जम्मू-कश्मीर से सबक लेकर पंजाब मामले में केंद्र ने बढ़ाया सतर्कता भरा कदम

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राकेश सैन । Oct 4 2019 1:05PM

केंद्र सरकार के इन कदमों का राज्य में जहां स्वागत हुआ है वहीं इस बात की भी जरूरत महसूस की जाने लगी है कि सरकार लोगों का दिल जीतने की कोशिश तो करे परंतु सावधानी से, हवन करे परंतु हवनकुण्ड की अग्नि से हाथ बचा कर।

विगत सप्ताह अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित 'हाओडी मोदी' कार्यक्रम से पहले सिख संगठनों से मिलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास दिलवाया कि वे जल्द ही उन्हें सरप्राइज देंगे। इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही केंद्र सरकार ने 312 सिख अलगाववादियों व आतंकियों के नाम काली सूची से हटा दिए और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के हत्यारे बब्बर खालसा के आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। केंद्र सरकार के इन कदमों को जहां देशभर में मनाए जा रहे श्री गुरु नानक देव जी के 550 वर्षीय जयंती समारोह के उपलक्ष्य में सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करने के प्रयासों में रूप में देखा जा रहा है, वहीं कुछ विश्लेषक मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में मुंह की खाने के बाद जिस तरह पाकिस्तान ने पंजाब में खालिस्तानी आतंक को हवा देने का फिर से काम शुरु कर दिया इस कदम से पाक के इन कुत्सित प्रयासों से भी निपटा जा सकेगा। केंद्र सरकार के इन कदमों का राज्य में जहां स्वागत हुआ है वहीं इस बात की भी जरूरत महसूस की जाने लगी है कि सरकार लोगों का दिल जीतने की कोशिश तो करे परंतु सावधानी से, हवन करे परंतु हवनकुण्ड की अग्नि से हाथ बचा कर।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की हत्या में शामिल बब्बर खालसा के बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। स. बेअंत सिंह को पंजाब में खालिस्तानी आतंक को परास्त करने का श्रेय दिया जाता रहा है और उन्होंने देशभक्तिपूर्ण इस काम की कीमत अपनी जान देकर चुकाई थी। चंडीगढ़ में प्रादेशिक सचिवालय के बाहर 31 अगस्त, 1995 को उनकी हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में 16 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने इस घटना में मानव बम की भूमिका निभाई, जबकि बलवंत सिंह राजोआना ने उसके साथ साजिश रची थी। राजोआना दिलावर के असफल रहने पर बैकअप की भूमिका में था। इसके अलावा आठ अन्य आतंकियों की रिहाई के आदेश दे दिए गए हैं। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि राजोआना ने अपने बचाव में कोई वकील नहीं किया और न ही फांसी कि सजा माफ करने की अपील की। राजोआना की फांसी का मामला कई कानूनी उलझनों में फंसता रहा है। उसे 31 मार्च, 2012 को फांसी देनी निर्धारित की गई, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इसका विरोध किया था। इसके बाद कई कट्टरपंथी सिख संगठनों के साथ-साथ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति सहित अनेक संगठन राजोआना की रिहाई की मांग करते आ रहे थे।

केंद्र सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए 312 खालिस्तानी अलगाववादियों व आतंकियों के नाम काली सूची से हटा दिये। अब इस सूची में सिर्फ दो लोगों के नाम बचे हैं। दरअसल, कई सुरक्षा एजेंसियों ने विदेशी सिखों के नामों वाली इस काली सूची की समीक्षा की थी, जिसके आधार पर गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। दरअसल 1980 में भारत के कई सिख नागरिक भारत विरोधी दुष्प्रचार में शामिल थे। आतंकवाद से जुड़े हुए भारत के कुछ सिख भी यहां सजा से बचने के लिए अन्यत्र चले गए और विदेशों के नागरिक बन गए तथा वहां शरण ले ले ली। ऐसे लोगों को काली सूची में रखा गया था, जिसके बाद वह भारतीय वीजा हासिल करने के पात्र नहीं थे।

याद रहे कि पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद बुरी तरह परास्त तो हुआ है परंतु अभी मरा नहीं है। इसके रोगाणु आज भी देश विदेश में सक्रिय हैं जो राज्य की युवा पीढ़ी को संक्रमित करने का काम कर रहे हैं। अमेरिका, कैनेडा, इटली, इंग्लैंड सहित अनेक पश्चिमी देशों में आज भी खालिस्तान के नाम पर भारत के अमन में अंगारे फेंकने का प्रयास होता रहता है। विदेशों में बसे खालिस्तानी आतंकियों व अलगाववादी शक्तियों की ओर से रेफ्रेंडम 2020 के नाम से उग्रवाद की झुलसाहट पर घी फेंकने का प्रयास किया जा रहा है। पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी के-2 अर्थात् कश्मीर और खालिस्तान के संयुक्त मोर्चे पर काम कर रही है। कुछ महीनों पहले तरनतारन के निरंकारी आश्रम में हुआ आतंकी हमला और हाल की घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि खालिस्तानी आतंक की आहट पर शुतरमुर्ग वाला सिद्धांत अपनाना ठीक नहीं होगा।

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अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद वहां हुई सख्ती के बाद पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का केंद्र पंजाब बनता नजर आने लगा है। विगत पखवाड़े में जम्मू-कश्मीर में पकड़ा गया हथियारों का जखीरा पंजाब से ही हो कर गया बताया जा रहा है। वहीं राज्य में पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियों का खुलासा होने के बाद अब हथियार पकड़े जाने से हड़कंप मच गया है। बीएसएफ और एसटीएफ ने ज्वाइंट ऑपरेशन में तीन लोगों को हथियार और कारतूस के साथ गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से भारी मात्रा में हथियार, एके 47 राइफल और कारतूस मिले हैं। ये हथियार पाकिस्तान से भेजे गए थे और आशंका है कि इनसे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश थी। इन लोगों को मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया है। सबसे पहले खेमकरण क्षेत्र में पाकिस्तानी ड्रोन से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ द्वारा हथियार भेजने की बात सामने आई थी। राज्य में कुछ अन्य जगहों पर भी ड्रोन मिलने की सूचना आई थी। सूचना यह भी है कि पाकिस्तान देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब के गैंगस्टरों का उपयोग भी आतंकियों के रूप में कर सकता है और उन्हें हथियारों के साथ-साथ नशीले पदार्थों की आपूर्ति कर रहा है। विगत एक पखवाड़े में सीमा पर हेरोइन की तस्करी की घटनाएं भी बढ़ी हुई दर्ज की गई हैं। पाकिस्तान की शह पर राज्य में तस्करों व नशा माफिया के हौसले इतने बुलंद हो गए कि मंगलवार को अमृतसर के जंडयाला गुरु में तस्करों ने पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल के सदस्य की सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी। केंद्र सरकार ने चाहे राज्य का महौल सौहार्दपूर्ण बनाने व भटके हुए लोगों को नया अवसर देने का प्रयास किया है परंतु यह काम जितनी सावधानी से किया जाए उतना ही देश के हित में होगा। यानि हवन तो करें परंतु हाथ बचा कर।

- राकेश सैन

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