एक बार फिर इतिहास रचने की ओर बढ़ चला अमेरिका
हैरानी वाली बात यह है कि अमेरिका जोकि हर मायने में दुनिया की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है वहाँ किसी महिला को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने में इतने वर्ष लग गये।
अमेरिका ने ब्रिटिश शासकों से तो मुक्ति चार जुलाई 1776 को ही पा ली थी और देश की महिलाओं को मताधिकार भी 96 साल पहले मिल गया था लेकिन किसी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का मौका 2016 में मिल पाया। आठ साल पहले पहली बार किसी अश्वेत को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर डेमोक्रेटिक पार्टी ने अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में जो एक नया अध्याय जोड़ा था उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पार्टी ने पहली बार किसी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक बार फिर नया इतिहास रच दिया है। हैरानी वाली बात यह है कि अमेरिका जोकि हर मायने में दुनिया की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है वहाँ किसी महिला को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने में इतने वर्ष लग गये जबकि दूसरे कई अन्य देश हैं जहाँ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री का पद महिलाएँ दशकों पहले से संभाल रही हैं। हिलेरी क्लिंटन को आठ नवंबर को होने वाले चुनाव में यदि चुन लिया जाता है तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति एवं पहली महिला कमांडर इन चीफ बनेंगी। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी हासिल करने के साथ ही हिलेरी का मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप से होना तय हो गया है।
विदेश मंत्री, प्रथम महिला एवं न्यूयॉर्क से सीनेटर रह चुकीं हिलेरी ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं दुनिया भर की महिलाओं में नयी उम्मीद जगायी है। वह आठ साल पहले भी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में थीं लेकिन तब बराक ओबामा से पिछड़ गयी थीं। बावजूद इसके वह निराश नहीं हुईं और ओबामा के बतौर राष्ट्रपति पहले कार्यकाल में उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला और बाद में वह अपनी उम्मीदवारी की दावेदारी को मजबूत बनाने में जुट गयीं और आखिरकार उनके लिए वह दिन आया जब डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में पार्टी के कुल 4,764 डेलीगेट्स में से बहुमत हासिल कर उन्होंने उम्मीदवारी जीत ली। हिलेरी के नामांकन से देश की आम और खास महिलाओं में कितनी खुशी है और अपने उज्ज्वल भविष्य के प्रति वह कितनी आशान्वित हैं इसकी एक झलक कैलिफोर्निया की सीनेटर बारबरा बॉक्सर के बयान से मिल जाती है जिसमें उन्होंने कहा है, ‘‘हमें व्हाइट हाउस में हिलेरी की जरूरत है। हमें एक ऐसा राष्ट्रपति चाहिए जो यह जानता है कि किसी काम के लिए पुरूष को एक डॉलर और महिला को 79 सेंट्स दिया जाना सरासर गलत है।''
68 वर्षीय हिलेरी भले पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी हों लेकिन उनकी अपनी एक शख्सियत है और इसी के चलते वह इतना आगे बढ़ पायी हैं। हिलेरी ने महिलाओं की राह से जो अवरोधक तोड़े हैं उसका फायदा आगे की पीढ़ी की महिलाओं को भी मिलेगा और अमेरिकी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। हिलेरी का इतना आगे तक आना वास्तव में हर महिला के लिए सम्मान की बात है। जहाँ तक राष्ट्रपति पद के चुनाव में उनकी स्थिति की बात है तो यकीनन हालिया सर्वेक्षणों के मुताबिक वह बढ़त बनाये हुए हैं लेकिन मुकाबला बेहद कड़ा होने की संभावना है क्योंकि अमेरिकी राजनीतिक क्षितिज पर साल भर पहले उभरे डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह रिपब्लिकन पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को पछाड़ते हुए उम्मीदवारी हासिल की उसने पूरे विश्व को चौंकाया है।
स्वच्छ ऊर्जा का समर्थन करने वाली हिलेरी क्लिंटन को भारत-अमेरिकी संबंधों की एक मजबूत समर्थक के तौर पर जाना जाता है। न्यूयार्क की सीनेटर के तौर पर सीनेट इंडिया कॉकस की शुरूआत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और वह इसकी संस्थापक सह अध्यक्ष थीं। यह किसी देश विशेष का एकमात्र सीनेट कॉकस है। हिलेरी ने जनवरी 2009 में विदेश मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद वार्षिक भारत-अमेरिकी रणनीतिक वार्ता शुरू करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने यूएसएआईडी के प्रमुख के तौर पर राज शाह और सहायक विदेश मंत्री के तौर पर रिचर्ड वर्मा जैसे भारतीय अमेरिकियों को विदेश मंत्रालय में नियुक्त किया था। वर्मा अब भारत में अमेरिका के राजदूत हैं। हिलेरी की चुनाव प्रचार मुहिम में भी अहम पदों पर कई भारतीय अमेरिकी हैं जिनमें हुमा आबदीन, नीरा टंडन, शेफाली राजदान दुग्गल और अदिति हार्दिकर शामिल हैं।
हिलेरी ने इससे भी आगे जाते हुए भारत समर्थक टिम केन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुन कर भारत के लिए अच्छा संकेत दिया है। 58 वर्षीय केन वर्जीनिया के पूर्व गवर्नर हैं। वह 2013 में अमेरिकी सीनेट के लिए चुने गए थे। वह सीनेट इंडिया कॉकस के भी सदस्य हैं। उन्होंने अक्तूबर 2014 में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की यात्रा की थी।
बतौर महिला हिलेरी के धैर्य की असल परीक्षा तब हुई थी जब 1993 से 2001 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे उनके पति बिल क्लिंटन मोनिका लेवेंस्की के साथ संबंधों के चलते विवादों में आये थे। हिलेरी ने प्रथम महिला के तौर पर स्वास्थ्य देखभाल एवं महिलाओं के अधिकारों के लिए कई अहम पहलें की थीं। हालाँकि बतौर विदेश मंत्री उनका कार्यकाल निजी ईमेल सर्वर के उपयोग को लेकर विवादों में रहा है और इस संबंध में कई स्तरों पर जाँच भी बिठाई गईं। ईमेल मामला ऐसा है जिसे लेकर हिलेरी को अकसर स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
दूसरी ओर हिलेरी के अभियान को झटका देने के लिए विकीलीक्स एक बार फिर मैदान में है। विकीलीक्स द्वारा हाल ही में कुछ ईमेल जारी किये गये हैं जिनसे नया विवाद खड़ा हो गया है। ये ईमेल डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के सर्वर को अवैध रूप से हैक कर प्राप्त किए गए थे। इन ईमेल्स से यह संकेत मिलता है कि पार्टी नेतृत्व ने प्राइमरी चुनाव के दौरान हिलेरी क्लिंटन को वरमोंट के सीनेटर बर्नी सैंडर्स के खिलाफ अपना समर्थन दिया। आगामी सप्ताहों में और अधिक ईमेल जारी किए जाने की संभावना है और इनका समय कुछ ऐसा रखा जाएगा ताकि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचे। इस मामले में नया पेंच यह है कि डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के ईमेल लीक होने के लिए विशेषज्ञों द्वारा रूसी हैकरों को जिम्मेदार ठहराए जाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि ऐसा संभव है कि रूस अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है। उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार व्लादिमीर पुतिन की तारीफ की है और ट्रंप को रूस के मीडिया में काफी अच्छी कवरेज मिली है।
बहरहाल, प्राइमरी चुनावों में हिलेरी के प्रतिद्वंद्वी बर्नी सैंडर्स ने अपने गृह राज्य वरमोंट की बारी आने पर हिलेरी के नामांकन का प्रस्ताव पेश कर गहरे मतभेदों से जूझ रही पार्टी के लिए एकता का अहम संदेश दिया है। प्राइमरी चुनावों के दौरान 23 चुनाव जीतकर पूर्व विदेश मंत्री की कई रातों की नींद उड़ा देने वाले सैंडर्स ने उम्मीद जताई है कि हिलेरी क्लिंटन एक शानदार राष्ट्रपति बनेंगी। देखना होगा कि जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती है अमेरिकी राजनीति में क्या उतार-चढ़ाव आते हैं।
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