कश्मीर में IS की मौजूदगी को लेकर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के बीच घमासान

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सुरेश डुग्गर । Jan 23 2019 2:53PM

कुछ मुर्ख आईएसआईएस का झंडा लहरा दें इसका अर्थ ये नहीं है कि घाटी में आईएसआईएस मौजूद है। हालांकि कुछ अधिकारी कहते थे कि मीडिया द्वारा इस मुद्दे को बिना बात का तूल देना सही नहीं है।

कश्मीर में दो आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेने के बाद कश्मीर में आईएसआईएस के वजूद और मौजूदगी पर चल रहा घमासान तेज हो गया है। पुलिस महानिदेशक ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि कश्मीर में आईएसआईएस का न ही कोई वजूद है और न ही मौजूदगी। पर खुफिया एजेंसियां डीजीपी के इस बयान से सहमत नहीं हैं। वे कहती हैं कि वे आईएसआईएस के मामले पर कोई रिस्क नहीं ले सकतीं। उनके मुताबिक आईएसआईएस का खतरा बहुत बड़ा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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पुलिस महानिदेशक ने कश्मीर में आईएसआईएस की मौजूदगी से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि जब तक हमलों में लिप्त आतंकी पकड़े नहीं जाते तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। मुझे यकीन है कि आम कश्मीरी ऐसे संगठनों को कश्मीर में पांव नहीं पसारने देगा। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब कश्मीर में किसी हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली हो। पिछले वर्ष भाजपा कार्यालय पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी आईएस ने ली थी। डीजीपी ने आईएस द्वारा सौरा हमले की जिम्मेदारी लेने पर कहा था कि यह आतंकी संगठन का दावा है। उसने अपनी वेबसाइट पर ही इस वारदात की जिम्मेदारी ली है। हम तब तक कुछ नहीं कह सकते, जब तक हमले में लिप्त आतंकियों को पकड़ कर पूरे मामले को हल नहीं कर लेते। हमने हमलावरों के बारे में कुछ सुराग जुटाए हैं। हम उसे जल्द ही पकड़ लेंगे। हो सकता है वह आईएस की विचारधारा से प्रभावित हो।

उन्होंने कहा कि अगर आईएस कश्मीर में है तो यह गंभीर बात है, लेकिन आम कश्मीरी कभी भी ऐसे आतंकी संगठनों को घाटी में पैर पसारने नहीं देगा। हम कश्मीर को सीरिया व इराक नहीं बनने देंगे। अधिकारी कहते थे कि शहर में लगातार आईएसआईएस का झंडा फहराने वालों में कोई भी आतंकवाद से जुड़ा नहीं है। उनका कहना था कि जिन आतंकी हमलों की जिम्मेदारी आईएस ने ली है पुलिस उन मामलों में जांच कर रही है और आईएसआईएस का झंडा फहराने के सिलसिले में अब तक जितने भी लोगों की पहचान की गई है उनमें से कोई भी आतंकवाद से जुड़ा नहीं है। अधिकारियों के बकौल इन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सेना ने इस मामले पर आवाज उठाई थी और कहा था कि यह चिंता का विषय है और सुरक्षा की दृष्टि से इस पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

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शहर के पुराने इलाके में कुछ अरसा पहले एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ युवाओं ने आईएसआईएस का झंडा फहराया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने झंडा क्यों फहराया इसके बारे में पूछताछ पूरी होने के बाद ही पता चल सकेगा। इतना जरूर था कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के शासनाकाल में उन्होंने इन घटनाओं को कुछ मूर्ख लोगों द्वारा किया गया कार्य बताया था, जिसे मीडिया दुर्भाग्यवश तवज्जो दे रही है। पिछले एक अरसे से कई बार कश्मीर में आईएसआईएस के झंडे लहराने की खबरें आईं थीं। इन घटनाओं के बाद कहा जाने लगा था कि आईएसआईएस ने भारत में दस्तक दे दी है। अब इस मुद्दे पर यह कहा जा रहा है कि आईएसआईएस के झंडे लहराने की जो घटनाएं सामने आई थीं उन झंडा लहराने वाले व्यक्तियों में किसी का भी संबंध किसी भी आतंकवादी संगठन से नहीं है।

बताया जाता है कि पुलिस ने इस मामले में जांच की है। इस जांच में उन्हें झंड़ा लहराने वाले अधिकांश लोगों की पहचान कर ली है। इनमें से किसी का भी संबंध किसी भी आतंकी ग्रुप से नहीं है। वैसे आईएसआईएस का झंड़ा लहराने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। सेना ने भी पुराने शहर क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ युवाओं द्वारा आईएसआईएस झंडे के लहराते पर चिंता जताई थी। अधिकारियों ने कहा कि इन हालात में उन्होंने झंडा क्यों लहराया इस बारे में जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। इससे पहले भी यह कहा जाता रहा था कि रियासत में आईएसआईएस का झंडा लहराना कुछ मूर्खों की अफसोसजनक करतूत है, रियासत में आईएसआईएस का कोई दखल नहीं है।

अधिकारी कहते थे कि ये आपको समझना होगा कि अब तक घाटी में आईएस से जुड़ा कोई समूह या संगठन नहीं पाया गया है न ही ऐसी कोई खबर है। कुछ मुर्ख आईएसआईएस का झंडा लहरा दें इसका अर्थ ये नहीं है कि घाटी में आईएसआईएस मौजूद है। हालांकि कुछ अधिकारी कहते थे कि मीडिया द्वारा इस मुद्दे को बिना बात का तूल देना सही नहीं है, सरकार इस बारे में अपनी तरफ से हर संभव कोशिश करके सच का पता लगा रही है।

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पर खुफिया एजेंसियां इस मामले को हल्के से नहीं ले रही हैं। उनका मानना है कि लोन वोल्फ अटैक का तरीका आईएसआईएस का ही है और आने वाले दिनों में इसमें वृद्धि होने का अंदेशा है। घमासान का परिणाम यह है कि राज्य की जनता के दिलोदिमाग पर अब आईएसआईएस का खतरा और दहशत मंडराने लगी है। इतना जरूर था कि करीब तीन साल पहले कश्मीर पुलिस ने उन 12 आईएसआईएस समर्थकों को हिरासत में लिया था जिनकी पहचान जुम्मे के दौरान लगातार होने वाले प्रदर्शनों में आईएसआईएस के झंडे फहराने के आरोप में हुई थी। उसके बाद आईएसआईएस को लेकर मामला ठंडा हो गया क्योंकि पुलिस ने इन गिरफ्तारियों के साथ ही आईएसआईएस का कश्मीर में खात्मा समझ लिया। पिछले हफ्ते भी जिन 9 लोगों को पकड़ कर एनआईए के हवाले किया गया है वे भी आईएस से जुड़े बताए जाते हैं।

पर ऐसा हुआ नहीं। चार साल के बाद भी कश्मीर में आईएसआईएस के झंडों का दिखना खत्म नहीं हुआ है। हालात और बिगड़ रहे हैं। आईएसआईएस के झंडों का दायरा बढ़ता जा रहा है। साथ में कश्मीर में आईएसआईएस के आने की दहशत भी। पुलिस कहती है कि उसने पहले करीब 12 आईएसआईएस समर्थकों को पकड़ा था। कुछेक को बाद में समझाने बुझाने के बाद रिहा इसलिए कर दिया गया था क्योंकि उन्हें नासमझ और बरगलाए गए बच्चे समझा गया था। पर अभी भी यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि अगर ताजा गिरफ्तारियों के साथ ही कश्मीर में आईएसआईएस के खात्मे का जो दावा किया गया था वह कहां तक सही था। सवाल जवाब इसलिए मांग रहा है क्योंकि इन चार सालों के दौरान शायद ही कोई शुक्रवार ऐसा खाली गया होगा जिस दिन आईएसआईएस के समर्थकों ने जुम्मे की नमाज के बाद पाकिस्तानी झंडों के साथ-साथ आईएसआईएस के झंडे लहरा कर आईएसआईएस के कश्मीर में आने का संदेश न दिया हो।

कश्मीर में आईएसआईएस की दस्तक का इंतजार कर रहे सुरक्षा बलों के रवैये के प्रति सच्चाई यह है कि उन्होंने इस खतरे को बहुत ही हल्के से लिया है। आईएसआईएस के नाम की दहशत भी उसी समय कश्मीर में फैली जब आईएसआईएस के आतंकियों ने पेरिस में वहशियाना तरीके से आतंकी हमले किए। इन हमलों के बाद ही कश्मीर में आनन-फानन में आईएसआईएस के समर्थकों की पहचान, उन पर निगरानी रखने और उनकी गतिविधियों को जांचने की प्रक्रिया में बिजली-सी तेजी लाई गई। साथ ही दावा भी हो गया कि कश्मीर में ऐसा कोई खतरा नहीं है। रोचक बात पुलिस द्वारा किए गए इस दावे की यह थी कि इसके दो ही दिन बाद राज्य में तैनात सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी दावा कर दिया कि आईएसआईएस कश्मीर में हमले कर सकता है। यह बात अलग है कि उन्होंने यह जरूर कहा कि वह लश्कर के साथ मिल कर या उसके नाम पर ऐसी कार्रवाई कर सकता है।

फिलहाल किसी को उम्मीद नहीं है कि आईएसआईएस के खतरे से कश्मीर को मुक्ति मिलेगी क्योंकि कश्मीर में तालिबानियों और अफगान मुजाहिदीनों के पर्दापण से पहले भी सेना और पुलिस ने ऐसे दावों की झड़ी लगाई थी और अंततः उसके बाद के परिणाम को कश्मीर आज भी भुगत रहा है। याद रहे कश्मीर में फिदायीन हमले, कार बम हमले और आत्मघाती हमले इन्हीं तालिबानियों तथा मुजाहिदीनों की देन थी।

-सुरेश डुग्गर

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