5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो कठिन लक्ष्य, लेकिन ''मोदी है तो मुमकिन है''

5-trillion-dollar-economy-is-a-tough-target

आज अगर हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना भी देख पा रहे हैं तो यह भी बड़ी बात है क्योंकि एक समय ऐसा भी था जब इस देश ने गरीबी में ही रहना सीख लिया था, खर्चे कम करके जीवनयापन के गुर सिखाये जाते थे।

नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब देश की सत्ता संभाली थी तो उन्होंने निराशा के दौर से गुजर रहे भारत में एक नया विश्वास जगाया था जिससे देश पांच सालों के दौरान उठ खड़ा हुआ। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में भारत में हर क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व परिवर्तन और विकास ने पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया। अब 2019 में जब मोदी पहले से ज्यादा ताकत के साथ सत्ता में आये हैं तो उन्होंने देश को सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया और इस संकल्प की सिद्धि के लिए पहले दिन से ही प्रयास शुरू कर दिये। 2019 का आम बजट देश में अगले 10 वर्षों में होने वाले विकास की आधार रेखा है साथ ही यह सरकार के दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करता है।

वो जो सामने मुश्किलों का अंबार है, उसी से तो मेरे हौसलों की मीनार है

मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को आगामी पाँच वर्षों में बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य एक कठिन चुनौती जरूर है लेकिन हम कह सकते हैं कि 'मोदी है तो मुमकिन है'। यह लक्ष्य कठिन चुनौती जरूर है लेकिन देशवासियों को सबसे आगे बढ़ने और सबसे बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करती है। आज अगर हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना भी देख पा रहे हैं तो यह भी बड़ी बात है क्योंकि एक समय ऐसा भी था जब इस देश ने गरीबी में ही रहना सीख लिया था, खर्चे कम करके जीवनयापन के गुर सिखाये जाते थे। लेकिन यह वाकई न्यू इंडिया है जो कम आय और सीमित खर्चे में गुजारा नहीं करेगा बल्कि ज्यादा आय और ज्यादा खर्चे करके एक अच्छी जीवनशैली जीयेगा।

दौड़ना ही तो न्यू इंडिया का सरोकार है

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का जो दायरा होता है उसके अनुसार वहां के नागरिकों के हिस्से में विकास या संसाधनों का हिस्सा आता है। प्रधानमंत्री ने इसे बड़े सरल तरीके से समझाते हुए कहा है- अंग्रेजी में एक कहावत है कि size of the cake matters, यानि जितना बड़ा केक होगा उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों को मिलेगा। यानि साफ है कि अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी जितना बड़ा होगा, देश की समृद्धि भी उतनी ही ज्यादा होगी। अर्थव्यवस्था बड़ी होगी तो देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी, प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी तो उसकी खरीद क्षमता बढ़ेगी, खरीद क्षमता बढ़ेगी तो सेवा का विस्तार होगा, सेवा का विस्तार होगा तो रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे।

नए संकल्प और नए सपने लेकर आगे बढ़ना ही मुश्किलों से मुक्ति का मार्ग है

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करना सिर्फ कागजी घोषणा भर नहीं है। इस लक्ष्य को साधने के लिए आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं का जिक्र किया है। इन बिंदुओं में शामिल हैं- बुनियादी ढांचे में भारी निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार सृजन और लोगों की आशा, विश्वास तथा उनका सहयोग। भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि वर्ष 2014 में हमारी अर्थव्यवस्था का आकार 1.8 ट्रिलियन डॉलर था जोकि पिछले पांच वर्षों में बढ़कर 2019 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। अब सरकार इसे बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना चाहती है यानि अगले पांच वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना करने का एक बड़ा लक्ष्य रखा गया है। साफ है कि अब विश्व का सबसे युवा देश भारत विकसित देश बनने के लिए लंबा इंतजार करने के मूड में नहीं है।

21वीं सदी का न्यू इंडिया

आम बजट का सीमित शब्दों में विश्लेषण किया जाये तो कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने जो अंतरिम बजट पेश किया था उसको पूरी तरह लोकलुभावन रखा था लेकिन चुनावों में बंपर जीत के बाद सिर्फ और सिर्फ विकास पर ही ध्यान दिया गया है। भाजपा को जो अप्रत्याशित जीत मिली थी उसके चलते समाज के सभी वर्गों की अपेक्षाएं बढ़ी हुई थीं लेकिन सरकार ने लोकलुभावन फैसले करने की बजाय राजकोषीय स्थिति मजबूत करने और देश के विकास की रफ्तार बढ़ाने पर ही पूरा ध्यान केंद्रित किया। किसानों की खराब हालत और बढ़ती बेरोजगारी जैसी अहम समस्याओं पर भी काबू पाने के लिए किसानों को सम्मान निधि के साथ ही उन्हें पोषक से निर्यातक बनाने का लक्ष्य रखा गया है। छोटे और मंझोले उद्योगों को करों से राहत और स्टार्ट अप के लिए कई राहत भरे ऐलान आदि दर्शाते हैं कि सरकार उद्यमिता को बढ़ावा देने और मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। सरकार का बड़ा बिल पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर खर्च होता है इसीलिए इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहन के लिए बजट में बड़ी घोषणा की गयी है। पेट्रोल-डीजल के वाहनों की बजाय यदि इलेक्ट्रिक और सीएनजी आधारित वाहन ही होंगे तो आयात खर्च कम होगा साथ ही जलवायु पर भी अच्छा असर होगा।

बहरहाल, जो लोग कह रहे हैं कि मध्यम वर्ग को कुछ नहीं मिला है तो उन्हें यह देखना चाहिए कि चार महीने पहले अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग और किसानों को ही सबसे ज्यादा राहत दी गयी थी। मध्यम वर्ग का घर का सपना पूरा करने के लिए होम लोन में कर छूट बढ़ा दी गयी है। अमीर लोगों पर जो कर का दायरा बढ़ा है उसकी आलोचना गलत है जरा पश्चिमी देशों में खासकर अमेरिका में जाकर देखिये वहां के अमीर सरकारों से खुद मांग करते हैं कि उन पर और कर लगाया जाये। वैसे भी जो अमीर बने हैं उन्होंने यहीं के संसाधनों से अपना खजाना भरा है। आम बजट में स्वच्छता, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने के साथ ही समावेशी विकास पर जोर दिया गया है और कहा जा सकता है कि वर्तमान परिस्थितियों में यह पूर्ण रूप से संतुलित बजट है। उद्योग जगत की बड़ी हस्तियों ने बजट पर जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है वह दर्शाती है कि इंडिया.इंक सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर विकास की रफ्तार बढ़ाने को तैयार है।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़