कश्मीर में आतंकी घुसे, अमरनाथ यात्रा को लेकर सरकार की चिंता बढ़ी

Government worries about Amarnath yatra

जानकारी के मुताबिक, आतंकी बेस कैम्पों पर हमलों की योजनाओं को अंजाम दे सकते हैं जिनको रोकने की खातिर जम्मू स्थित बेस कैम्प की सुरक्षा का जिम्मा कमांडो के हवाले करने की तैयारी की जा रही है।

पिछले चार महीनों से कश्मीर में हिंसा में आई तेजी के बाद अधिकारियों की चिंता अमरनाथ यात्रा को लेकर बढ़ने लगी है। यह चिंता इसलिए भी है क्योंकि सीमा पार से मिले संदेश भी कहते हैं कि पाकिस्तान की कोशिश इस बार अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त खलल डालने की होगी जिसकी खातिर बीसियों आतंकियों को भी वह इस ओर धकेलने में कामयाब हुआ है। अधिकारियों की मानें तो बीसियों आतंकी एलओसी क्रॉस कर कश्मीर में घुसने में कामयाब रहे हैं। नतीजतन कश्मीर की शांति खतरे में पड़ गई है। सेना ने आतंकी हमलों को रोकने की खातिर रात्रि तलाशी अभियान तेज करते हुए रात्रि गश्त के साथ-साथ नाकेबंदी की पुरानी रणनीति भी अपनाई है जिस कारण लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। 

पर इतना जरूर है कि कश्मीर में खराब हालात के बावजूद अमरनाथ यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण करवाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। एडवांस पंजीकरण की प्रक्रिया एक मार्च से शुरू हुई थी। जिसके लिए हजारों श्रद्धालु यात्रा के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं। इस बार 28 जून से शुरू हो रही यात्रा 26 अगस्त रक्षा बंधन वाले दिन संपन्न होगी। इस बार की यात्रा 60 दिनों की होगी।

वर्ष 2016 की यात्रा के दौरान आठ जुलाई को हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने पर कश्मीर में हालात बिगड़ गए थे। आतंकी घटनाओं, पथराव के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई थी। तब 2.20 लाख श्रद्धालुओं ने शिवलिंग के दर्शन किए थे। जबकि पिछले साल यह संख्या बढ़ कर 2.60 लाख तक पहुंच गई थी। लेकिन चिंता का कारण कुछ माह में कश्मीर में आतंकी घटनाओं में होने वाली वृद्धि है। पथराव की घटनाओं में इजाफा हुआ है। राज्य सरकार से लेकर केंद्र यात्रा को लेकर चिंतित है। यात्रा शुरू होने में दो महीने का समय शेष है।

सरकार की कोशिश यात्रा से पहले हालात को सामान्य बनाना है। फिर भी यात्रा को लेकर देश के श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष 2010 में भी कश्मीर में हालात खराब हुए थे। वर्ष 2008 में भी जम्मू में अमरनाथ भूमि विवाद आंदोलन हुआ था। उस दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई थी।

आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाएं तो पिछले 4 महीने के भीतर आतंकी दर्जनों हमलों को अंजाम दे चुके हैं। कई लोगों को भी मौत के घाट उतारा जा चुका है तथा दर्जनों हथगोलों के हमले भी हो चुके हैं। पत्थरबाज भी कश्मीर को उबाल पर रखे हुए हैं। आतंकी हमलों में तेजी ऐसे समय में आई है जबकि राज्य सरकार अमरनाथ यात्रा की तैयारियों में जुटी हुई है। अभी तक राज्य में शांति के लौटने के दावे करने वाली राज्य की गठबंधन सरकार अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति बेफिक्र थी लेकिन आतंकी हमलों में आई अचानक और जबरदस्त तेजी ने उसके पांव तले से जमीन खिसका दी है। सबसे अधिक चिंता का विषय अनंतनाग में होने वाले हमले हैं। 

नतीजतन केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी राज्य सरकार की मदद को आगे आना पड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कई अधिकारी पिछले कई दिनों से राज्य में डेरा डाले हुए हैं। उनके द्वारा कई सूचनाओं को कश्मीर पुलिस से साझा करने के बाद कश्मीर पुलिस ने यात्रियों की सुरक्षा की खातिर थ्री टियर सुरक्षा व्यवस्था आरंभ कर दी है।

जानकारी के मुताबिक, आतंकी बेस कैम्पों पर हमलों की योजनाओं को अंजाम दे सकते हैं जिनको रोकने की खातिर जम्मू स्थित बेस कैम्प की सुरक्षा का जिम्मा कमांडो के हवाले करने की तैयारी की जा रही है तथा भगवती नगर स्थित बेस कैम्प के साथ सटे निक्की तवी के एरिया में तलाशी अभियानों के लिए सेना की मदद इसलिए ली जा रही है क्योंकि कई बार इस इलाके से हथियार और गोला बारूद बरामद किया जा चुका है। यह इलाका घुसपैठियों का खास रहा है। हालांकि उप मुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद से राज्य सरकार 28 जून से शुरू होने वाली श्री अमरनाथ यात्रा में आने वाले तमाम श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के प्रति दृढ़ संकल्प है।

इस बीच अधिकारियों की मानें तो बीसियों आतंकी एलओसी क्रॉस कर कश्मीर में घुसने में कामयाब रहे हैं। नतीजतन कश्मीर की शांति खतरे में पड़ गई है। सेना ने आतंकी हमलों को रोकने की खातिर रात्रि तलाशी अभियान तेज करते हुए रात्रि गश्त के साथ-साथ नाकेबंदी की पुरानी रणनीति भी अपनाई है जिस कारण लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने माना कि पिछले पखवाड़े पाक सेना बीसियों आतंकियों को इस ओर धकेलने में कामयाब हुई है। घुसपैठ करने वाले ताजा आतंकियों के प्रति चौंकाने वाला तथ्य यह है कि वे अति घातक हथियारों से लैस हैं जिन्हें कश्मीर की शांति भंग करने का टास्क दिया गया है। एक सैन्य सूत्र के मुताबिक, एलओसी के कुछ इलाकों में संदिग्ध व्यक्ति देखे गए हैं। हालांकि इस सूत्र ने उन इलाकों की निशानदेही करने से इंकार करते हुए कहा कि इलाकों की पहचान बताए जाने से वहां लोगों में दहशत फैल सकती है।

एलओसी से सटे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आतंकी घुसपैठ की फिराक में भी हैं। माना जा रहा है कि इन आतंकियों को भारतीय सीमा में दाखिल करवाने के लिए ही छद्मतौर पर युद्ध की स्थिति बनाई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि एलओसी की तरफ आतंकवादियों का मूवमेंट देखा गया है।

जिसके बाद आशंका जताई जा रही है कि कश्मीर में फिदायीन हमले बढ़ सकते हैं। दरअसल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैंप्स से आतंकी निकलकर भारत की ओर आ रहे हैं। ऐसे में ये जम्मू कश्मीर में दाखिल होने की फिराक में हैं। माना जा रहा है कि आतंकी सेना का सड़क संपर्क बाधित कर सकते हैं या फिर कश्मीर में सेना की रोड ओपनिंग पार्टी को अपने निशाने पर ले सकते हैं।

आतंकियों के ताजा दलों द्वारा घुसपैठ में कामयाब होने के बाद उनके इरादों के बारे में मिली जानकारी सुरक्षाधिकारियों को परेशान कर रही है। वे बताते हैं कि उन्हें भयानक तबाही मचाने का टास्क दिया गया है। वैसे वे इससे भी इंकार नहीं करते थे कि घुसपैठ करने वालों में तालिबानी, अल-कायदा या आईएस के सदस्य हो सकते हैं क्योंकि सुने गए वायरलेस संदेश इसके प्रति शंका पैदा करते थे। अधिकारियों का कहना था कि स्थिति से निपटने की खातिर सेना को रात्रि गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। सेना ने रात्रि तलाशी अभियान फिर से आरंभ किए हैं।

-सुरेश एस डुग्गर

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