हांगकांग में अत्याचार कर रहे चीन ने क्यों दी पश्चिमी देशों को आंख फोड़ने की धमकी ?

Hong Kong

जहाँ तक आरोपों पर चीन की प्रतिक्रिया की बात है तो बीजिंग ने हांगकांग को लेकर अपनी नीति की अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा की गई आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें इस 'सच्चाई को स्वीकार करना चाहिये' कि चीन इस पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी को वापस पा चुका है।

हांगकांग के प्रति अपनी कठोर और द्वेषपूर्ण नीति को लेकर चीन इस समय दुनिया के बड़े देशों के निशाने पर है। अब समय आ गया है कि हांगकांग में जिस तरह से मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, लोकतंत्र समर्थकों को रौंदा जा रहा है, उसके खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट हो और ड्रैगन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉयकॉट किया जाये। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हांगकांग में ड्रैगन के अत्याचार और बढ़ सकते हैं। सभी देशों की संसदों को अमेरिका की तर्ज पर चीन की कार्रवाइयों के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित करना चाहिए। गौरतलब है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पिछले दिनों बड़ा कदम उठाते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर हांगकांग में मौलिक अधिकारों तथा आजादी को कमतर करने और चीन की ओर से हो रहे मानवाधिकार हनन की घटनाओं की निंदा की है। अमेरिकी सदन में ध्वनि मत से पारित प्रस्ताव में चीन सरकार की कार्रवाइयों की निंदा की गयी है और आरोप लगाया गया है कि इनसे हांगकांग की उच्च स्तर की स्वायत्तता एवं वहां के लोगों के मौलिक आधिकारों एवं आजादी का उल्लंघन हुआ।

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हांगकांग में चीन की दमनभरी कार्रवाई की बात करें तो यह बेतहाशा जारी है। इसी सप्ताह पुलिस ने कई महीने पहले विधायिका की बैठक को बाधित करने के आरोप में तीन पूर्व विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार किया। टेड हुई, एडी छू और रेमंड चान के फेसबुक अकाउंट से किए गए पोस्ट में बताया गया है कि उनकी गिरफ्तारी विधायिका के मुख्य चेम्बर में हुई घटना से संबंधित है। इन तीनों ने अलग-अलग मौकों पर विधायिका की बैठकें बाधित की थीं। लोकतंत्र समर्थक गुट ने आरोप लगाया है कि लोकतंत्र संबंधी मांगों के बाद इस अर्ध स्वायत्त क्षेत्र में नियंत्रण बढ़ाए जा रहे हैं।

चीन का पक्ष

जहाँ तक आरोपों पर चीन की प्रतिक्रिया की बात है तो बीजिंग ने हांगकांग को लेकर अपनी नीति की अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा की गई आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें इस 'सच्चाई को स्वीकार करना चाहिये' कि चीन इस पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी को वापस पा चुका है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड द्वारा हांगकांग के बारे में दिये गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही। इन पांचों देशों ने आपस में खुफिया साझेदारी कर रखी है, जिसे 'फाइव आइज़' यानी पांच आंखें कहा जाता है। लिजियान ने अपनी दैनिक ब्रीफिंग में कहा, 'उनकी पांच आखें हैं या दस, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर वे चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों को नुकसान पहुंचाने की हिमाकत करते हैं तो उन्हें अपनी आंखों को लेकर सावधान रहना चाहिए जिन्हें फोड़कर उन्हें अंधा किया जा सकता है।'

फाइव आइज़ ने क्या कहा

गौरतलब है कि अमेरिका की अगुवाई में पांच देशों के एक समूह ने चीन से कहा है कि वह जनप्रतिनिधि का चुनाव करने के हांगकांग के लोगों के अधिकारों को कमतर नहीं करें। समूह ने इस बात पर भी जोर दिया कि हांगकांग में चीन की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि यह वैश्विक आर्थिक केंद्र में आलोचना के स्वरों को खामोश करने के अभियान का हिस्सा है। इस समूह में अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं। इन पांच देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर हांगकांग के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अयोग्य करार देने के लिये चीन द्वारा लागू किये गये नये नियमों के संबंध में अपनी गंभीर चिंता दोहरायी है। विदेश मंत्रियों ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने एवं सितंबर में होने वाले विधान परिषद चुनाव को स्थगित किये जाने के बाद, इस फैसले ने हांगकांग की उच्च स्तर की स्वायत्तता, अधिकारों और स्वतंत्रता को कमजोर कर दिया है। 

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पांच देशों के बयान में कहा गया है कि 'हम संयुक्त घोषणापत्र एवं मूलभूत कानून को ध्यान में रखते हुये चीन से जन प्रतिनिधि चुनने के हांगकांग के लोगों के अधिकारों को कम करने की कवायद बंद करने की अपील करते हैं। हांगकांग की स्थिरता एवं समृद्धि की खातिर, यह आवश्यक है कि चीन और हांगकांग के अधिकारी वहां के लोगों की जायज चिंताओं और विचारों को अभिव्यक्त करने वाले माध्यमों का सम्मान करें।' इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के एक प्रमुख सदस्य के रूप में हम चीन से उम्मीद करते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और हांगकांग के लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की दिशा में काम करेगा। उल्लेखनीय है कि चीन ने हाल ही में असम्मति को रोकने के लिये हांगकांग के अधिकारियों को नयी शक्तियां प्रदान कीं। इसके बाद पिछले सप्ताह विधानमंडल में विपक्ष के चार सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया था। इस घटनाक्रम ने देश के लोकतंत्र समर्थक विपक्षी सांसदों के इस्तीफों की लाइन लगा दी।

बहरहाल, अमेरिका सहित पांच देशों के प्रस्ताव में हांगकांग की उस स्वायत्तता पर भी चिंता जतायी गयी है जो 'एक देश, दो प्रणाली' की व्यवस्था के तहत उसे तब प्रदान की गयी थी, जब 1997 में ब्रिटेन ने वहां से उपनिवेश शासन की समाप्ति के उपरांत हांगकांग को वापस चीन के हवाले किया था। संयुक्त बयान में कहा गया है कि चीन की यह कार्रवाई कानूनी रूप से बाध्यकारी और संयुक्त राष्ट्र में पंजीकृत, चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणापत्र के तहत उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का स्पष्ट उल्लंघन है। खैर...अब सवाल यह है कि क्या इस अपील का चीन पर कोई असर होगा ? चीन ने तो साफ कह दिया है कि हांगकांग अब हमारा हो चुका है इसलिए हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे और आंखें दिखाने वाले की आंखें फोड़ देंगे।

-नीरज कुमार दुबे

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