ममता जिस पार्टी को बाहरी बता रही हैं उसके नाम में ही 'भारतीय' शामिल है

mamata banerjee

ममता को बताना चाहिए कि किस नेता के बंगाल में आने से कब-कब शांति भंग हुई। सर्वाधिक राजनीतिक हिंसा वाले राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर अकसर भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई और उनकी हत्या कर दिये जाने का आरोप लगता रहा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि भाजपा बाहरी लोगों की पार्टी है और राज्य में उनका कोई स्थान नहीं है। लेकिन ममता बनर्जी यह बात भूल गयी हैं कि जिसे वह बाहरी पार्टी बता रही हैं उस पार्टी को लोकसभा चुनावों में राज्य की जनता ने 18 सीटों पर विजय दिलाई। ममता बनर्जी को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि वह भाजपा को बाहरी तो बता रही हैं लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए कौन-सा शब्द इस्तेमाल करेंगी? जिस मुख्यमंत्री पर आरोप हो कि वह महामारी के समय अपने राज्य लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की ट्रेन नहीं आने दे रही हों, यही नहीं कथित रूप से प्रवासी मजदूरों की ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस करार दे दिया गया हो...वह सरकार बाहरी और भीतरी का खेल खेले तो सवाल तो उठेंगे ही। ममता बनर्जी भाजपा नेताओं पर बाहरी होने का आरोप लगा रही हैं लेकिन कौन भूला है कि गत वर्ष लोकसभा चुनावों के दौरान बांग्लादेशी अभिनेता फिरदौस ने बंगाली अभिनेत्री पायल सरकार और अभिनेता अंकुश के साथ टीएमसी के लिए चुनाव प्रचार किया था और एक रोड शो में हिस्सा लिया था। 

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ममता बनर्जी कह रही हैं कि पश्चिम बंगाल में बाहरी लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। जो लोग सिर्फ चुनावों के दौरान राज्य में आते हैं और राज्य की शांति को बाधित करने की कोशिश करते हैं, उनका कोई स्वागत नहीं है। यहाँ ममता बनर्जी को यह भी बताना चाहिए कि किस नेता के बंगाल में आने से कब-कब शांति भंग हुई। सर्वाधिक राजनीतिक हिंसा वाले राज्यों में शुमार पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर अकसर भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई और उनकी हत्या कर दिये जाने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में अशांति कौन फैला रहा है इस पर सवाल तो बनता ही है। 

जरूरत इस बात की है कि तृणमूल कांग्रेस मुद्दों पर आधारित चुनाव लड़े लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। चुनावों से पहले जनता को सौगातें देने की जो शुरुआत ममता सरकार ने की है उस पर भी सवाल उठेंगे ही। आखिर क्यों अब जाकर मुख्यमंत्री को सुध आई कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘स्वास्थ्य साथी’ योजना का लाभ प्रदेश के सभी लोगों को दिया जाये। महामारी के समय में जब देश के अधिकांश राज्यों में नागरिक केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ उठा रहे हैं तो पश्चिम बंगाल की जनता को इस केंद्रीय सुविधा से क्यों दूर रखा गया है। 

पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव राज्य से संबंधित मुद्दों पर नहीं हो इसके लिए तृणमूल कांग्रेस पूरा प्रयास कर रही है। एक तो पार्टी ने तैयारी कर ली है कि इस चुनाव को बाहरी बनाम भीतरी बना दिया जाये। इसके अलावा जरा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक हालिया बयान पर गौर कीजिये। उन्होंने कहा है कि वह बंगाल को कभी भी ‘दंगा-प्रभावित गुजरात’ नहीं बनने देंगी। ममता बनर्जी बंगाल को आगे बढ़ाने के नाम पर सत्ता में आई थीं लेकिन आज बंगाल कहाँ है? जिस गुजरात को वह दंगों के साथ जोड़ रही हैं जरा उस राज्य का हाल देखिये। औद्योगिक विकास, रोजगार, निवेश आदि सभी मोर्चों पर गुजरात सबसे अग्रणी राज्य है। अगर भाजपा के किसी नेता ने कह दिया है कि हम बंगाल को गुजरात बना देंगे तो सिर्फ नकारात्मक बात ही आगे क्यों प्रस्तुत करना चाहिए, गुजरात के अनेकों सकारात्मक पहलू हैं उनसे भी प्रेरणा ली जा सकती है।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने दस साल के कार्यकाल में क्या किया इसका बखान करने की बजाय वह दूसरे मुद्दों को लगातार उठा रही हैं। जैसे अब उन्होंने कहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को लंबे समय से "उपेक्षित" किया गया और स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ रहे लोगों को ‘‘राजनीतिक रंग" में रंगकर इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि "लापता" होने के 75 साल बाद भी, लोगों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि नेताजी के साथ आखिर हुआ क्या था। यह सही है कि हर भारतीय यह जानना चाहता है कि नेताजी के साथ आखिर में क्या हुआ था लेकिन नेताजी को चुनावी मुद्दा बनाया जाये यह गलत है। बहरहाल, ममता बनर्जी जिस पार्टी के नेताओं को बाहरी बता रही हैं, उस पार्टी के नाम में ही भारतीय शामिल है।

-नीरज कुमार दुबे

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