कश्मीर के निकाय चुनावों पर आतंकी साया, 177 वार्डों में कोई उम्मीदवार नहीं

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कश्मीर में स्थानीय निकाय के चुनावों पर आतंकी साया अपना पूरा असर दिखा चुका है। साथ ही संविधान की धारा 35-ए को मुद्दा बनाकर चुनाव बहिष्कार की राजनीतिक दलों की मुहिम ने भी अपना रंग दिखाया है।

श्रीनगर। कश्मीर में स्थानीय निकाय के चुनावों पर आतंकी साया अपना पूरा असर दिखा चुका है। साथ ही संविधान की धारा 35-ए को मुद्दा बनाकर चुनाव बहिष्कार की राजनीतिक दलों की मुहिम ने भी अपना रंग दिखाया है। नतीजतन कश्मीर के 624 वार्डों में से 177 पर किसी भी उम्मीदवार ने पर्चा नहीं भरा। जिन 215 में लोगों ने हिम्मत दिखाई वे निर्विरोध जीत गए। पर जम्मू संभाग में कई वार्डों में बहुकोणीय मुकाबला है।

आतंकी धमकी का सबसे ज्यादा असर दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों में दिखा है। दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों की 177 वार्डों में वह भारतीय जनता पार्टी भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने की हिम्मत नहीं दिखा पाई जिसने अन्य उन स्थानों पर उम्मीदवार उतार कर निर्विरोध विजय हासिल कर ली जहां पर नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बहिष्कार ने अपना रंग दिखाया था।

दक्षिण कश्मीर में आतंकी धमकी अपना असर इसलिए दिखा रही है क्योंकि इन जिलों में आतंकियों का दबदबा बरकरार है। दरअसल कश्मीर में आतंकियों द्वारा अब पुलिस के बाद निकाय चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवारों को धमकी दी जा रही है। हिज्बुल मुजाहिदीन द्वारा जारी एक वीडियो में कहा गया है कि जिस किसी ने चुनाव में नामांकन किया है वो अपना नाम वापस ले लें, नहीं तो इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा। इससे पहले लश्कर ने बीते दिनों एक ऑडियो जारी कर पुलिस वालों को धमकी दी थी और तीन दिन के अंदर अंजाम भुगतने के लिए भी कहा था। उन्होंने कहा था कि सुरक्षाकर्मियों की ओर से आतंकियों के घर में तोडफ़ोड़ पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

हिज्बुल आतंकी ने ऑडियो में कहा था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और अन्य सभी सुरक्षा बलों के साथ-साथ केंद्र सरकार में काम करने वाले उन सभी कश्मीरियों की हत्या कर देंगे जो अगले 3 दिनों के अंदर इस्तीफा नहीं देंगे। उसने कहा था कि भारत की सरकार एक साजिश के तहत लोगों को एसपीओ बना रही है। कई विभागों में रिक्तियां हैं, लेकिन पुलिस बल में ही भर्तियां हो रही हैं। नाइकू ने सभी एसपीओ से कहा कि वे आतंकवादियों की सूचना पुलिस को न दें और फौरन नौकरी छोड़ दें, वरना गंभीर परिणाम होगा।

नतीजा सामने है। दक्षिण कश्मीर में 177 वार्डों में चुनावी रंगत ही नहीं है क्योंकि कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं है। पर बाकी इलाकों में थोड़ी बहुत रंगत पहली बार कश्मीर में चुनाव मैदान में उतरी भाजपा के कारण जरूर है। कश्मीर के 624 वार्डों में से 215 पर उम्मीदवार बिना विरोध के चुनाव इसलिए जीत चुके हैं क्योंकि वे अकेले ही मैदान में थे। इनमें से अधिकतर भाजपा के उमीदवार हैं।

दरअसल नेकां और पीडीपी ने चुनावों के बहिष्कार की घोषणा कर रखी है। हालांकि कश्मीर की 232 वार्डों में 715 उम्मीदवार मैदान में हैं। गणित के मुताबिक, प्रत्येक वार्ड में तीन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। इनमें नेकां और पीडीपी के उम्मीदवार मैदान में नहीं हैं। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, कश्मीर में कोई भी चुनाव नेकां और पीडीपी की गैर मौजूदगी के कारण बेमायने है।

इतना जरूर था कि जम्मू संभाग और लद्दाख चुनावी रंग में रंगे हुए हैं। जम्मू संभाग में 534 वार्डों में 2136 उम्मीदवार मैदान में हैं जबकि 13 निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इसी तरह से लद्दाख संभाग के लेह और करगिल जिलों में 26 वार्डों में मुकाबला कड़ा है।

सुरेश डुग्गर

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