राजस्थान में माहौल तो कांग्रेस के अनुकूल है, बस पार्टी आपसी झगड़ा खत्म कर ले तो दोबारा जीत तय है

Rajasthan Congress
ANI

राजस्थान में इस साल चुनाव होने हैं। मगर कांग्रेस में नेतृत्व का असमंजस बना हुआ है। हालांकि चुनावी वर्ष को लेकर कांग्रेस ने कार्य शुरू कर दिया है। इसके बावजूद नेतृत्व के स्तर पर स्थितियां साफ नहीं होने से कांग्रेस में अंदरूनी स्तर पर असमंजस और खींचतान बनी हुई है।

राजस्थान में दिसंबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह चुनावी मूड में लग रही है। प्रदेश में 18 दिनों तक चली राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा के बाद कांग्रेस संगठन भी सक्रिय हो गया है। कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी बने सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पद संभालते ही प्रदेश कांग्रेस में लम्बे समय से रिक्त पड़े संगठन के पदों पर नियुक्तियां करवानी प्रारंभ करवा दी है। जिससे कांग्रेस संगठन में हलचल होने लगी है। लम्बे समय से सुस्त पड़े कांग्रेस कार्यकर्ता भी अब तरोताजा लग रहे हैं।

प्रदेश प्रभारी रंधावा ने जहां प्रदेश कांग्रेस के रिक्त पड़े सभी 400 ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों में से अधिकांश ब्लॉक अध्यक्षों का मनोनयन करवा दिया है। वहीं पहली बार मंडल इकाई का भी गठन करवाया जा रहा है। यह कांग्रेस में एक नई शुरुआत है। इससे बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को संगठन में पदाधिकारी बनाया जा सकेगा। जिससे कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी के साथ जुट कर चुनाव में काम करेंगे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा समाप्त होने के बाद 27 जनवरी से प्रदेश कांग्रेस कमेटी एक नया कार्यक्रम हाथ जोड़ो अभियान चलाएगी। 18 दिसंबर को अलवर के मालाखेड़ा में भारत जोड़ो यात्रा के तहत आयोजित जनसभा में राहुल गांधी ने कहा था कि मुझे भाजपा वाले बुरे नहीं लगते हैं। मैं रास्ते में जाता हूं तो इशारा करके पूछते हैं कि क्या कर रहे हो? मैं उन्हें जवाब देना चाहता हूं कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं। आइए आप भी बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलिए। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, अंबेडकर साहब ने भी मोहब्बत की दुकान खोली थी। राहुल गांधी के भाषण की इन लाइनों को अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी घर-घर पहुंचाने का काम करेगी। इसके लिए पार्टी ने काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस पदाधिकारी घर-घर जाएंगे और लोगों से सीधे बात करेंगे।

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इसी अभियान के तहत राहुल गांधी के पत्र हर घर तक पहुंचाए जाएंगे। राहुल गांधी का व्यक्तिगत पत्र प्रदेश के हर घर में पहुंचाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों को टास्क दे दिया गया है। अगले दो महीने में प्रदेश के हर कोने तक राहुल गांधी के इस संदेश को लोगों को तक पहुंचाया जाएगा। इस अभियान की निगरानी के लिए प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षकों बनायाा गया है। बताया जा रहा है कि ये पत्र घर जाकर दिया जाएगा ताकि जनता से सीधा संवाद भी हो और उनकी परेशानी व मुद्दों को सुना जाए।

इस कार्यक्रम के लिये आयोजित होने वाली पदयात्रा दो महीने तक गांवों में रहेगी। एक महीने में सभी पॉलिंग बूथ कवर किए जाएंगे। हर गांव में मीटिंग होंगी। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर संदेश लेकर जाएंगे। पत्र में राहुल गांधी के संदेश के साथ मोदी सरकार की नाकामियां भी बतायी जायेंगी। गांवों में यात्रा का वीडियो भी दिखाया जाएगा। हर गांव के ग्रुप भी बनेंगे। गांवों में युवक कांग्रेस व एनएसयूआई बाइक रैली निकालेंगी। जिला स्तर पर कार्यकर्ता मेला लगाया जाएगा। इसमें प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री व वरिष्ठ नेता भाग लेंगे। प्रदेश स्तर पर महासंगम होगा। कांग्रेस महारैली का भी आयोजन किया जाएगा। इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अन्य बड़े नेता आएंगे।

राजस्थान का बजट भी इस बार अलग हट कर होगा। माना जाता है कि राजस्थान का बजट पूरे देश को रास्ता दिखाता है। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के लिये फिर से पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद कांग्रेस शासित व अन्य कई राज्यों ने भी इस योजना को लागू करने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा आने वाले बजट में प्रदेश को बहुत कुछ खास मिलने वाला है। कांग्रेस का बजट आम आदमी का बजट होता है। राहुल गांधी की यात्रा के दौरान राजस्थान सरकार द्वारा गरीब परिवारों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की जा चुकी है।

चुनावी वर्ष में प्रशासन को भी और अधिक सक्रिय किया जा रहा हैं। सियासी तापमान नापने के लिए सभी जिला कलेक्टर और मंत्री भी जल्द ही गांव-कस्बों में महीने में दो बार जन सुनवाई कर रात्रि चौपाल लगाएंगे। चुनावी वर्ष में गुड गवर्नेंस को प्रभावी बनाने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऐसा होने जा रहा है। जिलों में जहां भी संभव होगा मंत्रियों-कलेक्टरों की मीटिंग्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर स्थित सचिवालय से भी जोड़ा जाएगा। जिससे समस्याओं को हाथों-हाथ ही निपटाया जा सके।

इस विषय में जयपुर के ओटीएस में चिंतन शिविर का आयोजन होगा। चिंतन शिविर की मुख्य थीम ही गुड गवर्नेंस है। शिविर में सभी बजट घोषणाओं और घोषणा पत्र में किए गए वादों पर ही सभी मंत्रियों को प्रजेंटेशन देना है। इस में मंत्री बीते चार वर्षों में घोषणाओं पर अब तक हुए काम को बताएंगे और शेष रही घोषणाओं को कब तक पूरा करेंगे इस विषय में अपना प्लान साझा करेंगे। इसका उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी को कसने के साथ ही सरकार के परफोर्मेंस के बारे में राजनीतिक फीडबैक भी जुटाना है। कुछ महीने बाद सरकार के सामने विधानसभा चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में कलेक्टर-मंत्रियों के जरिए मिलने वाला फीडबैक मददगार साबित हो सकता है।

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मगर कांग्रेस में नेतृत्व का असमंजस बना हुआ है। हालांकि चुनावी वर्ष को लेकर कांग्रेस ने कार्य शुरू कर दिया है। इसके बावजूद नेतृत्व के स्तर पर स्थितियां साफ नहीं होने से कांग्रेस में अंदरूनी स्तर पर असमंजस और खींचतान बनी हुई है। इसका असर कार्यक्रमों और तैयारियों पर देखने को मिल रहा है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई जगजाहिर हो चुकी है। दोनों की यह लड़ाई जुलाई 2020 में हुई बगावत के बाद से लगातार चल रही है। वहीं 25 सितम्बर 2022 को हुई इस्तीफा पॉलिटिक्स के बाद यह और गहरा गई।

पार्टी आलाकमान ने इस मसले पर अभी तक कोई निर्णय नहीं किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी के लिये गहलोत और पायलट दोनों को जरूरी बता रहे हैं। अशोक गहलोत 2023 के अंत तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे या चुनाव से पहले सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जायेगा। यह स्थिति अभी साफ नहीं हुई है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि पार्टी इस असमंजस के हालातों में ही खुद को सबसे बेहतर स्थिति में देख रही है।

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कांग्रेस में ऊपरी स्तर पर खींचतान और असमंजस की स्थिति का असर नीचे के स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। चुनावी साल में जिम्मेदारियों को लेकर नेता असमंजस में हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगता है कि अब भी मुख्यमंत्री बदला जा सकता है। अगर मुख्यमंत्री नहीं बदलता है तो पार्टी प्रदेशाध्यक्ष व चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष का पद पायलट खेमे के पास जा सकता है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर उहापोह की स्थिति में नजर आ रही है जो पार्टी के हित में नहीं है।

-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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