जी-20 क्या है, 2018 का सम्मेलन आखिर क्यों मोदी के लिए है खास ?

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अर्जेंटीना में जी-20 देशों की बैठक में प्रमुख वैश्विक चुनौतियों और घटनाक्रमों पर विश्व के महत्वपूर्ण नेताओं ने विचार विमर्श किया। इस सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और भगोड़े आर्थिक अपराधियों जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है।

अर्जेंटीना में जी-20 देशों की बैठक में प्रमुख वैश्विक चुनौतियों और घटनाक्रमों पर विश्व के महत्वपूर्ण नेताओं ने विचार विमर्श किया। इस सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और भगोड़े आर्थिक अपराधियों जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी सरकार के जन धन योजना, मुद्रा योजना, आयुष्मान भारत और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया।

इस सम्मेलन से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ त्रिपक्षीय बैठक पर भी दुनिया भर की नजरें लगी रहीं। ट्रंप, आबे और मोदी के बीच यह बैठक ऐसे समय हुई जबकि चीन दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद में उलझा हुआ है। इसके अलावा वह पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ विवाद में उलझा हुआ है। दोनों ही क्षेत्रों को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में संपन्न माना जाता है। इस त्रिपक्षीय बैठक के अलावा एक और महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय बैठक हुई जिस पर सभी की निगाहें रहीं। यह बैठक रूस, भारत और चीन के बीच हुई। खास बात यह है कि इन तीनों देशों के बीच ऐसी त्रिपक्षीय बैठक पूरे 12 साल के अंतराल के बाद हो रही है। रूस, भारत और चीन (आरआईसी) की त्रिपक्षीय बैठक में मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भाग लिया।

आखिर जी-20 है क्या ?

सात प्रमुख देशों के संगठन जी-7 ने 25 सितंबर 1999 को एक नया संगठन जी-20 बनाने की घोषणा की थी। ये दुनिया के 20 ताकतवर देश जिनमें यूरोपियन देश भी शामिल हैं, का ऐसा समूह है जोकि हर वर्ष एक सम्मेलन का आयोजन कर उभर रही वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करता है और उसका समाधान ढूंढने की कोशिश करता है। इस समूह के गठन का उद्देश्य उभरती आर्थिक शक्तियों को नये प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना और वैश्विक बाजारों में तेजी और स्थिरता प्रदान करना था। अगर आज की बात करें तो जी-20 का दुनिया की 85 फीसदी अर्थव्यवस्था और 75 फीसदी व्यापार पर पूरी तरह कंट्रोल है और अगर वैश्विक जनसंख्या की बात करें तो यह समूह 60 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। यह समूह कितना शक्तिशाली है इसका अंदाजा आपको इसमें शामिल देशों के नाम जानकर लग जायेगा। इस समूह में शामिल हैं- अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की शामिल हैं।

अब बात करते हैं इस सम्मेलन की प्रमुख बातों पर

-अर्जेन्टीना की मेजबानी में हो रहे 13वें जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जी-20 का लक्ष्य विश्व की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बहुपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करना है। यद्यपि दस वर्ष के अपने अस्तित्व में जी-20 ने स्थिर और सतत वैश्विक विकास को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है। यह उद्देश्य विकासशील देशों और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यवसाय की स्थिति, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय तथा कर प्रणालियों, कार्य भविष्य, महिला सशक्तिकरण, सरंचना तथा सतत विकास जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे।

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-जी-20 सम्मेलन में भाग लेने पहुँचे प्रधानमंत्री ने सम्मेलन से इतर योग फॉर पीस कार्यक्रम में भी भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि योग अर्जेंटीना और भारत के बीच विशाल दूरी को पाट रहा है और दोनों देशों के लोगों को जोड़ रहा है। मोदी ने कहा कि योग स्वास्थ्य और शांति के लिये भारत की ओर से दुनिया को तोहफा है। प्रधानमंत्री ने हिंदी में कहा, ‘‘मैं 24 घंटे से ज्यादा समय में 15000 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके महज कुछ घंटे पहले यहां पहुंचा हूं। आपके प्रेम और उत्साह की वजह से मैं महसूस कर रहा हूं कि मैं भारत के बाहर नहीं हूं।’’ ‘योग फॉर पीस’ कार्यक्रम के आयोजकों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इससे बेहतर नाम के बारे में सोचना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘योग आपके शरीर और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखता है। यह आपके शरीर को मजबूत बनाता है और आपके मस्तिष्क को शांत रखता है।’’ 

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की। दोनों ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका पर चर्चा की। दोनों के बीच यह बैठक पोलैंड के कैटोविस में कोप 24 की होने वाली बैठक से एक सप्ताह पहले हुई। पीएमओ सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पिछले दो महीने में दूसरी बार प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है।

-इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। दोनों ने आर्थिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देने पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में निवेश बढ़ाने पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद के साथ सार्थक बातचीत हुई। हमने भारत-सऊदी अरब के संबंधों के अनेक पहलुओं और आर्थिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंधों को और बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की।’’ 

पुतिन को शर्मिंदा करने की यूक्रेन की योजना नाकाम

जी-20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शर्मिंदा करने की यूक्रेन सरकार की योजना तब नाकाम हो गई जब अर्जेंटीना की एक कंपनी ने बैठक के बाहर पुतिन के विरोध में पोस्टर लगाने से इनकार कर दिया। यूक्रेन रविवार को क्रीमिया के कर्च जलडमरूमध्य में अपने तीन जहाजों को जब्त करने और 24 नाविकों को हिरासत में लेने की वजह से रूस से सख्त नाराज है। यूक्रेन की उप सूचना मंत्री एमिनी जैपेरोवा ने ब्यूनस आयर्स में संवाददाताओं को बताया कि ऐसा करने का मकसद नाविकों को रिहा कराना था। 


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छवि सुधारने की कोशिश में सऊदी अरब के प्रिंस

पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की घटना के बाद पहली बार सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान विदेश यात्रा पर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा के जरिये क्राउन प्रिंस खशोगी हत्याकांड से धूमिल हुई अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस पश्चिम एशिया में अपने करीबी सहयोगी देशों की यात्रा पर थे और इसके बाद वह 30 नवंबर को अर्जेंटीना में जी-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुँचे जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूरोपीय देशों के नेताओं और तुर्की के राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात हुई।

गौरतलब है कि ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ अमेरिकी संबंध का बचाव किया है जबकि तुर्की के राष्ट्रपति खशोगी हत्या मामले में सऊदी अरब पर दबाव बनाये हुए हैं। दो अक्टूबर को तुर्की में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में जमाल खशोगी की हत्या के बाद उनके शव के टुकड़े कर दिये गये थे।


अर्जेंटीना में हो रहा है बवाल

जी-20 सम्मेलन की मेजबानी कर रहे अर्जेंटीना में सार्वजनिक व्यवस्था चरमराने की वजह से कोपा लिबरटेडर्स फुटबॉल फाइनल टलने और जी-20 सम्मेलन के विरोध के चलते आलोचना का सामना कर रहीं सुरक्षा मंत्री पैट्रिसिया बुलरिच ने कहा है कि जी-20 सम्मेलन को लेकर पुलिस कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाएगी। बुलरिच से जब पूछा गया कि क्या देश पिछले साल जर्मनी के हेम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान हुई हिंसा जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है तो उन्होंने कहा, हमने नाराज लोगों से संपर्क कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समझौता किया है। हालांकि उन्होंने चेताया कि हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति भंग करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

पुतिन से वार्ता रद्द करने के ट्रंप के फैसले पर रूस को अफसोस

क्रेमलिन का कहना है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता रद्द करने का अमेरिका के राष्ट्रीय डोनाल्ड ट्रंप का फैसला अफसोसजनक है। पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने बताया, ‘‘हमें अफसोस है कि अमेरिकी प्रशासन ने बातचीत रद्द कर दी।’’ पिछले सप्ताह तीन यूक्रेनी जहाजों को जब्त किये जाने और यूक्रेनी नाविकों के समूह को हिरासत में रखे जाने के मुद्दे पर ट्रंप ने बृहस्पतिवार को रूस के साथ बातचीत रद्द कर दी थी।

-नीरज कुमार दुबे

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