दक्षिण एशिया के राष्ट्रों को आतंकवाद के मुद्दे पर होना होगा एकजुट

nations-of-south-asia-will-be-united-on-the-issue-of-terrorism

ईस्टर के दिन श्रीलंका के गिरजाघरों पर आक्रमण का एक बड़ा संदेश यह भी है कि इस्लामी आतंकवादी यूरोप और अमेरिका के ईसाइयों को बता रहे हैं कि लो, वहां नहीं तो यहां तुमसे हम बदला निकाल रहे हैं। इस घटना के बाद श्रीलंका के मुसलमानों का जीना हराम हो जाएगा।

श्रीलंका के सिंहल और तमिल लोगों के बीच हुए घमासान युद्ध ने पहले सारी दुनिया का ध्यान खींचा था लेकिन इस बार उसके ईसाइयों और मुसलमानों के बीच बही खून की नदियों ने सारी दुनिया को थर्रा दिया है। ईस्टर के पवित्र दिन श्रीलंका के गिरजाघरों और होटलों में हुए बम-विस्फोटों में 300 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए। उनमें दर्जनों, यूरोपीय, अमेरिकी और एशियाई लोग भी थे। इतना बड़ा आतंकी हिंसक हादसा दुनिया में शायद पहले कभी नहीं हुआ। 

इसे भी पढ़ें: श्रीलंका ने फर्जी खबरों को रोकने के लिए सोशल मिडिया पर लगायी पाबंदी

दुनिया के ईसाई और मुस्लिम देशों में इस घटना की कड़ी भर्त्सना हो रही है। यहां प्रश्न यही है कि आखिर यह हुआ क्यों ? सवा दो करोड़ की आबादीवाले श्रीलंका में लगभग डेढ़ करोड़ बौद्ध हैं, 25 लाख हिंदू हैं, 20 लाख मुसलमान हैं और 15 लाख ईसाई हैं। बौद्ध लोग सिंहलभाषी हैं। सिंहली हैं। ज्यादातर मुसलमान तमिल हैं और ईसाइयों में सिंहल और तमिल दोनों हैं। मुसलमानों और ईसाइयों के बीच जातिगत झगड़े का सवाल ही नहीं उठता। मुसलमानों और बौद्धों के बीच 2014 और 2018 में दो बार व्यक्तिगत मामलों को लेकर झगड़ा हुआ और वह दंगों में बदल गया।

इसे भी पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र ने श्रीलंका में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की

मुसलमानों का बहुत नुकसान हुआ। मुसलमानों को पता है कि बौद्ध लोग महात्मा बुद्ध की अहिंसा की बातें तो बहुत करते हैं लेकिन उनके-जैसी सामूहिक हिंसा दुनिया में बहुत कम जातियां करती हैं। इसीलिए उन्होंने अपना गुस्सा ईसाइयों पर उतारा। इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों का सहारा लिया। इस्लाम के नाम पर आतंक करने वाले संगठनों की साजिश के बिना इतना बड़ा हमला करना श्रीलंकाई मुसलमानों के बस की बात नहीं है। कई श्रीलंकाई मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया है। उनसे पता लगेगा कि इस साजिश के पीछे असली तत्व कौनसे हैं।  

ईस्टर के दिन श्रीलंका के गिरजाघरों पर आक्रमण का एक बड़ा संदेश यह भी है कि इस्लामी आतंकवादी यूरोप और अमेरिका के ईसाइयों को बता रहे हैं कि लो, वहां नहीं तो यहां तुमसे हम बदला निकाल रहे हैं। इस घटना के बाद श्रीलंका के मुसलमानों का जीना हराम हो जाएगा। अब बौद्ध और ईसाई मिलकर उनका विरोध करेंगे। कोई आश्चर्य नहीं कि 300 लोगों की मौत का बदला हजारों में लिया जाए। श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच पहले से दंगल चल रहा है और उसकी अर्थ-व्यवस्था भी पैंदे में बैठे जा रही हैं। ऐसे में श्रीलंका को सांप्रदायिक दंगों से बचाना बेहद जरुरी है। दक्षिण एशिया के राष्ट्रों को इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा और पाकिस्तान को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़