फिर तीस्ता जल समझौता नहीं होने देंगी ममता बनर्जी
हसीना की इस दिल्ली-यात्रा के दौरान तीस्ता नदी के जल के बंटवारे पर कोई समझौता होना संभव नहीं लगता, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उसे अपने राजनीतिक जीवन-मरण का प्रश्न बना लिया है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद की यह पहली राजकीय भारत-यात्रा है। वैसे पहले भी वे दो बार भारत आ चुकी हैं। एक बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पत्नी के निधन के समय और दूसरी बार गोवा में हुई, बिम्सटेक राष्ट्रों की बैठक में भाग लेने के लिए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2011 में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में ढाका गए थे। मोदी और हसीना ने 22 समझौतों पर दस्तखत किए थे। मोदी की ढाका-यात्रा के दौरान दोनों देशों की जल-थल सीमा पर मुहर लगी थी। हसीना की इस दिल्ली-यात्रा के दौरान तीस्ता नदी के जल के बंटवारे पर कोई समझौता होना संभव नहीं लगता, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उसे अपने राजनीतिक जीवन-मरण का प्रश्न बना लिया है।
उनका मानना है कि 2011 में मनमोहन सिंह इस जल-संधि को संपन्न करने पर इसीलिए उतारू थे कि उधर दोनों देशों के बीच यह संधि हो और इधर ममता सरकार गिर जाए। ममता बनर्जी का कहना है कि यदि तीस्ता का पानी बांग्लादेश को दिया गया तो हमारे खेत सूख जाएंगे। लाखों किसान भूखे मर जाएंगे। इसीलिए इस बार भी यह संधि नहीं हो पाएगी। फिर भी ममता दिल्ली आकर हसीना को दिए जा रहे भोज में भाग लेंगी।
तीस्ता-जल का मामला चाहे अभी अटका रहे लेकिन लगभग 25 समझौतों पर दोनों देश दस्तखत करेंगे। दोनों देशों के बीच रक्षा-समझौता होगा, जिसके तहत भारत की ओर से बांग्लादेश को हथियार बेचे जाएंगे, परमाणु सहयोग किया जाएगा, संयुक्त उत्पादन होगा और कुछ खतरों से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति बनाई जाएगी। इस समय बांग्लादेश को चीन ही सबसे ज्यादा हथियार बेच रहा है। उसने उसे दो पनडुब्बियां भी दी हैं। वह बांग्लादेश और बर्मा को जोड़ते हुए सीधी सड़क भी बनाना चाह रहा है। इधर दोनों देश कोलकाता, खुलना, ढाका बस सेवा का शुभारंभ भी करेंगे।
भारत-बांग्ला व्यापार का असंतुलन घटाने की दृष्टि से भारत पांच अरब डालर का ऋण भी देगा। पहले मनमोहन सिंह उसे एक अरब और मोदी दो अरब डालर दे चुके हैं। बांग्लादेश के रेल मार्गों के सुधार, कुशियारा-जमुना जल-मार्ग के निर्माण, सूचना तंत्र के सहयोग आदि कई अन्य मुद्दों पर भी समझौते होंगे। आतंकवादी ठिकानों को भी खत्म करने के लिए संयुक्त रणनीति पर विचार होगा। बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर भी विचार हो सकता है।
कुल मिलाकार बांग्लादेश को साधने पर भारत को इसलिए भी जोर देना होगा कि दक्षिण एशिया में भारत के पूर्वी देशों में वह सबसे बड़ा है। जब तक पाकिस्तान से संबंध सामान्य नहीं होते, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, बर्मा आदि देशों में एका करके भारत दक्षेस को मजबूत बना सकता है।
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक
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