भाजपा और संघ पर हमला कर बिलकुल ठीक कर रहे हैं राहुल

Rahul are doing right thing by attacking the RSS and BJP

राहुल गांधी उतने युवा नहीं हैं। वह 48 साल की उम्र में कांग्रेस के अब तक के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष हैं। यह देखना अभी बाकी है कि देश जिन समस्याओं का सामना कर रहा है उसका हल उनके पास है।

राहुल गांधी कांग्रेस के आकाश का नया सितारा हैं। उनकी मां सोनिया गांधी ने उन्हें विरासत सौंप दी है और वह पार्टी के अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी जवाहर लाल नेहरू के पड़पोते हैं। इस तरह, जब कभी पार्टी वोट पाकर सत्ता में आएगी, प्रधानमंत्री पद खानदान में ही रहेगा। इसने स्वाभाविक तौर पर एकता का भाव दिया है जो विभाजन और विविधता वाले देश के लिए महत्वपूर्ण है।

राहुल गांधी उतने युवा नहीं हैं। वह 48 साल की उम्र में कांग्रेस के अब तक के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष हैं। यह देखना अभी बाकी है कि देश जिन समस्याओं का सामना कर रहा है उसका हल उनके पास है। लेकिन वह एकदम साफ बात करने वाले माने जाते हैं। उन्होंने देश को विभाजित करने के लिए भाजपा और उसके मार्ग दर्शक आरएसएस पर ठीक ही हमला किया है। आक्रामक राहुल ने भ्रष्टाचार का सवाल उठाकर प्रधानमंत्री मोदी को खास तौर पर निशाना बनाया है।

फिर भी, इराक में 39 भारतीयों की हत्या के लिए पार्टियों का इकट्ठा होकर सरकार पर हमला बोलना अनुचित है। इन लोगों को चार साल पहले अगवा कर लिया गया था। लोगों की इच्छा थी कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीयों को रिहा करने के लिए पश्चिम के दबाव का उपयोग किया होता। पश्चिम का रवैया समझ से बाहर है। उनमें से किसी ने भी इस नरसंहार पर दुख नहीं जताया है। यह तीसरी दुनिया, जहां काले और सांवले लोग रहते हैं, के प्रति पश्चिम की हिकारत को दिखाता है।

इसी तरह, कांग्रेस ने नरसंहार के लिए भाजपा को निशाना बनाया है। कांग्रेस ने हत्या की घोषणा में देरी के लिए सरकार को दोषी बताया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सरकार की आलोचना की है कि उन्होंने बंधकों के परिवार को ''झूठी उम्मीद'' दी। ''यह हर भारतीय को दुखी करने वाला है, बाकी मैं पूछता हूं कि सूचना देने में सरकार ने क्यों देरी की। उन्हें यह बताना चाहिए कि यह कैसे हुआ और वे कब मरे। सरकार ने जिस तरह लोगों को उम्मीदें बंधा दी, वह भी सही नहीं था,'' उन्होंने कहा।

अभी तक, संसद का रवैया बस रसहीन रहा। इसकी बहसों में कांग्रेस तथा भाजपा के बीच का मतभेद दिखाई देता है। माना कि दोनों दो छोर पर खड़े हैं, उन्हें नरसंहार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर साथ आना चाहिए था। स्वराज की इस सफाई के आधार पर माफी नहीं मिल सकती कि वे जानकारी को लेकर पक्का हो जाना चाहते थे। इसे माफ करने के लिए उन्हें सरकारी कार्रवाई की घोषणा करनी चाहिए थी। अभी तो यही लगता है कि सरकार हत्याओं पर उभरे स्वाभाविक क्रोध को लेकर उदासीन हो गई है।

लेकिन उनका यह कहना सही था कि पक्के सबूतों के बगैर सरकार हत्याओं की घोषणा नहीं कर सकती थी। ''किसी भी जिम्मेदार सरकार का यह कर्तव्य है कि वह बिना पुष्टि के किसी को मृत नहीं घोषित करे। हमने पहले भी कहा है कि बिना सबूतों के हम किसी को मरा हुआ घोषित नहीं करेंगे और पुष्टि हो जाने के बाद एक दिन भी इंतजार नहीं करेंगे'' सुषमा स्वराज ने कहा।

''क्या हम लाशों पर राजनीति करने जा रहे हैं? मैं कांग्रेस से पूछना चाहती हूं कि उसने सदन कार्यवाही में आज बाधा क्यों डाली?'' स्वराज ने कहा ''मैं आज लोकसभा भारी हृदय के साथ गई थी और उससे भी ज्यादा निराशा के साथ बाहर निकली,'' उन्होंने सदन में हंगामे के बाद आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा।

मेरी राय में, राहुल गांधी को एक नया अध्याय शुरू करना चाहिए। एकता या यहां तक कि उसकी झलक भी, हत्याओं की घोषणा में हुई देरी पर हो रही आलोचना की धार को कुंद कर सकती है। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं है। मुस्लिम देशों को नरसंहार की निंदा के लिए तैयार किया जा सकता था। हमें अपने पड़ोसी देशों, पाकिस्तान और बांग्ला देश को नरसंहार के खिलाफ सामने आने के लिए राजी करने में सक्षम होना चाहिए था।

इस बीच, यह सुनिश्चित करने के लिए 2019 में भाजपा सत्ता में नहीं आए, गैर−भाजपा पार्टियों को साथ लेने के लिए सोनिया गांधी की ओर से भोज पर की गई बैठक एक सही दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भोज का आयोजन राजनीति के लिए नहीं, बल्कि विरोधी पार्टियों के बीच मित्रता और सद्भाव के लिए किया गया था। इरादा राजनीतिक नहीं है बल्कि जब देश किसानों में फैली बेचैनी समेत कई समस्याओं का सामना कर रहा है, परिवार की तरह के माहौल में बातचीत करना है।

सुरजेवाला ने कहा कि जब संसद नहीं चल पा रही है, यह जाहिर है कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा के लिए साथ मिलेंगे। सोनिया राष्ट्र के व्यापक हित में स्थानीय मुद्दों को भुलाने और साथ आने का आग्रह करते हुए, 2019 में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए व्यापक विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने का काम मजबूती से करती रही हैं।

जाहिर है, भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए राजनीतिक पार्टियों के साथ आने की यह शुरूआत है। सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि जल्द ही व्यापक बैठक होगी। पवार ने विपक्षी पार्टियों की एक दूसरी बैठक महीने के अंत में बुलाई है। लेकिन भाजपा ने सोनिया के भोज के बाद प्रहार किया। ''ऐसा लगता है कि सोनिया और राहुल गांधी लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं। वे बाहर में लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन संसद में इस पर अमल नहीं करते हैं। कांग्रेस के जीन में लोकतंत्र नहीं है,'' संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा।

कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी महाधिवेशन में भाजपा पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ा और दावा किया कि मोदी सरकार सांठगांठ वाले भारत के बड़े पूंजीपतियों के साथ मिल गई है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा एक संगठन की आवाज है, जबकि कांग्रेस देश की आवाज है। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अपने शासन के आखिरी सालों में मनमोहन सरकार ने लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं कीं। उन्होंने कहा, ''हम लोग इंसान हैं और गलती करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी समझते हैं कि वह इंसान नहीं, भगवान के अवतार हैं।''

राहुल ने अपने समापन भाषण में कहा कि कांग्रेस देश को आगे ले जाएगी। देश के सभी नौजवानों के लिए हम औजार हैं। कांग्रेस आपकी पार्टी है। ''हम आपकी प्रतिभा, आपकी बहादुरी तथा आपकी ऊर्जा के लिए दरवाजा खोलना चाहते हैं। यह देश संघर्ष कर रहा है और इसे आपकी आवश्यकता है,'' उन्होंने कहा। 

यह देखना बाकी है कि राहुल कांग्रेस के भीतर की बीमारियों को किस हद तक दूर कर सकते हैं। लोग उनकी कार्रवाई या कामकाज की प्रतीक्षा में हैं। पहली चीज है रोजगार। क्या वह हर साल दो लाख रोजगार पैदा कर सकते हैं और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 11 प्रतिशत ले जा सकते हैं ताकि आर्थिक पिछड़ापन दूर हो सके? 

-कुलदीप नायर

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