घर और दफ्तर में बखूबी तालमेल स्थापित कर रही है नारी

चेतना धामा । Mar 8 2017 11:44AM

देश दुनिया की खबर रखती आज की नारी घर और दफ्तर में बखूबी तालमेल स्थापित कर रही है। समय के साथ खुद को अपडेट करती हुई अपनी बेटी को भी स्वावलंबी बना रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) एक वैश्विक दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का उत्सव माना गया है। आज जब विश्व इक्कीसवीं सदी में जा रहा है और चारों तरफ परिवर्तनों, विकास की भाग-दौड़ मची है, ऐसे में सभी एक दूसरे से आगे निकलना चाह रहे हैं। सामाजिकता, पारिवारिकता व्यक्तिवाद में सिमटती जा रही है। इसमें मातृत्व शक्ति की भूमिका व स्थिति क्या है इस पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।

यदि हम अपने चारों ओर देखें तो कल की चहार दीवारी के अन्दर की लज्जाशील, लम्बा घूंघट निकालने वाली महिला का स्थान आधुनिक और प्रत्येक क्षेत्र में कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाली नारी शक्ति ने ले लिया है। शिक्षा, चिकित्सा, इन्जीनियरिंग, सेना, खेल, व्यापार, नीति-निर्धारण, धर्म-साहित्य, राजनीति, प्रौद्योगिकी आदि प्रत्येक क्षेत्र में आज नारी को बढ़ता हुआ देखा जा सकता है।

हमारे देश में ही विश्व की सबसे प्राचीनतम कृति वेदों मे कहा गया है- ‘‘जो सृष्टि कर्त्ता की ओर से दुर्लभ उपहार है। माँ शक्ति, भक्ति व श्रद्धा की आराध्य हैं। दुनिया की सबसे बड़ी धरती है। प्रथम प्रणाम की अधिकारी है। माँ ममता की अनमोल दास्तान है। आधी से अधिक उसके पास शक्ति है। आधी तो स्वयं नारियां हैं और बच्चे जो उनकी छाया में पलते हैं। अब नारी चाहे जैसा अपनी सन्तान को बना सकती है।’’ नारी को कितना महत्व दिया गया है हमारे वेदों में यह उपयुक्त पंक्तियों से स्पष्ट है।

आज की महिला पुरुषों से पीछे नहीं है बल्कि कंधे से कंधा मिला कर देश की सुरक्षा और उन्नति में सहायक है। देश की सुरक्षा सबसे अहम होती है तो इस क्षेत्र में आखिर महिलाओं की भागीदारी को कम क्यों आंका जाए। देश की मिसाइल सुरक्षा की कड़ी में 5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल का जिस महिला ने सफल परीक्षण कर पूरे विश्व मानचित्र पर भारत का नाम रौशन किया है, वह हैं टेसी थॉमस। डॉ. टेसी थॉमस को कुछ लोग ‘मिसाइल वूमन’ कहते हैं, तो कई उन्हें ‘अग्नि-पुत्री’ का खिताब देते हैं। टेसी थॉमस पहली भारतीय महिला हैं, जो देश की मिसाइल प्रोजेक्ट को संभाल रही हैं। टेसी थॉमस ने इस कामयाबी को यूं ही नहीं हासिल किया, बल्कि इसके लिए उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ा।

भारत में महिलाओं की स्थिति को बदलने में कई महान महिलाओं (विजया लक्ष्मी पंडित, सरोजनी नायडू, एनी बेसेंट, महादेवी वर्मा, मदर टेरेसा, पीटी उषा, पद्मजा नायडू, कल्पना चावला, अरुणा आसफ अली, आदि) का हाथ है। भारत के एक प्रधानमंत्री के रूप में श्रीमती इंदिरा गाँधी के आने के बाद महिलाओं की स्थिति में बहुत सकारात्मक बदलाव आया था। वह दुनिया भर में प्रसिद्ध महिला थीं। उनके बाद भी कई महिलाओं ने भारत में प्रतिष्ठित पद हासिल कर साबित कर दिया कि महिलाएं पुरुषों के साथ साथ कार्य कर सकती हैं।

महिलाओं की सुरक्षा के बारे में और अपराध को कम करने के लिए, भारत सरकार ने किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) विधेयक, 2015 पारित कर दिया है। यह 2000 के पहले भारतीय बाल अपराध कानून की जगह आया है। इस विधेयक को विशेष रूप से निर्भया मामले के बाद लाया गया था। इसके अधिनियम के अनुसार, किशोर उम्र को जघन्य अपराधों के मामलों में 18 वर्ष से 16 वर्ष किया गया है। सेक्शन 15 के अंतर्गत 16-18 आयुवर्ग में जघन्य अपराध करने वाले किशोर अपराधियों से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। यह कानून बनने से बच्चों द्वारा किए जाने वाले बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी और पीड़ित के अधिकारों की रक्षा होगी।

पूरे देश में समान नंबर 181 के साथ महिला हेल्पलाइन बनाने का प्रस्ताव है। यह हेल्पलाइन महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित किए जाने वाले वन स्टॉप सेंटर से जुड़ेगी। अभी तक 21 राज्यों को वित्तीय सहायता दी गई है और ये हेल्पलाइन चालू हो गई है। नारी की साहसिक यात्रा अपने आकाश के साथ स्वतंत्रता की सांस ले रही है। आज महिलाएं फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स  पर अपनी बातें शेयर कर रही हैं। देश दुनिया की खबर रखती आज की नारी घर और दफ्तर में बखूबी तालमेल स्थापित कर रही है। समय के साथ खुद को अपडेट करती हुई अपनी बेटी को भी स्वावलंबी बना रही हैं।

वर्तमान सदी चूँकि महिला सदी है, इसलिए महिलाओं को अपनी सार्थकता सिद्ध करनी है। नारी परिवार की धुरी है। उस पर ही परिवार की स्थिति-अवस्थिति का चक्र निर्भर करता है। उसको अपनी धुरी होने की सार्थकता दर्शानी है। अपने आधार होने को प्रमाणित करना है। कहा जाता है कि नारी से परिवार, परिवार से समाज और समाज से देश सशक्त बनता है। कार्य की सफलता के लिए भारतीय नारी सदैव ही आवश्यक मानी जाती रही है। मनुस्मृति तो कार्य की सफलता ही नारी की स्थिति पर निर्भर दिखलाती है-

यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवताः

यत्र नार्युस्तु न पूजयन्ते तत्र सर्वा क्रिया अफलाः भवति।

अर्थात् जहाँ नारियों की पूजा होती है। देवता निवास करते हैं और जहाँ नारियों का अनादर होता है वहां सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं।

8 मार्च  को मनाये जा रहे महिला दिवस पर समस्त नारी जगत को निम्न पंक्तियों के साथ हार्दिक बधाईः-


मानवता की मूर्तीवती, तू भव्य-भूषण भंडार।

दया, क्षमा, ममता की आकार, विश्व प्रेम की है आधार।।

- चेतना धामा

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