पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ रहे हैं अत्याचार, क्या इस मुद्दे पर विदेशों में कोई आंदोलन करेगा?

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जहां तक पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की बात है तो आपको बता दें कि उनकी दशा बेहद खराब है। सरकारी योजनाओं के लाभ से तो उनको वंचित रखा ही जाता है साथ ही हिंदुओं को उनके प्रमुख त्योहारों होली, दीवाली आदि पर भी अपमानित करने का काम किया जाता है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर जारी अत्याचारों के बीच उनके आस्था स्थलों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। ताजा खबर है कि पाकिस्तान के दक्षिणी बंदरगाह शहर कराची में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गयी है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है लेकिन सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हिंदुओं की वहां कोई सुनेगा? कराची के कोरंगी इलाके के श्री मारी माता मंदिर में तोड़फोड़ के बाद से इलाके में रह रहे हिंदू समुदाय में दहशत का माहौल है क्योंकि पिछली कई घटनाएं बताती हैं कि अक्सर पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के बाद समुदाय के लोगों के साथ मारपीट की जाती है या फिर उन्मादी भीड़ हिंदुओं को अपना शिकार बनाती है। ऐसे में श्री मारी माता मंदिर में तोड़फोड़ के बाद हिंदुओं के बीच दशहत होना स्वाभाविक है।

घटनाक्रम का ब्यौरा

जहां तक इस घटना की बात है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान के डॉन अखबार की खबर के अनुसार कोरंगी पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक बुधवार रात मोटरसाइकिल पर सवार होकर पांच लोग आए और मंदिर की देखरेख करने वाले के बारे में पूछताछ की। अखबार ने शिकायतकर्ता संजीव कुमार के हवाले से बताया कि मंदिर की भीतर की दीवार की पुताई कर रहे दो मजदूरों ने उन लोगों को बताया कि मंदिर की देखरेख करने वाला वहां नहीं है तो संदिग्धों ने प्रतिमाओं पर पथराव शुरू कर दिया। उसके बाद उन लोगों ने मजदूरों को भी धमकी दी और मौके से फरार हो गए। शिकायत मिलने के बाद पुलिस इलाके में पहुंची और मंदिर का मुआयना किया। उपद्रवियों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की धारा की तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज हासिल करने का प्रयास कर रही है लेकिन अभी तक उसके हाथ कुछ नहीं लगा है ना ही किसी को गिरफ्तार किया गया है।

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भारत की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान में हुई इस कायराना हरकत की निंदा करते हुए भारत ने इस घटना को पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सुनियोजित उत्पीड़न की एक और कड़ी बताया है साथ ही कहा है कि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एवं भलाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के कराची में हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ की घटना से जुड़ी हाल की घटना पर गौर किया है। यह उस देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सुनियोजित उत्पीड़न की एक और कड़ी है। अरिंदम बागची ने कहा कि हमने पाकिस्तान को अपने विरोध से अवगत करा दिया है।

पाक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार

हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल अक्टूबर में भी सिंध नदी के किनारे कोटरी में एक ऐतिहासिक मंदिर को मुस्लिमों ने अपवित्र कर दिया था। यही नहीं पिछले साल अगस्त में ही भोंग शहर में भीड़ ने हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की थी और सकुर-मुल्तान राजमार्ग को बाधित कर दिया था। दिसंबर 2020 में भी भीड़ ने खैबर पख्तूनख्वा के कारक जिले स्थित करीब एक सदी पुराने मंदिर को तोड़ दिया था। जहां तक पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की बात है तो आपको बता दें कि उनकी दशा बेहद खराब है। सरकारी योजनाओं के लाभ से तो उनको वंचित रखा ही जाता है साथ ही हिंदुओं को उनके प्रमुख त्योहारों होली, दीवाली आदि पर भी अपमानित करने का काम किया जाता है, उनको त्योहार मनाने से रोका जाता है, महिलाओं को बिंदी और सिंदूर लगाने पर टोका जाता है, होली पर रंग गुलाल लगा कर घूमने वाले युवकों को पीटा जाता है, मंदिरों में भजन-कीर्तन को बाधित किया जाता है, हिंदू-सिख-जैन आदि की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवा कर उनसे निकाह किया जाता है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्मों के बारे में दुनिया भी कुछ नहीं कहती। अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार संगठन भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर चुप्पी साधे रहते हैं।

आपको ध्यान होगा कि साल 2020 में कैसे सैंकड़ों लोगों की भीड़ ने सिखों के सबसे पवित्र धर्मस्थलों में से एक ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर पत्थरबाजी की थी। उस समय एक सिख लड़की का अपहरण भी किया गया था और सिखों को ननकाना साहिब से भगाने और इस पवित्र शहर का नाम बदलकर गुलाम अली मुस्तफा करने की धमकी दी गयी थी। यही नहीं पाकिस्तान में जो लोग अल्पसंख्यक हिंदू लड़कियों का अपहरण करते हैं, पाकिस्तानी सेना उन कट्टरपंथियों का समर्थन करती है। हाल के वर्षों में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने के कई मामले सामने आये हैं जिसने पाकिस्तान में हिंदू समुदाय को हिलाकर रख दिया है और वे अपने धर्म और संस्कृति को बचाए रखने के लिए इंसाफ मांग रहे हैं। 

पश्तूनों पर अत्याचार

साथ ही बलूचिस्तान में जो अत्याचार हो रहे हैं वह भी किसी से छिपे नहीं हैं। पाकिस्तान में करीब 3 करोड़ की आबादी वाले पश्तून समुदाय पर होने वाले अत्याचार अक्सर सुर्खियां बनते रहते हैं। पिछले काफी समय से पश्तून लोगों के साथ अत्याचार, उन्हें गायब कर देने और उनके साथ बुरे बर्ताव की खबरें आम रही हैं। पश्तूनी लोग पाकिस्तान के साथ कितनी भी मजबूती से खड़े रहें लेकिन वहां की सरकार इन्हें गद्दार मानती है और उसी तरह का व्यवहार करती है। संघ प्रशासित कबायली इलाके जिसे फाटा भी कहा जाता है, वहां अक्सर कर्फ्यू लगा रहता है। इस इलाके में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की बात तो छोड़ दीजिये यहां के बेचारे लोगों के घर-बार भी अक्सर तोड़ दिये जाते हैं और उनके सामान पर कब्जा कर लिया जाता है तथा उन्हें सड़कों पर जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि विदेशों में भी जहाँ-जहाँ पश्तून रहते हैं, वह लोग वहाँ-वहाँ की राजधानियों में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर अक्सर विरोध प्रदर्शन करते हैं।

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पाकिस्तान में कितने अल्पसंख्यक हैं?

जहां तक पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या की बात है तो हम आपको बता दें कि सेंटर फॉर पीस ऐंड जस्टिस पाकिस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 22,10,566 हिंदू रहते हैं जो कुल पंजीकृत आबादी 18,68,90,601 का महज 1.8 प्रतिशत हैं। नेशनल डाटाबेस ऐंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) के आंकड़ों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की आबादी में अल्पसंख्यकों की आबादी पांच प्रतिशत से कम है और इनमें से भी हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है। NADRA के मुताबिक मार्च तक पाकिस्तान में कुल पंजीकृत आबादी 18,68,90,601 है जिनमें से मुस्लिमों की संख्या 18,25,92,000 है।

हम आपको बता दें कि पाकिस्तान में अलग-अलग 17 धार्मिक समूहों की पुष्टि की गई है और 1,400 लोगों ने स्वयं को नास्तिक बताया है। पाकिस्तान में तीन राष्ट्रीय जनगणना के आधार पर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, वहां 22,10,566 हिंदू, 18,73,348 ईसाई, 1,88,340 अहमदिया, 74,130 सिख, 14,537 बहाई और 3,917 पारसी रहते हैं। पाकिस्तान में 11 अन्य अल्पसंख्यक समुदाय हैं जिनके लोगों की संख्या दो हजार से कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 1,787 बौद्ध, 1,151 चीनी, 628 शिंटो, 628 यहूदी, 1,418 अफ्रीकी धर्म अनुयायी, 1,522 केलाशा धर्म अनुयायी और छह लोग जैन धर्म का पालन करते हैं।

बहरहाल, पाकिस्तान के यह आंकड़े दर्शाते हैं कि विभाजन के समय अल्पसंख्यकों की जो संख्या वहां थी वह बढ़ने की बजाय तेजी से घटी है। पाकिस्तान जोकि एकाध घटना पर भारत को उपदेश देने को उतावला रहता है, उसे जरा अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए कि उसने अपने देश के अल्पसंख्यकों के साथ अब तक कैसा बर्ताव किया है। वक्त की माँग है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे का संज्ञान ले और वहां अल्पसंख्यकों की जान और माल की सुरक्षा सुनिश्चित कराये। यहां एक सवाल यह भी उठता है कि भारत में भाजपा की एक प्रवक्ता के विवादित बयान पर जिस तरह खाड़ी सहित मुस्लिम देशों में आंदोलन हुए और नाराजगी दिखी क्या वैसा ही आंदोलन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ भी चलेगा?

-नीरज कुमार दुबे

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