2020 के पहले छह महीनों पर एक नजर...देश ने क्या खोया और क्या पाया

current affairs 2020

देखने और सुनने में आ रहा है कि साल 2020 से लोग परेशान हो गये हैं और उनका कहना है कि यह वर्ष जल्द से जल्द समाप्त हो क्योंकि इससे वह विभिन्न कारणों से काफी प्रभावित हुए हैं। जरा आप भी नजर डालिये साल 2020 के पहले छह महीनों में घटी प्रमुख घटनाओं पर।

जनवरी 2020

नये वर्ष की शुरुआत नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ दिसंबर 2019 से जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई। हालांकि सरकार यह साफ कर चुकी थी कि संसद में जो निर्णय हुआ है उसे किसी भी सूरत में बदलने का सवाल ही नहीं है। इसलिए प्रदर्शनकारी धीरे-धीरे प्रदर्शनों की संख्या बढ़ाते चले जा रहे थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव भी नजदीक थे इसलिए यह विरोध प्रदर्शन बड़ा सियासी मुद्दा बन चुके थे। कुछ विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों ने तो सीएए के विरोध में विधानसभा से प्रस्ताव पारित करा कर नयी परम्परा शुरू की जिसके तहत संसद से पारित विधेयक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया। नये साल की शुरुआत में देश को सेनाध्यक्ष के रूप में मनोज मुकुंद नरवणे मिले तो देश के पहले सीडीएस के रूप में बिपिन रावत की नियुक्ति हुई। जनवरी माह में ही डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2020 को नर्स और दाई वर्ष घोषित किया। तब किसे पता था कि वाकई यह वर्ष नर्सों और दाइयों और डॉक्टरों की अनवरत सेवा लेने वाला वर्ष बन जायेगा। 20 जनवरी को भारत की सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जगत प्रकाश नड्डा को चुना। जनवरी माह में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब चिंता बढ़ गयी जब लगा कि अब अमेरिका और ईरान के बीच कभी भी युद्ध हो सकता है। ऐसा तब हुआ जब बगदाद में अमेरिकी हमले में ईरानी सेनाध्यक्ष जनरल कासिम सोलेमानी मारा गया। जनवरी माह के अंत में भारत में कोरोना वायरस का पहला मरीज केरल में सामने आया जिसको देखते हुए सरकार चिंतित हो गयी और स्वास्थ्य मंत्रालय एक्शन मोड में आ गया हालांकि हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग जनवरी मध्य से ही शुरू की जा चुकी थी लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने विभिन्न समितियों का गठन करके आगे आने वाली बड़ी चुनौती के लिए कमर कस ली थी।

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फरवरी 2020

फरवरी माह की शुरुआत केंद्रीय बजट पेश किये जाने के साथ हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की प्रगति को आगे ले जाने में सहायक बजट पेश किया और कई नई योजनाओं की शुरुआत की जिसमें विवाद से विश्वास तक योजना प्रमुख रही। फरवरी माह में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' नामक ट्रस्ट का गठन किया है। फरवरी माह में दिल्ली विधानसभा चुनावों में शाहीन बाग बड़ा मुद्दा बना। मुकाबला शुरू से ही भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच नजर आ रहा था। कांग्रेस ने तो प्रचार भी तब शुरू किया जब यह खत्म होने में मात्र एक सप्ताह का समय बचा था। भाजपा के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, यही कारण रहा कि भाजपा अपना वोट बैंक तो बरकरार रखने में सफल रही लेकिन इसे सीटों में परिवर्तित नहीं कर पाई। इस तरह आम आदमी पार्टी भारी बहुमत के साथ 63 सीटें हासिल कर सत्ता में लौटी और भाजपा अपना पिछली बार का तीन का आंकड़ा कुछ सुधार कर 8 सीटों पर आकर रुक गयी। कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता खोलने में भी नाकामयाब रही। अरविंद केजरीवाल ने अपनी पिछली कैबिनेट के साथ एक बार फिर पद और गोपनीयता की शपथ ली। 12 फरवरी 2020 का दिन इसलिए लोगों के लिए यादगार बन गया क्योंकि उसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को कोविड-19 नाम प्रदान किया। फरवरी माह में उत्तर प्रदेश की राजधानी में डिफेंस एक्सपो भी आयोजित किया गया जिसमें विदेशी कंपनियों ने देशी कंपनियों के रक्षा उत्पादों को देखा और सराहा। इस दौरान कई विदेशी कंपनियों से रक्षा अनुबंध भी हुए। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों का आपराधिक ब्यौरा भी सार्वजनिक करना होगा। ब्रिटेन में हुए संसदीय चुनावों में जब बोरिस जॉनसन एक बार फिर प्रधानमंत्री चुने गये तो उन्होंने भारतीय उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति के दामाद रिषि सुनक को अपनी सरकार में वित्त मंत्री बनाया। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 1250 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजनाओं की शुरुआत की और काशी-महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। फरवरी में ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के आंदोलनकारियों को समझाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया लेकिन आंदोलनकारियों ने इनकी बात नहीं सुनी और सीएए कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। फरवरी में तब भारत की ओर पूरे विश्व की निगाहें गड़ गयीं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूरे दलबल के साथ भारत की यात्रा पर आये और अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में हिस्सा लिया। विश्व के सबसे बड़े स्टेडियम में हुए इस कार्यक्रम में लाखों लोगों ने ट्रंप का अभिवादन किया। ट्रंप इसके बाद अपनी पत्नी और परिवार के साथ ताज महल देखने के लिए आगरा गये और उसके बाद दिल्ली पहुँचे जहां उनका भव्य स्वागत हुआ लेकिन दुर्भाग्य से इसी बीच दिल्ली दंगों की चपेट में आ चुकी थी और ट्रंप के दौरे को कवर करने आया विदेशी मीडिया इसे अपने यहां दिखाने लगा। यह सब भारत को बदनाम करने की कुछ लोगों की साजिश के चलते हुआ। दिल्ली दंगों में कई लोग मारे गये और संपत्ति को भी काफी नुकसान हुआ। फरवरी माह में कोरोना वायरस चीन के वुहान में रौद्र रूप दिखाने लगा था इसलिए सरकार ने वहां फंसे हुए अपने लोगों को निकालने का अभियान शुरू किया और उन्हें भारत लाकर पहले क्वारंटीन सेंटर में रखा गया और वहां से घर भेजा गया। फरवरी के अंत में भारत ने फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का खिताब अपने नाम किया। लेकिन लगता है इस खिताब को किसी की नजर लग गयी और मार्च 2020 की शुरुआत दिक्कतों के साथ हुई। 

मार्च 2020

मार्च में बड़ी राजनीतिक हलचल तब हुई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गये। मार्च महीने में जैसे-जैसे कोरोना वायरस की रफ्तार तेज होती रही वैसे-वैसे खेल टूर्नामेंटों और अन्य बड़े आयोजनों के रद्द होने के समाचार आने लगे। यही नहीं जब जान पर बन आई तो सीएए विरोधी प्रदर्शन भी बंद होने लगे और शाहीन बाग के तंबू भी उखड़ गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कोरोना वायरस महामारी की गंभीरता से देश को अवगत कराया और इसी के साथ ही उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया और इसके दो दिन बाद ही उन्होंने देश में 21 दिनों के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी जिसे बाद में आगे बढ़ाया गया। प्रधानमंत्री ने सार्क देशों के प्रतिनिधियों के साथ भी ऑनलाइन बैठक कर कोरोना वायरस महामारी से निजात दिलाने के उपायों पर चर्चा की और सहयोग बढ़ाने के मार्ग सुझाये। प्रधानमंत्री ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की जोकि जून महीने तक जारी रही। मार्च महीने में मध्य प्रदेश में सप्ताह भर चले राजनीतिक घटनाक्रम में कमलनाथ की सरकार गिर गयी और शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता संभाली।

अप्रैल 2020

अप्रैल महीने की शुरुआत में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीगी जमात के सदस्यों का एक साथ एकत्रित होना और वह भी लॉकडाउन के दौरान, यह बड़ा मुद्दा बन गया। जब यह बात सामने आई कि अधिकांश जमाती कोरोना पॉजिटिव हैं तब तो सरकारों की मुश्किलें और बढ़ गयीं क्योंकि जब तक प्रशासन चेतता तब तक यह जमाती अलग-अलग शहरों के लिए रवाना हो चुके थे और यह जहां भी गये वहीं पर इन्होंने कोरोना को फैलाया। इनका मुखिया मौलाना साद अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। अप्रैल के पहले सप्ताह में ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कई प्रकार की रियायतों का ऐलान किया जिनमें कर्ज सस्ता करने से लेकर तीन महीने के लिए ईएमआई को स्थगित करने की सुविधा भी प्रदान की। प्रधानमंत्री ने अप्रैल के पहले सप्ताह में देश को दिये अपने संबोधन में लॉकडाउन के दूसरे चरण का ऐलान किया और 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे लाइटें बंद करके 9 मिनट तक दीये या मोमबत्ती से रोशनी करने का आह्वान किया। अप्रैल में देश ने आजादी के बाद का सबसे बड़ा पलायन तब देखा जब लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी छिन जाने से प्रवासी मजदूर अपने-अपने गृह राज्यों की ओर निकल पड़े। चूँकि सार्वजनिक परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं थे इसलिए ये कामगार पैदल चलकर, साइकिल चलाकर और ट्रकों के जरिए, यहां तक कि कंटेनर ट्रकों और कंक्रीट मिक्सिंग मशीन वाहन में छिपकर आनन-फानन में अपने घर लौटे थे और इस दौरान कई मजदूर दुर्घटनाओं के शिकार भी हुए। प्रवासी मजदूरों के पलायन के समय देश भर से जिस तरह की भावुक कर देने वाली तसवीरें सामने आईं उनको देश लंबे समय तक याद रखेगा। इसी माह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सदस्यों और सांसदों ने यह तय किया कि वह एक साल तक अपनी तनख्वाह में 30 प्रतिशत की कटौती करवाएंगे और यह राशि कोविड-19 से लड़ने में खर्च की जायेगी। इसी महीने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने का कार्यक्रम शुरू हुआ और इस संबंध में दूरदर्शन ने भी कुछ शिक्षाप्रद कार्यक्रम शुरू किये ताकि जिन इलाकों में इंटरनेट की अच्छी सुविधा नहीं है, वहां के बच्चे पढ़ाई से वंचित नहीं हो सकें। इसी महीने राजस्थान के कोटा में पढ़ रहे छात्रों की घर वापसी का मुद्दा भी उठा। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने छात्रों को बस भेजकर वापस बुला लिया तो अन्य राज्यों पर भी दबाव पड़ा। अप्रैल महीने में ही कोरोना से लड़ने के लिए भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा शुरू हुई। 8 अप्रैल को चीन के वुहान में 76 दिनों का लॉकडाउन खत्म हुआ। इसी महीने एमएसएमई सेक्टर के लिए कई रियायतों की घोषणा की गयी क्योंकि यह सर्वाधिक संख्या में रोजगार प्रदान करने वाला सेक्टर है। इस महीने तब बड़ी मुश्किल हुई जब कई राज्यों ने अपनी सीमाओं पर सख्त पहरा बिठा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने कहा कि कोरोना की जाँच निशुल्क कराई जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने अप्रैल महीने में 15 हजार करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का भी ऐलान किया। प्लाज्मा थैरेपी के जरिये कोरोना को हराने के प्रयोग भी अप्रैल में ही शुरू हुए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें निम्नतम स्तर पर पहुँच गयीं क्योंकि अधिकतर देशों में लॉकडाउन के कारण पैट्रोलियम उत्पादों की माँग ही नहीं थी। अप्रैल माह में ही सरकार ने आरोग्य सेतु एप लॉन्च किया ताकि कोरोना के मामलों में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा सके। देश में लॉकडाउन-3 का ऐलान किया गया लेकिन अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने की कवायद भी शुरू की गयी। गृह मंत्रालय ने कार्यस्थलों पर सीमित संख्या में कर्मचारियों के साथ कार्य की शुरुआत के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किये। अप्रैल माह में ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का ऐलान किया गया जिसके तहत गरीब परिवारों को तीन महीने के लिए मुफ्त अनाज दिये जाने की घोषणा की गयी। इसी महीने अमेरिका को भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दिये जाने पर विवाद भी हुआ। इसी महीने रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन की परिकल्पना सामने आई। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने महीने में दूसरी बार प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कई रियायतों का ऐलान किया और ब्याज दरों में भी कटौती की। अप्रैल महीने में व्यापार जगत से तब बड़ी खबर आई जब पता लगा कि फेसबुक ने रिलायंस जियो में 9.99 प्रतिशत भागीदारी खरीद ली है। इसी महीने कोरोना वॉरियर्स को बड़ी राहत प्रदान करने हुए केंद्र सरकार ने महामारी कानून में बदलाव करते हुए डॉक्टरों, स्वाथ्यकर्मियों या पुलिस पर हमला करने वालों पर कड़ी सजा के प्रावधान किये। सरकार ने इसके अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के महँगाई भत्ते में किसी प्रकार की वृद्धि को भी जुलाई 2021 तक के लिए रोक दिया। अप्रैल में ही देश से वह तसवीरें भी सामने आईं जिनमें लॉकडाउन के कारण देश की सभी प्रमुख नदियों का जल साफ, सभी नगरों, महानगरों की हवा एकदम शुद्ध हो गयी थी। अप्रैल के अंत में सरकार ने ऐलान किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन में कुछ और ढील दी जायेगी जिसके बारे में दिशानिर्देश जारी किये गये। महीने के अंत में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया। अप्रैल का अंत होते-होते प्रसिद्ध अभिनेता इरफान खान और ऋषि कपूर का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 

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मई 2020

मई का पहला दिन यानि मजदूर दिवस मजदूरों के लिए बड़ी राहत लेकर आया क्योंकि इस दिन से प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया जिससे विभिन्न राज्यों में फँसे मजदूरों ने राहत की साँस ली। दो मई को लॉकडाउन को बढ़ाने का भी ऐलान कर दिया गया लेकिन रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश जारी किये गये। मई में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर तब संकट के बादल मँडराने लगे जब विधान परिषद के लिए नामांकित होने के मुख्यमंत्री के प्रयासों को राज्यपाल ने सफल नहीं होने दिया। संकट से निजात के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया जिसके बाद राज्यपाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर विधान परिषद चुनावों को तत्काल कराने की माँग की और इस तरह महाराष्ट्र का सियासी संकट खत्म हुआ। मई में कई राज्यों ने केंद्र सरकार से माँग की कि जोन निर्धारित करने का काम उन्हें सौंपा जाये। मई महीने से ही भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन के जरिये विदेशों में फँसे भारतीयों की वापसी का बड़ा अभियान शुरू हुआ। मई में कश्मीर के तीन फोटो पत्रकारों ने पुलित्जर पुरस्कार जीता जिस पर विवाद भी हुआ। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम में एक कंपनी के संयंत्र से गैस लीक होने से 7 लोगों की मृत्यु हो गयी और कई लोग बीमार पड़ गये। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मानसरोवर यात्रा के लिए लिंक रोड़ का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। भारतीय मौसम विभाग ने गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के मौसम का हाल बताना शुरू किया तो पाकिस्तान की चिंता बढ़ गयी। प्रधानमंत्री मोदी ने मई मध्य में मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर संवाद किया। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प दिलाया और एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए के भारी भरकम आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। मई में आये तूफान अम्फान से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तबाही हुई जिसको देखते हुए प्रधानमंत्री ने इन दोनों राज्यों का दौरा कर हालात की समीक्षा की और उन्हें आर्थिक मदद मुहैया करायी। गृह मंत्रालय ने इसी महीने नेशनल माईग्रेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम की शुरुआत भी की। 25 मई से देश में घरेलू उड़ानें शुरू हुईं तो लोगों को कुछ आसानी हुई। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को इसी माह डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड का निदेशक भी चुना गया। इसी महीने चीन के साथ एलएसी पर तनातनी शुरू हुई और नेपाल ने भी आंखें दिखाते हुए अपने मानचित्र में बदलाव करते हुए उसमें तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल कर लिया। जम्मू-कश्मीर में नई डोमिसाइल नीति भी इस महीने अधिसूचित कर दी गयी। आरबीआई गवर्नर ने एक बार फिर रियायतों का ऐलान कर लोगों का बोझ कुछ कम करने की कोशिश की। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 5700 करोड़ रुपए की राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की। मई में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी, प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर और प्रख्यात ज्योतिषि बेजान दारूवाला का भी निधन हो गया। मई में ही देश के कुछ राज्यों में टिड्डियों के हमले की शुरुआत हुई जोकि अब तक जारी है। मई की शुरुआत में जब शराब की दुकानों को खोला गया तो लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का घोर उल्लंघन किया जिसके बाद कई राज्यों ने शराब की होम डिलिवरी की व्यवस्था की तो कई जगह टोकन सिस्टम लाया गया।

जून 2020

एक जून को मशहूर संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद के वाजिद का निधन हो गया। रेलवे ने एक जून से कुछ विशेष ट्रेनों की सुविधा शुरू की जिससे लॉकडाउन के दौरान जहाँ-तहाँ फँसे लोग अपने घरों को वापस जा सके। उच्चतम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर गौर करते हुए सरकारों को निर्देश दिये कि 15 दिन के अंदर उन्हें उनके गंतव्यों तक पहुँचाया जाये। तूफान निसर्ग से महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ नुकसान हुआ लेकिन मौसम विज्ञान विभाग की समय पर मिली सूचनाओं के चलते बड़ा नुकसान टाल दिया गया। जून महीने में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया। भारत और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने वर्चुअल तरीके से द्विपक्षीय बैठक की और एक बड़ा रक्षा करार किया। प्रसिद्ध निर्माता बासु चटर्जी का इस महीने निधन हो गया तो फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपने मुंबई स्थित घर पर आत्महत्या कर सभी को चौंका दिया। जून के दूसरे सप्ताह से देश के सभी धार्मिक स्थलों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और रेस्टोरेंटों को खुलने की अनुमति मिल गयी। असम के तेल कुएं में लगी आग से भी काफी नुकसान हुआ। जून मध्य में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवानों के शहीद होने से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और कई दौर की वार्ता के बाद भी मामला सुलझ नहीं सका है क्योंकि चीन वार्ता में जिन बिंदुओं पर सहमत होता है उन पर अमल नहीं करता। प्रधानमंत्री ने जून मध्य में मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर संवाद किया और कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने चीन के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का भी आह्वान किया। इस दौरान स्पष्ट कर दिया कि ना तो कोई भारतीय सीमा में घुसा है और ना ही हमारी कोई पोस्ट किसी के कब्जे में है। उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि भारतीय सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। प्रधानमंत्री ने इसी महीने प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महीने रूस की यात्रा की और वहां विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के अलावा द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इस महीने पुरी और द्वारका में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी सीमित रूप में शुरू हुई। दिल्ली में कोरोना वायरस की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कमान संभाली जिसके बाद दिल्ली में बड़ी संख्या में बेडों की व्यवस्था की गयी, जांच का दायरा बढ़ाया गया और अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ायी गयीं। कोरोना काल में अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस इस बार लोगों ने घर पर ही रहकर मनाया। महीने के अंत में प्रधानमंत्री ने देश को एक बार फिर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का दायरा नवंबर अंत तक बढ़ाने की घोषणा की। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने अनलॉक-2 के लिए दिशानिर्देश जारी किये। महीने के अंत में भारत सरकार ने चीन के 59 मोबाइल एप्स को भी प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि यह भारतीयों का डेटा चुरा रहे थे।

पहले छह महीने की कुछ और बड़ी बातें

इन घटनाओं के अलावा यदि छह महीनों पर नजर डालें तो कोरोना काल ने कई बड़े बदलाव किये जैसे कि शादी-विवाह आदि बड़े सादे ढंग से आयोजित किये जाने लगे और नाममात्र के ही रिश्तेदारों की उपस्थिति इन आयोजनों में रहने लगी। इसके अलावा विश्व कल्याण की भावना से भारत ने मुश्किल समय में ही 150 के आसपास देशों की सहायता करते हुए उन्हें दवाइयां या अन्य मेडिकल वस्तुएं मुहैया करायीं। यही नहीं कोरोना वायरस से निबटने की दिशा में भी भारत के कदम काफी कारगर रहे क्योंकि यहां संक्रमण के मामले भले बढ़े हों लेकिन मृत्यु दर कई बड़े देशों के मुकाबले कम रही है और स्वस्थ होने वालों की दर लगभग 60 प्रतिशत के आसपास है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के मनोरंजन के माध्यम भी बदल गये। सिनेमाघर बंद हो गये, बार बंद हो गये, पार्क बंद हो गये तो लोग घरों पर ही टीवी के आगे बैठ गये। दूरदर्शन ने रामायण, महाभारत, श्रीकृष्णा आदि पुराने धारावाहिक शुरू किये तो वह काफी हिट हुए और ऐसे में जब शूटिंग बंद होने से विभिन्न धारावाहिकों के नये एपिसोड नहीं आये तो लोग वेब सीरिज आदि देखकर समय बिताने लगे। यही नहीं बड़े पर्दे की फिल्में भी तीसरे पर्दे पर रिलीज होने लगीं हैं। घरों में लॉकडाउन के दौरान काम वाली बाई ना होने के कारण लोग घरों के काम खुद ही करते नजर आये, टाइम पास के लिए सभी परिजन मिलकर लूडो, कैरम बोर्ड आदि खेल खेलने लगे और अधिकांश ऑफिस अब भी बंद होने के कारण अब वर्क फ्रॉम होम भारत में एक स्थापित संस्कृति बन गया है। इन छह महीनों में दर्जनों भूकंप, पूर्वोत्तर में बाढ़, पूर्वी भारत में तूफान और बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से हुई मौतों जैसे हालात आदि भी इस साल की बड़ी मुश्किलों में शुमार हैं इसके अलावा जहां तक राजनीति की बात है तो वह इन छह महीनों में भी जमकर हुई। भाजपा ने तो अपनी जनसंवाद रैलियों के माध्यम से कार्यकर्ताओं से संवाद बनाने के साथ-साथ मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगाँठ पर सरकार की उपलब्धियों का प्रचार भी शुरू कर दिया। कांग्रेस पूरे समय नकारात्मक राजनीति करते हुए विपक्षी दलों के बीच भी अलग-थलग पड़ गयी है। खासतौर पर चीन के मुद्दे पर पार्टी की ओर से उठाये जा रहे प्रश्नों पर सेना के कई सेवानिवृत्त अधिकारी भी नाराजगी जता चुके हैं। उत्तर प्रदेश में बस भेजने की राजनीति हो या फिर प्रधानमंत्री के लिए बार-बार सरेंडर शब्द उपयोग करने की बात हो, कांग्रेस खुद ही अपना काफी नुकसान कर चुकी है। आतंकवाद के लिए यह साल कहर बन कर टूटा है। जम्मू-कश्मीर के कई जिले इस साल आतंकवाद मुक्त हो गये और अब तक कई ऑपरेशनों में 110 आतंकवादी मारे जा चुके हैं खास बात यह है कि अधिकतर आतंकवादी कमांडर भी ढेर किये जा चुके हैं। इन छह महीनों में भी पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन की कई घटनाएं हुईं जिनका मुँहतोड़ जवाब दिया गया। यही नहीं गिलानी को हुर्रियत से इस्तीफा भी देना पड़ गया। जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला पर से पीएसए एक्ट हटा लिया गया और महबूबा मुफ्ती को भी घर पर ही नजरबंद कर दिया गया। कश्मीर में अब पहले की अपेक्षा शांतिपूर्ण वातावरण है। हालांकि पहले छह महीने खत्म होते-होते देश में कोरोना वायरस संक्रमण के पौने छह लाख मामले हो गये हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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