प्रश्न पत्र लीक मामले में सिर्फ सॉल्वर गैंग को सलाखों के पीछे भेजने से कुछ नहीं होगा

UPTET paper
अजय कुमार । Nov 30 2021 1:32PM

योगी राज में लीक हुई परीक्षाओं की बात की जाए तो सबसे पहले अगस्त 2017 में पुलिस भर्ती की परीक्षा रद्द हुई थी। इसी के दो महीने बाद नवंबर में हाईकोर्ट की ग्रुप सी व डी की परीक्षा में गड़बड़ियों का खुलासा हुआ था। 2018 पेपरलीक के मामले में साल भर सुर्खियों में रहा।

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2021 का प्रश्नपत्र लीक होते ही सरकार से लेकर शासन-प्रशासन तक ‘हिला’ हुआ है। योगी के तेवर सख्त हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि उनकी सरकार में पहली बार पेपर लीक प्रकरण नहीं सामने आया है। मार्च 2017 में योगी के शपथ लेने के बाद यह 5वां मौका है, जब पेपर लीक के चलते सरकार को शर्मसार होना पड़ रहा है। खासकर चुनावी मौसम में टीईटी का परीक्षा लीक होने से विपक्ष को बैठे-बैठाए राजनीति चमकाने का मौका मिल गया है। सीएम योगी पेपर लीक से इतने दुखी हैं कि उन्होंने यहां तक घोषणा कर दी है कि पेपर लीक करने वालों के घरों पर सरकारी बुलडोजर चलेगा। यह अच्छी बात है लेकिन कार्रवाई तो उन जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी होनी चाहिए जिन्होंने वह कदम ही नहीं उठाए जिससे पेपर लीक की घटना से बचा जा सकता था।

इसे भी पढ़ें: क्या 26 दिसंबर को नहीं होगी UPTET 2021 परीक्षा? सरकार ने जारी किया बयान

गौरतलब है कि एसटीएफ द्वारा भर्ती परीक्षाओं को फूलप्रूफ बनाने के लिए एक रिपोर्ट शासन को दी गई थी, लेकिन सरकार की नाक के नीचे बैठे अधिकारियों ने इस रिपोर्ट पर अमल करने की बजाए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। जबकि एसटीएफ द्वारा भर्ती परीक्षा प्रक्रिया से जुड़ी एजेंसियों को और विभाग को कई पत्र भी लिखे गये थे। एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में पेपर की चेन ऑफ कस्टडी को सबसे मजबूत बनाने का सुझाव दिया था। यूपी टीईटी की परीक्षा देने के लिए करीब 21 लाख अभयार्थी दूर-दराज के क्षेत्रों से परीक्षा सेंटर पर पहुंचे थे, इसमें से कई महिलाएं तो ऐसी थीं जो अपने छह-सात महीने के बच्चे को गोद में लिए परीक्षा देने आईं थीं। वैसे भी सरकारी प्रवेश परीक्षा देना कोई आसान काम नहीं होता है। नौकरी की तलाश में भटक रहे युवक-युवतियों को सुबह परीक्षा देने के लिए अपने गांव-शहर से एक दिन पूर्व निकलना पड़ता है, परीक्षार्थी जिस दिन परीक्षा होती है, उससे एक दिन पूर्व सेंटर जाकर देखते हैं। इसके बाद किसी की रात प्लेटफार्म पर तो किसी की धर्मशाला में गुजरती है। युवा परीक्षार्थी तो फिर भी किसी तरह मैनेज कर लेते हैं लेकिन असली समस्या लड़कियों की होती है जिन्हें रहने से लेकर खाने-पीने, वॉशरूम तक की जरूरत होती है।

रविवार की सुबह जब परीक्षार्थी परीक्षा केन्द्र पर पहुंचे तभी पता चल गया कि पर्चा लीक हो गया है। इसके बाद घर वापसी ही होड़ मच गई। लेकिन यहां भी सरकार की नाकामी मुंह बाय खड़ी दिखी। रोडवेज के अधिकारी लौट रहे परीक्षार्थियों के लिए न पर्याप्त बसों की व्यवस्था कर पाए, न ही मुख्यमंत्री का आदेश रोडवेज के अधिकारियों तक पहुंचा जिसमें उन्होंने कहा था कि लौट रहे परीक्षार्थियों से बस का किराया नहीं लिया जाएगा। वह एडमिट कार्ड दिखाकर बस से गंतव्य तक जा सकेंगे। अब योगी सरकार ने एक माह के भीतर पुनः परीक्षा कराये जाने की बात कही है।

बहरहाल, योगी राज में लीक हुई परीक्षाओं की बात की जाए तो सबसे पहले अगस्त 2017 में पुलिस भर्ती की परीक्षा रद्द हुई थी। इसी के दो महीने बाद नवंबर में हाईकोर्ट की ग्रुप सी व डी की परीक्षा में गड़बड़ियों का खुलासा हुआ था। 2018 पेपरलीक के मामले में साल भर सुर्खियों में रहा। इस वर्ष यूपीपीसीएल में 2,849 भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा का पेपर लीक हो गया था तो इसके बाद इसी वर्ष मेरठ में एमबीबीएस की परीक्षाओं में गड़बड़ी का खुलासा एसटीएफ ने किया था। 2018 में ही यूपी अधीनस्थसेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित 641 नलकूप चालक व लोअर सब सहायक पद की परीक्षाएं पेपर लीक के चलते कैंसिल हुई थीं। इसी साल पेपर लीक गिरोह ने यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित एलटी ग्रेड परीक्षा एवं पीसीएस मेंस परीक्षा का भी पेपर लीक करा दिया गया था। यूपी एसटीएफ ने लोकसेवा आयोग की नियंत्रक अंजूल लता कटियार समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। दिसंबर 2019 में लखनऊ विश्वविद्यालय की लॉ परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। आश्चर्य इस बात का नहीं है कि यूपीटीईटी परीक्षा का पेपर लीक हो गया है, अफसोस यह है कि जिन लोगों के कंधों पर परीक्षा की जिम्मेदारी थी, वह मीडिया में ‘ताल’ ठोकते रहे और परीक्षा का पेपर लीक नहीं हो इस ओर इनके द्वारा कोई ठोस कदम ही नहीं उठाया गया।

इसे भी पढ़ें: UPTET पेपर लीक मामले में लखनऊ से प्रयागराज तक एक्शन, CM योगी ने दोषियों की संपत्ति जब्त करने का दिया निर्देश

21 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के भविष्य से जुड़ी यूपीटीईटी परीक्षा के रद्द होने से परीक्षार्थियों की नाराजगी और विपक्ष के हो-हल्ले को भांपते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महीने के अंदर दोबारा परीक्षा कराने का ऐलान करके परीक्षार्थियों के साथ खड़े होने का भरोसा दिया है। परीक्षा केंद्रों तक आने-जाने के लिए अभ्यर्थियों को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा भी दी जाएगी। पर्चा लीक करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराने और उनकी संपत्तियां जब्त करने का आश्वासन भी दिया गया है। यह आश्वस्ति अपनी जगह है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कोई साल्वर गैंग इतनी बड़ी परीक्षा की शुचिता भंग करने में सफल कैसे हो गया।

उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की परीक्षाओं पर पूर्व में दाग लगे होने के बावजूद इसी एजेंसी को यूपीटीईटी का जिम्मा क्यों दिया गया, इसका भी जवाब खोजना ही पड़ेगा। टीईटी परीक्षा लीक होने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों के साल्वर और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी बताती है कि पर्चा लीक करने वालों का गैंग कितना बड़ा है और उसका दायरा कितना विस्तृत। यह तय माना जाना चाहिए कि बिना किसी सरकारी और राजनैतिक संरक्षण के कोई इतना बड़ा गैंग नहीं चला सकता है। नकल माफिया और सॉल्वर गैंग और परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के बीच लुका-छिपी का खेल चलता है। टीईटी परीक्षा का पर्चा लीक होना परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के साथ-साथ संगठित अपराध पर नजर रखने वाले पुलिस और खुफिया तंत्र की भी बड़ी नकामी है। स्पेशल टास्क फोर्स साल्वर गैंग और उनके नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश करेगी ही लेकिन इससे इतना स्पष्ट है कि पूर्व की घटनाओं से अभी कोई सबक नहीं लिया गया है। डीएलएड परीक्षा भी पर्चा आउट होने के कारण रद्द करनी पड़ी थी। पीएनपी की ही देखरेख में हुई 68,500 शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रकरण हाई कोर्ट पहुंचने पर पता लगा कि कई अभ्यर्थियों की कॉपी के अंक दूसरों को चढ़ा दिए गए थे। अदालती आदेश पर हुए पुनर्मूल्यांकन में करीब साढ़े चार हजार अभ्यर्थी सफल हुए थे। हालांकि, यह भर्ती अभी तक अटकी ही है।

बहरहाल, यूपीटीईटी की शुचिता को छिन्न-भिन्न करने वालों के विरुद्ध सरकार को इतनी कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए कि भविष्य में कोई ऐसा करने की हिमाकत नहीं कर सके। बात विपक्ष की कि जाए तो गैर बीजेपी दल परीक्षा पेपर लीक को चुनावी रंग देने में लग गए हैं। सपा मुखिया बता रहे हैं कि बीजेपी सरकार में हर स्तर पर कुप्रबंधन है। देश-प्रदेश में शैक्षिक भ्रष्टाचार चल रहा है तो बसपा सुप्रीमो मायावती कह रही हैं कि भाजपा राज में पेपर लीक होना आम बात है। इसके साथ ही मायावती, समाजवादी सरकार को भी आड़े हाथ लेने से नहीं चूकीं और कहा कि सपा सरकार में नकल आम बात थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा को लगता है कि पेपर लीक होना ही भाजपा सरकार की पहचान है। वहीं बुद्धिजीवियों का कहना है कि परीक्षा का पेपर लीक होने से परीक्षार्थियों का मनोबल गिरता है। परीक्षार्थिंयों को आर्थिक और शारीरिक तथा मानसिक कष्ट भी होता है। कुल मिलाकर परीक्षा सुरक्षा के इंतजाम पहले ही कर लिए जाते तो आज यह नौबत ही नहीं आती। अब सरकार जो भी करेगी, उसे साँप के निकल जाने के बाद लाठी पीटने से ज्यादा कुछ नहीं समझा जाएगा। तब तक खासकर जब तक की सॉल्वर गैंग के सदस्यों के साथ सरकारी ओहदों पर बैठकर ऐसी घोर लापरवाही करने वालों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाता है।

-अजय कुमार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़