AMU में जिन्ना की तसवीर पर मौन क्यों हैं धर्मनिरपेक्ष शक्तियां

Why are secular powers silence on the photo of Jinnah in the AMU
अजय कुमार । May 4 2018 1:21PM

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र संघ भवन में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो भी आजकल लोगों को आईना दिखाने का काम कर रही है। जिन्ना वह शख्स था जिसे भारत−पाकिस्तान के बंटवारे का मुख्य किरदार माना जाता है।

तस्वीरें बोलती हैं- अक्सर यह वाक्य जुमले की तरह प्रयोग किया जाता है। तो कभी−कभी तस्वीरें 'आइना' भी बन जाती हैं। इसमें लोगों के 'काले−सफेद' चेहरों की हकीकत दिखाई पड़ जाते हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र संघ भवन में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो भी आजकल लोगों को आईना दिखाने का काम कर रही है। जिन्ना वह शख्स था जिसे भारत−पाकिस्तान के बंटवारे का मुख्य किरदार माना जाता है। जिन्ना को लेकर जो आम धारणा बनी हुई है उसके अनुसार जिन्ना अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त होने के बाद आजाद हिन्दुस्तान का वजीरे आजम यानी प्रधानमंत्री बनना चाहता था। जब उसकी यह महत्वाकांक्षा परवान नहीं चढ़ती दिखी तो जिन्ना ने टू नेशन थ्योरी का बिगुल यह कह कर बजा दिया कि हिन्दुस्तान में मुस्लिम सुरक्षित नहीं रह सकते हैं। इसी आधार पर उसने मुसलमानों के लिये के अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग कर डाली। जिन्ना की इस सोच को अंग्रेजों ने हवा दी और पाकिस्तान का जन्म हुआ। बात यहीं तक सीमित नहीं रही, जिन्ना के चलते ही उस समय बड़ा कत्लेआम हुआ था जिसमें लाखों हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। यही वजह है जिन्ना को लेकर आम हिन्दुस्तानी के मन में नफरत भरी रहती है। परंतु अपने देश में मुट्ठी भर लोग ऐसे भी हैं जिनमें जिन्ना का जिन समाया हुआ है। यह लोग समय−समय पर तमाम किन्तु−परंतु की आड़ लेकर जिन्ना के विचारों की पैरोकारी करते रहते हैं। जैसा कि आजकल अलीगढ़ विवि में हो रहा है। जिन्ना के पैरोकार यह सुनने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं कि जिन्ना और उनकी सोच का समर्थन करने वालों की हिन्दुस्तान में कोई जगह नहीं है।

ताज्जुब की बात यह है कि अलीगढ़ विवि के छात्र संघ भवन में जिन्ना की तस्वीर 1938 से लगी थी और इसका कभी किसी से कहीं कोई विरोध नहीं किया। यह मामला तब चर्चा में आया जब अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति को पत्र लिखकर पूछा कि क्या एएमयू में कहीं जिन्ना की फोटो लगी है और अगर लगी है तो इसे अभी तक हटाया क्यों नहीं गया। सांसद के पत्र पर हंगामा तो होना ही था और हुआ भी लेकिन ताज्जुब कि बात यह भी रही कि जब हंगामा हो रहा था उस समय पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी एएमयू में मौजूद थे, उन्हें मानद सदस्यता दी जानी थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जबकि पूर्व में इन्हीं हामिद अंसारी ने अपने उप−राष्ट्रपति कार्यकाल के अंतिम दिन के ठीक पहले विवादित बयान देते हुए कहा था कि देश के मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना है और घबराहट का माहौल है। उन्होंने यह बात राज्यसभा टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कही थी। अंसारी ने जो बातें कहीं उन्हें मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली बातें माना जा रहा था लेकिन जब जिन्ना की तस्वीर पर बोलने की बारी आई तो हामिद एएमयू कैम्पस में मौजूद रहने के बाजवूद चुप्पी साधे रहे। बात यहीं तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान जिनकी रगों में जिन्ना बसा हुआ है। इस समय भी वह गैर−जरूरी हरकतें कर रहा है। ऐसे में जिन्ना की तस्वीर एएमयू में लगाना कितना तार्किक है?

बताते चलें कि जिन्ना की तस्वीर एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी हुई है। इस बात को लेकर सबसे पहले हंगामा एक आरटीआई को लेकर खड़ा हुआ था, जिसमें पूछा गया था कि जिन्ना की तस्वीर कहां लगी हुई है? छात्र संघ अगर वतनपरस्ती दिखाते हुए कह देता कि जो हुआ सो हुआ लेकिन अब वह जिन्ना की तस्वीर हटा लेगा, मगर ऐसा करने की बजाये छात्र संघ दलील देने लगा कि यहां करीब 30 से अधिक ऐसे लोगों की तस्वीरें लगी हुई हैं, जिन्हें यूनियन की सदस्यता दी गई है। छात्र संघ का कहना था कि जिन्ना एएमयू में बंटवारे से पहले 1938 में आए थे, तभी उन्हें यूनियन की सदस्यता दी गई थी। इस पर विवाद व्यर्थ है।

छात्र संघ के पदाधिकारियों के साथ विवि प्रशासन ने भी सुर में सुर मिलाना शुरू किया तो विवाद तूल पकड़ता गया। इसको लेकर डिबेट शुरू हो गई तो हिन्दूवादी संगठन जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिये एएमयू कैम्पस के निकट तक पहुंच गये। एक ओर जहां देश भर में हुई आलोचना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सफाई के बहाने तस्वीर को छात्रसंघ भवन से हटा लिया है, वहीं यूनिवर्सिटी के परिसर के पास तमाम छात्रों और हिंदूवादी संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किए। परिसर के बाहर उग्र छात्रों ने जिन्ना का पुतला भी फूंका। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। इसके बाद पुलिस ने बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान एक दर्जन से अधिक छात्र घायल हुए हैं।

वहीं उग्र प्रदर्शनों की जानकारी मिलने के बाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया, जिसके बाद हामिद अंसारी बिना कार्यक्रम में शामिल हुए वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गए, लेकिन पूरे प्रकरण में उनकी चुप्पी तमाम लोगों को सताती रहीं तो उम्मीद के अनुसार ही एएमयू में जिन्ना तस्वीर प्रकरण पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष शक्तियां मौन साधे रहीं।

- अजय कुमार

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