जन-आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाला रहा संसद सत्र, इन 30 विधेयकों ने ली कानून की शक्ल

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लोकसभा तथा राज्यसभा ने देर रात तक बैठक कर विधायी कार्यों को निपटाया और अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो लोकसभा में 137 प्रतिशत और राज्यसभा में 103 प्रतिशत कामकाज हुआ जोकि संसदीय कार्यों की दृष्टि से एक नया और अहम रिकॉर्ड है।

पहले से बड़ा जनादेश लेकर सत्ता में लौटी नरेंद्र मोदी सरकार ने जन-अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में ही पूरा जोर लगा दिया। संसद के इस सत्र की शुरुआत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक से हुई जिसमें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अपना अभिभाषण दिया। इसके बाद लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के साथ ही नये स्पीकर का चुनाव भी हुआ। नरेंद्र मोदी सरकार-2 का पहला बजट पेश किया गया जिसे देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। पहले जहाँ संसद के पूरे के पूरे सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाते थे वहीं इस बार दूसरा परिदृश्य दिखा और लोकसभा तथा राज्यसभा ने देर रात तक बैठक कर विधायी कार्यों को निपटाया और अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो लोकसभा में 137 प्रतिशत और राज्यसभा में 103 प्रतिशत कामकाज हुआ जोकि संसदीय कार्यों की दृष्टि से एक नया और अहम रिकॉर्ड है। दोनों सदनों ने आतंकवाद से कड़ाई से निबटने, सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा अधिकार देने संबंधी विधेयक, उपभोक्ताओं के अधिकारों को और संरक्षण देने संबंधी विधेयक और तीन तलाक विरोधी विधेयक तथा जम्मू-कश्मीर से संबंधित अहम विधेयकों पर गंभीर चर्चा कर विधेयक पारित किये। विधेयकों के पेश किये जाने की संख्या को लेकर विपक्ष ने हो-हल्ला भी किया जिस पर सरकार ने सवाल उठाया कि यदि संसद काम कर रही है तो इसमें भी लोगों को परेशानी क्यों हो रही है?

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लोकसभा की बात करें तो 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में कुल 37 बैठकें हुईं और करीब 280 घंटे तक कार्यवाही चली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तो कहा भी है कि यह 1952 से लेकर अब तक का सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस सत्र में कोई हंगामा नहीं हुआ। डोनाल्ड ट्रंप का कश्मीर संबंधी बयान हो, मॉब लिंचिंग की घटनाएं हों, उन्नाव बलात्कार मामला हो या फिर अन्य मुद्दे, सदन में हंगामा हुआ और कार्यवाही भी बाधित हुई लेकिन सर्वाधिक हंगामा समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की ओर से सभापति आसन पर विराजमान रमा देवी पर की गयी अभद्र टिप्पणी पर हुआ और आखिरकार मामला आजम खान की ओर से बिना शर्त माफी मांगे जाने पर ही सुलझा।

लोकसभा सत्र की बड़ी बातों पर गौर करें तो इस दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने एवं राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के संकल्प और विधेयक तथा तीन तलाक विरोधी विधेयक, मोटरयान संशोधन विधेयक-2019, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 और मजदूरी संहिता विधेयक सहित कुल 36 विधेयक पारित किए गए। 

17वीं लोकसभा के पहले सत्र में कुल 265 नवनिर्वाचित सदस्यों में से अधिकतर सदस्यों को शून्य काल अथवा किसी न किसी विधेयक पर चर्चा में बोलने या प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का मौका मिला। 17वीं लोकसभा की कुल 46 नवनिर्वाचित महिला सदस्यों में से 42 को सदन में अपनी बात रखने का अवसर मिला। सत्र के दौरान 183 तारांकित प्रश्न पूछे गए और 1086 लोकहित से जुड़े मुद्दे शून्यकाल के दौरान उठाए गए। लोकसभा सत्र के अंतिम दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने एवं राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के संकल्प को मंजूरी दी गयी। देखा जाये तो पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सत्र सात अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन सरकार के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

वहीं अगर राज्यसभा की बात करें तो 20 जून से शुरू हुआ 249वां सत्र बुधवार 7 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान तीन तलाक संबधित विधेयक तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के प्रावधान सहित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया। कामकाज के लिहाज से यह सत्र 103 प्रतिशत उत्पादक रहा।

सत्र के दौरान कुल 35 बैठकें हुयीं जो पिछले 14 साल में सर्वाधिक हैं। इससे पहले 2005 में राज्यसभा के 204वें सत्र के दौरान 38 बैठकों का रिकॉर्ड है। सत्र के दौरान हंगामे के चलते भले ही 19 घंटे 12 मिनट का नुकसान हुआ लेकिन सदन ने निर्धारित समय से 28 घंटे अधिक बैठकर कामकाज किया और नुकसान की भरपाई की। राज्यसभा में हंगामे के दौरान एक शर्मनाक स्थिति तब पैदा हुई जब अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने संबंधी संकल्प पेश करने के दौरान पीडीपी के दो सदस्यों नजीर अहमद लवाय और मीर मोहम्मद फयाज ने विधेयक और संविधान की प्रतियों को नुकसान पहुँचाया।

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राज्यसभा सत्र के दौरान सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, अल्पकालिक चर्चा एवं आधे घंटे की चर्चा के माध्यम से 38 लोक महत्व के विषयों पर चर्चा हुयी। पिछले 41 वर्षों में राज्यसभा का यह सत्र पांचवां सबसे बेहतरीन सत्र रहा। सत्र के दौरान 151 तारांकित प्रश्न पूछे गए जो पिछले 14 वर्षों में 45 सत्रों के दौरान सर्वाधिक हैं। शून्यकाल के लिहाज से भी यह सत्र पिछले 20 साल के 63 सत्रों में सबसे बेहतरीन रहा और इस दौरान 326 लोक महत्व के विषय उठाए गए। विशेष उल्लेख के जरिए 194 विषय उठाए गए जो पिछले चार साल के 12 सत्रों में सबसे अधिक है।

राज्यसभा सत्र के दौरान जहां केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत सदन के नेता बने वहीं रामविलास पासवान सहित कई नए सदस्यों ने उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली तथा सपा और कांग्रेस के कई सदस्यों ने इस्तीफा भी दिया। इस्तीफा देने वाले सदस्यों में सपा के नीरज शेखर, संजय सेठ और सुरेंद्र नागर तथा कांग्रेस के संजय सिंह और भुवनेश्वर कालिता शामिल हैं।

राज्यसभा में पारित नहीं हो पाये विधेयकों की बात करें तो इनमें जलियांवाला बाग संबंधी एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई। विधेयक में कांग्रेस अध्यक्ष का जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट से न्यासी के रूप में नाम हटाने का प्रस्ताव है। अब यह विधेयक नवंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र में चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया जायेगा।

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लोकसभा की ओर से पारित कुल विधेयकों की बात करें तो इनकी संख्या 35 जबकि राज्यसभा की ओर से पारित विधेयकों की संख्या 32 रही। इसी प्रकार 30 विधेयक ऐसे रहे जिन्हें दोनों सदनों की मंजूरी मिल गयी और यह कानून बन चुके हैं। आइए जानते हैं उन विधेयकों के नाम जिन्होंने संसद के इस पहले सत्र में कानून का रूप अख्तियार किया।

दोनों सदनों से पारित विधेयक-

विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019

जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2019

केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के कॉडर में आरक्षण) विधेयक 2019

इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक 2019 

दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2019

आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019 

केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2019 

राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (संशोधन) विधेयक 2019

नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2019

विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2019

वित्त (संख्या 2) विधेयक 2019

मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 

सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019

अनियमित जमा योजना विधेयक 2019

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019

कंपनी (संशोधन) विधेयक 2019

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2019

मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक 2019

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019

गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019

मजदूरी संहिता विधेयक, 2019

निरसन और संशोधन विधेयक 2019

भारतीय एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2019

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2019

उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 

सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायों का प्रमाण) संशोधन विधेयक 2019

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019

उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश संख्या) संशोधन विधेयक 2019

संसद के इस सत्र के दौरान कुछ दुखद पहलू भी सामने आये जब लोकसभा के सदस्य रामचंद्र पासवान और राज्यसभा के सदस्य मदन लाल सैनी का निधन हो गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी असमय चले जाना सबको गमगीन कर गया। दोनों सदनों ने दिवंगत नेताओं तथा देश-विदेश में हुई त्रासद घटनाओं पर शोक भी जताया।

-नीरज कुमार दुबे

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