापित होने के लिए अभ्यर्थी को जीव विज्ञान के साथ−साथ मल्टीमीडिया डाटाबेस, डाटा एनालिसिस के टूल्स, मालीक्युलर माडलिंग, वेब इंटरफेस डिजाइन, डाटा माइनिंग, यूनिक्स, वर्चुअल रिएलिटी सिस्टम और इंटलसेट का बेहतर ज्ञान होना आवश्यक है। एक बायोइनफारमेटिक्स वैज्ञानिक की पूरी दुनिया में भारी मांग है। इसलिए वह देश−विदेश के जिस कोने में चाहें, वहां नौकरी उनकी प्रतिक्षा करती रहती है।

बायोइनफारमेटिक्स अभी विद्यार्थियों के बीच लोकप्रिय नहीं हुआ है। इस कारण शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों की संख्या भी काफी कम है। नेशनल बायोइनफारमेटिक्स इंस्टीट्यूट और पुणे विश्वविद्यालय बायोइनफारमेटिक्स से अधिक जानकारी ली जा सकती है।

अमित भंडारी

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