Rahul पर कप्तानी में खरा उतरने की चुनौती के बीच लखनऊ की कोशिश पिछले सत्र से बेहतर करने पर
राहुल ने इस दौरान 15 मैचों में दो शतक और चार अर्धशतक के साथ 51.33 की औसत से 616 रन बनाए। टीम को इस दौरान भारत के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज आवेश खान का भी अच्छा साथ मिला था।
लोकेश राहुल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के सबसे सफल बल्लेबाजों में एक हैं लेकिन आगामी सत्र में उनकी बल्लेबाजी के साथ एक बार फिर से कप्तानी कौशल की परीक्षा होगी। राहुल की अगुवाई में लखनऊ सुपर जायंट्स की टीम पिछले साल लीग के अपने शुरुआती सत्र में प्लेऑफ में पहुंची थी। टीम हालांकि फाइनल में जगह नहीं बना सकी थी। टेस्ट टीम की अंतिम एकादश से बाहर होने के साथ ही राहुल से सभी प्रारूपों में उप-कप्तानी छीन ली गई। बीसीसीआई के सालाना केंद्रीय अनुबंध में उन्हें पहले के मुकाबले नीचे की श्रेणी में खिसका दिया गया।
ऐसे में राहुल के सामने न केवल बल्ले से बल्कि कप्तान के तौर पर भी खुद को साबित करने की चुनौती होगी। राहुल ने इससे पहले पंजाब किंग्स का भी नेतृत्व किया है लेकिन तब टीम का अभियान निराशाजनक तरीके से खत्म हुआ था। सुपर जायंट्स की टीम पिछले साल लीग चरण में तीसरे स्थान पर रही और उसे एलिमिनेटर में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से हार के बाद खिताबी दौड़ से बाहर होना पड़ा। राहुल ने इस दौरान 15 मैचों में दो शतक और चार अर्धशतक के साथ 51.33 की औसत से 616 रन बनाए। टीम को इस दौरान भारत के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज आवेश खान का भी अच्छा साथ मिला था।
वह 13 मैचों में 18 विकेट लेकर सबसे सफल गेंदबाज रहे थे। आगामी सत्र में हालांकि टीम को पिछले सत्र के प्रभावशाली गेंदबाज रहे मोहसिन खान का शुरुआती मैचों में साथ नहीं मिलेगा। नौ मैचों में 14 विकेट लेने वाले मोहसिन कंधे की चोट से उबर रहे है। टीम को शुरुआती दो मैचों में अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक की कमी खलेगी जो राष्ट्रीय टीम को सेवाएं देने के कारण देर से भारत आयेंगे। मजबूती: लखनऊ सुपर जायंट्स ने इस साल वेस्टइंडीज के विकेटकीपर-बल्लेबाज निकोलस पूरन को 16 करोड़ रुपये में अपने साथ जोड़ा है।
पूरन ने पिछले टी20 विश्व कप में कैरेबियाई टीम का नेतृत्व किया था। विकेटकीपिंग के लिए डिकॉक पहली पसंद होंगे लेकिन पूरन की मौजूदगी से टीम को विकल्प मिलेगा। टीम की सबसे बड़ी ताकत हालांकि हरफनमौला खिलाड़ियों की सूची है। भारत के दीपक हुड्डा, क्रुणाल पांड्या, कृष्णप्पा गौतम, प्रेरक मांकड़ के साथ टीम में मार्कस स्टोइनिस, डेनियल सैम्स, काइल मायर्स और रोमारियो शेफर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय हरफनमौला खिलाड़ी मौजूद है।
स्पिन विभाग में रवि बिश्नोई के साथ अनुभवी भारतीय गेंदबाज अमित मिश्रा जैसे खिलाड़ी होंगे जबकि मार्क वुड और जयदेव उनादकट के रूप में उनके पास अनुभवी तेज गेंदबाज हैं जिन्होंने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतियोगिताओं में भी शानदार प्रदर्शन किया है। कमजोरी: शीर्ष क्रम में राहुल और डिकॉक की आक्रामक बल्लेबाजी को जारी रखने के लिए टीम को मध्यक्रम के बल्लेबाजों का सही चयन करना होगा। आयुष बडोनी ने पिछले आईपीएल सत्र में अच्छी शुरुआत की थी लेकिन फिर उनकी फॉर्म में गिरावट आई।
मध्यक्रम में हुड्डा प्रभावशाली हो सकते हैं लेकिन युवा भारतीय खिलाड़ी के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना बड़ा सवाल होगा, जो सबसे छोटे प्रारूप में पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय टीम से अंदर-बाहर होते रहे है। मौका: शुरुआती मैचों में राहुल के साथ वेस्टइंडीज के मायर्स या हुड्डा पारी का आगाज कर सकते है। ऐसे में दोनों बल्लेबाजों के पास खुद को साबित करने का शानदार मौका होगा। जम्मू-कश्मीर के युवा तेज गेंदबाज युधवीर सिंह चरक या विदर्भ के यश ठाकुर को टूर्नामेंट के दौरान अपना कौशल दिखाने का मौका मिल सकता है।
खतरा: टीम की तेज गेंदबाजी में पैनेपन की कमी दिख रही है। पिछले साल शानदार प्रदर्शन करने वाले मोहसिन कम से कम पांच मैचों के लिए बाहर हैं। मार्क वुड भी अकसर चोटिल होते रहते है ऐसे में आवेश खान और जयदेव उनादकट पर जिम्मेदारी होगी। आवेश पिछले साल वाली लय में नहीं है और उनादकट ने 2017 का सत्र छोड़कर आईपीएल में कभी प्रभावी प्रदर्शन नहीं किया। युधवीर, ठाकुर या दिल्ली के मयंक यादव को इस स्तर के क्रिकेट का अभी अनुभव नहीं है।
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