कश्मीर मुद्दे पर नवाज शरीफ के 22 दूत नयी नौंटकी
मियां नवाज ने अपने 22 सांसदों को यह काम सौंपा है कि वे विभिन्न देशों में जाएं और ढोल बजाएं। पहले कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान अमेरिका और नाटो देशों से मदद खींचता रहा लेकिन वे सब झरने अब सूखने लगे हैं।
कश्मीर के सवाल पर हमारी सरकार काफी पसोपेश में पड़ी हुई है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे? पहले तो हमारे सर्वज्ञ प्रधानमंत्रीजी ने मौन धारण कर लिया, फिर जब वे बोले तो उनके हृदय से करुणा की धारा प्रवाहित होने लगी और फिर वे ‘संविधान के दायरे’ में फंस गए। उन्होंने कश्मीर के स्थायी हल का गुब्बारा हवा में उड़ा दिया। स्थायी हल जब निकलेगा, तब निकलेगा, अभी तो कश्मीर के कोहराम को तुरंत शांत करने की तदबीर खोजिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अच्छी पहल की लेकिन उसका भी कोई परिणाम नहीं निकला। कर्फ्यू जारी है, पत्थरबाजी भी। गोलियां भी चल रही हैं। मौतों का दौर जारी है। अब क्या करें?
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मोदी से मिलकर कुछ ठोस सुझाव दिए हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल कश्मीर जाए और बात करे। अलगाववादियों से भी बात करे। एक गैर-सरकारी लोगों की समिति कायम की जाए जो कश्मीर के सभी पक्षों से खुलकर बात करे। ये सभी सुझाव पिछले डेढ़ माह में कई बार आए है। महबूबा ने कश्मीर की तकलीफों के लिए पाकिस्तान को खुलकर कोसा है, जो कि किसी भी कश्मीरी नेता के लिए साहस का काम है लेकिन उन्होंने पाकिस्तान से भी बात करने का सुझाव दिया है। ये सब बातें संविधान के दायरे में कैसे हो सकती है? इनके लिए तो इंसानियत का दायरा ही ठीक है लेकिन इंसानियत की समझ किसको है?
उधर पाकिस्तान का हाल देखिए। वह क्या कर रहा है? वह भी घिसे-पिटे पैंतरे अपना रहा है। नवाज़ शरीफ ने अरब लीग, संयुक्त राष्ट्र संघ वगैरह को चिटि्ठयां भेज दी हैं। पश्चिमी राष्ट्र अब कश्मीर से ऊब चुके हैं। कश्मीर में कुछ भी हो जाए, अब उनके कान खड़े नहीं होते। मियां नवाज ने अपने 22 सांसदों को यह काम सौंपा है कि वे विभिन्न देशों में जाएं और ढोल बजाएं। उनसे कोई पूछे कि इन सब नौटंकियों से क्या बेचारे कश्मीरियों के घावों पर कोई मरहम लगेगा? पहले कश्मीर के नाम पर पाकिस्तान अमेरिका और नाटो देशों से काफी मदद खींचता रहा लेकिन वे सब झरने अब सूखने लगे हैं। हां, चीन की रुचि अभी भी बनी हुई है, क्योंकि कश्मीर की हजारों वर्गमील जमीन पर उसे 1963 से कब्जा मिला हुआ है लेकिन वह ज्यादा मुखर नहीं है। तो नतीजा यह निकला कि पाकिस्तान अभी सिर्फ बातचीत पर ही जोर दे और बातचीत दोनों कश्मीरों, बलूचिस्तान, गिलगित और स्कार्दू के बारे में भी हो और उसका दायरा आकाश तक (नरसिंहरावजी) हो या इंसानियत (अटलजी) हो।
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