NRC पर इंदिरा और राजीव के रुख से विपरीत है राहुल गांधी का रुख

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अजय कुमार । Aug 3 2018 1:56PM

बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले पर मौजूदा कांग्रेस नेता अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सोच का ध्यान रखते तो शायद न कभी घुसपैठियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते और न ही बीजेपी को उनके खिलाफ हमलावर होने का मौका मिलता।

कांग्रेस नेतृत्व अपनी अदूरदर्शिता और अपरिपक्वता के चलते बार−बार जग हंसाई कराता रहता है। अगर ऐसा न होता तो बंग्लादेशी घुसपैठियों के मसले पर उसे एक कदम आगे बढ़ाने के बाद दो कदम पीछे नहीं जाना पड़ता। बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले पर मौजूदा कांग्रेस नेता अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सोच का ध्यान रखते तो शायद न कभी घुसपैठियों के पक्ष में खड़े दिखाई देते और न ही बीजेपी को उनके खिलाफ हमलावर होने का मौका मिलता। इंदिरा गांधी समय−समय पर घुसपैठ पर चिंता जताती रहती थीं तो राजीव गांधी सरकार ने असम में घुसपैठियों की पहचान के लिये नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाने का फार्मूला तैयार किया था। घुसपैठियों का समर्थन करके पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भले कुछ सियासी फायदा मिल जाये, लेकिन कांग्रेस का ऐसे मसलों को हवा देने से भला कम नुकसान ज्यादा हो सकता है। जैसा कि पूर्व में मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी बताने से हुआ था। कांग्रेस ने घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच के अंतर को भी मिटाने की कोशिश की जो किसी भी तरह से उचित नहीं थी।

हिन्दुस्तान में घुसपैठिए हमेशा से एक बड़ी समस्या रहे हैं। देश का कोई भी राज्य इससे अछूता नहीं है तो बांग्लादेश और पाकिस्तान से लगी सीमाओं वाले राज्य में स्थिति ज्यादा ही खराब है। इस पर लम्बे समय से बहस चलती रही है। वामपंथी सोच के नेताओं ने तो कभी घुसपैठ का विरोध किया ही नहीं और ममता बनर्जी, महबूबा मुफ्ती तथा फारूख अब्दुल्ला जैसे नेता इस मसले पर समय के साथ आगे−पीछे होते रहे हैं। कई ऐसे नेता भी हैं जिनकी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद घुसपैठियों के मसले पर राय बदल गई है। इसमें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियां शामिल हैं, जो 2014 से पूर्व तक खुल कर मुस्लिम तुष्टिकरण की सियासत किया करते थे, लेकिन अब इन दलों के नेता हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण न हो जाये इसलिये मुस्लिम प्रेम दिल में रखकर दबी जुबान से ऐसे मसलों पर मुंह खोलते हैं। वहीं भाजपा घुसपैठियों के मसले पर खुलकर विरोध में उतर आती है। बीजेपी को यह मुद्दा बेहद सूट करता है, इसीलिये उसके नेता असम के बाद पश्चिम बंगाल, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एन.आर.सी) की बनाने की मांग जोरदार तरीके से कर रहे हैं।

बहरहाल, असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का डाटा जारी होने के बाद पूरे देश की राजनीति गरमाई है। आज भले कांग्रेस पीछे हट गई हो, लेकिन वह इससे मुंह मोड़ भी नहीं पा रही है। पूरा विपक्ष आक्रामक रूप से इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी पलटवार जारी है। अलग−अलग राजनीतिक दलों ने इस पर अपना रुख स्पष्ट किया है, इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक पुराना इंटरव्यू चर्चा में है। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों पर खुलकर बात की थी। दिसंबर, 1971 में जब पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था उससे काफी समय पहले से ही बांग्लादेशी शरणार्थियों ने भारत में आना शुरू कर दिया था, जिसके चलते तत्कालीन इंदिरा सरकार को काफी परेशानियां हुई थीं। 19 मई 1971 को इंदिरा गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वहां (बांग्लादेश, तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) कुछ भी होगा, तो हमें बहुत परेशानी हो जाएगी। हमारे यहां अभी भी लाखों शरणार्थी हैं, जो सीमा पार कर आए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस तरह के माहौल और घुपैठियों के चलते हमारी अर्थव्यवस्था, राजनीति हर चीज पर फर्क पड़ता है। सभी को अपनी जगह वापस जाना ही होगा।

जब इंदिरा से पूछा गया कि अगर इन्हें ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) से वेस्ट पाकिस्तान (पाकिस्तान) जाने में परेशानी हुई तो क्या होगा। इस पर इंदिरा जी ने कहा था कि इसका कोई उपाय तो निकालना ही होगा, क्योंकि हम जनसंख्या में इजाफा बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि एक गांव था जिसकी जनंसख्या 7000 थी, लेकिन वहां अचानक 60000 शरणार्थी आ गए। अब आप समझ सकते हैं वहां के स्कूल, अस्पताल आदि जगहों पर किस तरह का दबाव पड़ा होगा।

बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा 30 जुलाई 2018 को जारी किया गया था। असम देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं। जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं। हालांकि अभी इन्हें एक और मौका दिया जायेगा। यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई में आगे बढ़ रही है, तब भी सियासत चरम पर हो तो समझा जा सकता है कि नेताओं को देश से अधिक अपनी पार्टी की चिंता है। इसीलिये तो कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा राज्यसभा में कहते हैं कि भाजपा और केंद्र सरकार को राष्ट्रहित एवं एकता के इस मुद्दे पर जिम्मेदाराना बर्ताव करना चाहिए। कांग्रेस एक बड़ी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी की तरह छोड़ दिए जाने का मुद्दा उठा रही है और यह अस्वीकार्य है। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे देश में किसी भी नागरिक को जाति−धर्म के आधार पर बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

-अजय कुमार

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