व्यापार युद्ध खत्म कर अमेरिका-चीन तो संभल गये, बाकियों को समय लगेगा

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समझौते में देरी के दौरान दुनिया के कई बड़े देश- ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, सिंगापुर और ब्राजील मंदी की चपेट में आ गये और इस वैश्विक मंदी का काफी असर भारत पर भी पड़ा। अमेरिका, चीन का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है इसलिए दोनों के बीच व्यापार युद्ध से दुनिया प्रभावित हुई।

चीन और अमेरिका के बीच चल रहा व्यापार युद्ध लगभग खत्म होने से दुनिया भर के बाजारों ने राहत की सांस ली है। अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण के व्यापार समझौते पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के उप-प्रधानमंत्री लिउ ही ने हस्ताक्षर किये। इस व्यापार युद्ध के लंबा खिंचने से दुनियाभर में चिंता देखी जा रही थी क्योंकि जिस तरह धीरे-धीरे दोनों देश एक दूसरे के उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाते जा रहे थे वह सिलसिला फिलहाल निकट भविष्य में खत्म होता नहीं दिख रहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए चीनी उत्पादों पर कर बढ़ा दिया था और चीन पर आरोप लगाया था कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन नहीं कर रहा है। हालांकि जब अमेरिका भी मंदी की चपेट में आने लगा तो ट्रंप ने चीन से वार्ता की पेशकश की है और आखिरकार अब दोनों देशों के थोड़ा-थोड़ा झुकने पर पहले चरण का समझौता हो गया। लेकिन समझौते में हुई देरी के दौरान दुनिया के कई बड़े देश- ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, सिंगापुर और ब्राजील मंदी की चपेट में आ गये और इस वैश्विक मंदी का काफी असर भारत पर भी पड़ा। अमेरिका, चीन का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है इसलिए दोनों के बीच व्यापार युद्ध से दुनिया प्रभावित हुई। अब इस व्यापार समझौते से अमेरिका और चीन तो अपने नुकसान की भरपाई करने में शीघ्र सफल हो जाएंगे लेकिन उन देशों को संभलने में वक्त लग जायेगा जोकि इनके व्यापार युद्ध से प्रभावित हुए।

पहले चरण के समझौते में बौद्धिक संपदा संरक्षा और प्रवर्तन, जबरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को खत्म करना, अमेरिकी कृषि के अभूतपूर्व विस्तार, अमेरिकी वित्तीय सेवाओं से अवरोध हटाना, मुद्रा के साथ छेड़छाड़ खत्म करना, अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों को पुन:संतुलित करना और समस्याओं का प्रभावी समाधान निकालना शामिल है।

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व्यापार समझौते के मुख्य बिंदुओं की बात करें तो अमेरिका ने विभिन्न चीनी उत्पादों पर टैरिफ में कटौती की है और चीन ने इसके बदले अमेरिका से उसके उत्पादों और सेवाओं की खरीद का वादा किया है। चीन साथ ही बौद्धिक संपदा के मामले में अमेरिका की शिकायतों का समाधान भी करेगा। समझौते के मुताबिक चीन अगले दो साल के दौरान 200 अरब डॉलर के अतिरिक्त अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं की खरीद करेगा। चीन अमेरिका से बड़ी खरीद करता रहा है और व्यापार युद्ध से पहले भी वर्ष 2017 में चीन ने 130 अरब डॉलर की अमेरिकी वस्तुओं और करीबन 56 अरब डॉलर की अमेरिकी सेवाओं की खरीद की थी। चीन अगले दो साल में 52.4 अरब डॉलर की अतिरिक्त ऊर्जा और 80 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों की खरीद भी करेगा। व्यापार युद्ध के दौरान अमेरिका को हेकड़ी दिखाता रहा चीन अब पूरी तरह अमेरिकी शर्तों पर झुकता दिख रहा है और उसने अमेरिका से वादा किया है कि वह अमेरिकी पेंटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क आदि को कानूनी संरक्षण प्रदान करेगा और पाइरेटेड तथा नकली वस्तुओं की बिक्री को रोकेगा।

व्यापार समझौते को देख कर साफ प्रतीत हो जाता है कि चीन इस करार के लिए बाध्य हुआ क्योंकि इस व्यापार युद्ध से चीन को ज्यादा नुकसान हो रहा था क्योंकि चीन अमेरिका को ज्यादा निर्यात करता है। दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफ़ैक्चरिंग पावर हाउस माना जाने वाला चीन और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माने जाना वाला अमेरिका दो साल चले व्यापार युद्ध के बाद शांत हुए हैं तो निश्चित रूप से यह नये साल में दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी अच्छी खबर है।

-नीरज कुमार दुबे

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