नये सम्राट नारुहितो ने संभाला जापानी एकता का भार

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तरूण विजय । May 4 2019 1:00PM

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1945 तब जब अमेरिका ने जापान पर अणु बम गिराकर उसे परास्त किया, वहां के सम्राट को देव स्वरूप माना जाता था। अणु बम से हुई तबाही तथा पराजय से टूट चुके सम्राट हीरोहितो ने दैवी स्वरूप का प्रभामंडल हटाने की घोषणा की दी!

जापान परम्पराओं की रक्षा और निर्वाह का देश! भारत में यदि कोई प्राचीन परम्पराओं को संभालने की बात करता है तो कहा जाता है कि ये लोग अतीतजीवी हैं! भविष्योन्मुखी होने के लिए अतीत को त्यागना या उसका अपमान करना जरूरी नहीं यह जापान ने सिद्ध किया! वहां ढाई हजार साल से भी पुरानी राजवंशीय परम्परा आज भी फलफुल रही है तथा 30 अप्रैल को वहां के सम्राट अकिहितो ने 85 वर्ष की आयु में स्वास्थ्य कारणों से सिंहासन त्याग किया और अगले दिन यानी एक मई को उनके 59 वर्षीय पुत्र राजकुमार नारूहितो ने जापान के 126 वें सम्राट के रूप में पद संभाला। इसके साथ ही सदाबहार पुष्प सिंहासन (गुलदाउदी) पर बैठे नये सम्राट ने जापान के सूत्र को अपनाते हुए नया युग प्रारंभ किया!

सम्राट नारूहितो आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े हैं तथा उनकी पत्नी साम्राज्ञी मसाको हार्वर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षित हैं! वे जापान के ऐसे पहले सम्राट हैं जिनका जन्म दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुआ और पश्चिमी तौर तरीकों तथा शिक्षा में निष्णात हैं! वे तुलना में युवा तथा बेहद प्रगतिशील विचारों के हैं और जिस समय जब जापान आर्थिक मंदी, घटती जन्म दर, बूढ़े लोगों की बढ़ती संख्या तथा महिला-पुरुष भेद जैसी समस्याओं से गुजर रहा है सम्राट नारुहितो पर जापान के लोगों की बहुत आशाएं टिकी हैं!

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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1945 तब जब अमेरिका ने जापान पर अणु बम गिराकर उसे परास्त किया, वहां के सम्राट को देव स्वरूप माना जाता था। अणु बम से हुई तबाही तथा पराजय से टूट चुके सम्राट हीरोहितो ने दैवी स्वरूप का प्रभामंडल हटाने की घोषणा की दी! जापान को नये सिरे से बनाने का काम तथा टूटते मनोबल को उठाने की जिम्मेदारी हीरोहितो तथा उनके बेटे राजकुमार अकिहितो ने संभाली! हिरोशिमा का घाव मिटना मुश्किल था! अमेरिका ने जापान का नया संविधान कुछ इस प्रकार बनवाया कि सम्राट के पास सिर्फ दिखावटी संवैधानिक अधिकार रहे! फिर भी जापानी जनता के मन में अपने सम्राट के प्रति सम्मान और उनकी महानता का बोध तनिक भी कम नहीं हुआ! जापान पुनः उद्योग, व्यापार, चिकित्सा तथा प्रत्येक नागरिक को उन्नति और समृद्धि का अवसर देने में विश्व में शिरोमणि बना! एक करोड़ तीस लाख की आबादी, लगातार भूकंपों को झेलने वाला चीन से आक्रामक तेवर भी संभालने वाला जापान केवल आत्मरक्षा सेना रख सकता है! लेकिन जापान के प्रति व्यक्ति आय और औसत आयु विश्व में सर्वोपरि है! मेड इन जापान का अर्थ आज भी दुनिया में सर्वाधिक विश्वसनीय तथा दीर्घकालीन बिना तकलीफ चलने वाले उत्पादों के लिए जाना जाता है।

भारत-जापान संबंध सम्राट नारुहितो के काल में और बेहतर बनेंगे, यह स्वाभाविक विश्वास है क्योंकि जापान के साथ भारत के संबंध व्यापार, राजनीति और कूटनीति से परे पारस्परिक विश्वास तथा धार्मिक, लोकतांत्रिक और सभ्यतामूलक सूत्रों के सांझेपन से सिंचित हैं! जापान का बहुसंख्यक समाज शिंतो धर्म को मानता है जो हिंदू धर्म से बहुत कुछ मिलताजुलता है! पुनर्जम्म, माता-पिता का सम्मान और पारिवारिक मूल्य, वर्ष में एक बार पितरों का स्मरण और उन्हें पुण्यांजलि, प्रकृति की पूजा जैसे संस्कार शिंतो धर्म में बहुत गहराई से विदयमान हैं! भारत की फिल्मों में भी विभिन्न रूपों और प्रकारों से जापान बड़ी आत्मीयता के साथ अभिव्यक्त होता रहा है! तमिलनाडु के महान अभिनेता रजनीकांत जापान के बहुत लोकप्रिय हीरो माने जाते हैं और उनका वहां बड़ा आदर है! बौद्ध मत जिन भारतीय भिक्षुओं के माध्यम से जापान में प्रसारित हुआ उनकी स्मृति में क्योटो के पास एक विशाल मंदिर है तथा आज भी वहां सरस्वती तथा गणपति की पूजा होती है!

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भारत में जापानी सहयोग से सुजुकी मोटर्स ने संजय गांधी के साथ मारूति कार बनाना शुरू किया और सब मानते हैं कि मारूति 800 ने भारत की सड़कों का नक्शा ही बदल दिया! दिल्ली सहित अनेक प्रदेशों में मेटरो रेलगाडि़यां जापान की देन हैं तो भारत की पहली बुलेट टेन भी पूर्णताया जापानी सहयोग से ही निर्मित हो रही है! नेताजी सुभाषचंद्र बोस तथा क्रांतिकारी रासबिहारी बोस जापान के सामान्य जन के भी तर बेहद आदर और सम्मान के साथ याद किए जाते है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जापान की सहायता से ही अंडमान-निकोबार आजाद करवाया था और उसका नाम शहीद और स्वराज रखा था।

जापान के साथ वर्तमान समय में प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के मध्य असाधारण आत्मीय संबंधों ने एक नया अध्याय प्रारंभ किया! जापान यात्रा के समय नरेंद्र मोदी तत्कालीन सम्राट अकिहीतो से राजमहल में विशेष चर्चा के लिए आमंत्रित किए गए थे! नरेंद्र मोदी ने जापान में एक सशक्त और अत्यंत विश्वसनीय आत्मीय मित्र के नाते बहुत गहरी छाप छोड़ी है जिसके परिणामस्वरूप रक्षा क्षेत्र में जापान के साथ वार्षिक मलाबार सैन्य अभ्यास और नागरिक परमाणु सहयोग संभव हो पाया है!

जापानी फिल्मों के महानायक अकिरा कुरोसोवा, यासुजिरो तथा ताकाशी शिमीजु ने सत्यजीत रे और गुरुदत्त जैसे भारतीय महान निर्देशकों को प्रभावित किया!

हमारे जैसे संबंध जापान से हैं वैसे शायद ही किसी अन्य देश से हों! सम्राट नारुहितो जापान की सामान्य जनता के महानायक और पूजित प्रतीक हैं! जापान में सम्राट जीवनपर्यंत पद पर बने रहते हैं! केवल सम्राट अकिहीतो पिछले दो सौ साल में पहले ऐसे सम्राट हुए जिन्होंने अपने जीवन काल में ही सिंहासन त्यागा! सम्राट नारुहितो के साथ भारतीय जनता और विचारकों के संबंध बढ़ें या राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों के बढ़ने से भी ज्यादा जरूरी है!

- तरूण विजय

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