लोकतंत्र की मजबूती के लिए आओ मतदान करें का संकल्प लें

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पांचवें चरण से लेकर सातवें चरण तक की लोकसभा सीटों के लिए हो रही मतदान प्रक्रिया के मतदाताओं को तो अब अपने दायित्व को समझना होगा। मतदाताओं को संकल्प लेना होगा कि वे मतदान केन्द्र तक जाएं, अपने पसंदिदा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर देश का सजग नागरिक होने के दायित्व को निभाएं।

लोकतंत्र के महायज्ञ में आहुति देने के लिए आओ मतदान करें के संकल्प के साथ शेष तीन चरणों के मतदाताओं को अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए आगे आना होगा। आखिर पांच साल में एक बाद हमें लोकतंत्र के मंदिर में अपनी सहभागिता निभाने का अवसर मिलता है। लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपनी जिम्मेदारी से भागना गैरजिम्मेदाराना कृत्य है। सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव अब अंतिम चरण की और बढ़ रहे हैं। मतदान के चार चरण पूरे हो चुके हैं और 6 मई को पांचवा, 12 को छठां और 19 मई को अंतिम व सातवां चरण पूरा होने जा रहा है। 23 मई को मतदाताओं का आदेश सामने होगा। लगभग दो तिहाई लोकसभा क्षेत्रों में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं वहीं अंतिम तीन चरण के लिए मतदान होना शेष है और सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने में किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है तो आरोप प्रत्यारोप के दौर में भी तेजी आई है। मजे की बात यह है कि चारों चरणों में ओसत मतदान प्रतिशत 70 के कांटें को छूने का प्रयास ही कर रहा है। हांलाकि राजस्थान में चौथे चरण में पहले दौर की 13 लोकसभा सीटों के लिए हुए मतदान में मतदान प्रतिशत बढ़ने की बात की जा रही हैं वहीं कुछ अन्य प्रदेशों में भी मतदान प्रतिशत बढ़ा है। इसे शुभ संकेत भी माना जा सकता है पर 70 प्रतिशत मतदान को उत्साहजनक नहीं माना जा सकता। एक मोटे अनुमान के अनुसार 30 प्रतिशत मतदाताओं का मतदान के प्रति उत्साह नहीं होना कहीं ना कहीं मतदाताओं की बेरुखी को दर्शाता है। 

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पांचवें चरण से लेकर सातवें चरण तक की लोकसभा सीटों के लिए हो रही मतदान प्रक्रिया के मतदाताओं को तो अब अपने दायित्व को समझना होगा। मतदाताओं को संकल्प लेना होगा कि वे मतदान केन्द्र तक जाएं, अपने पसंदिदा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर देश का सजग नागरिक होने के दायित्व को निभाएं। आखिर मतदाताओं का भी अपना दायित्व है। वे भी जिम्मेदार नागरिक है। केवल और केवल मात्र चुनिंदा सरकार को कोसने का काम आमनागरिक का नहीं होना चाहिए। हमें अपने दायित्वों को भी समझना होगा। हमारे देश के लोकतंत्र की यह खासियत है कि चुनाव साफ सुथरे और मतदाताओं के विश्वास पर खरे उतरने वाले हो रहे हैं यह दूसरी बात है कि राजनीतिक दल अपने परिणामों को देखते हुए आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं पर लाख आरोप लगे आम नागरिक इन आरोप प्रत्यारोपों को गंभीरता से नहीं लेता। यही कारण है कि चुनाव प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक दलों के आरोप जनमानस को प्रभावित करने में विफल रहे हैं। केवल और केवल निराशाजनक जो बात है वह शतप्रतिशत मतदाताओं द्वारा मताधिकार का प्रयोग नहीं करना है। यह अपने आप में गंभीर बात है। पहले तीन चरणों के मताधिकार प्रतिशत पर दृष्टिपात करें तो यह ओसत प्रतिशत 70 से नीचे ही आ रहा है। ऐसे में जब 30 प्रतिशत मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग ही नहीं करते तो यह लोकतंत्र के लिए घोर निराशाजनक है। हांलाकि दुुनिया के कुछ देशों में मतदान अनिवार्य है। हमारे यहां भी मतदान की अनिवार्यता को लेकर गाहे बेगाहे आवाज उठती रहती है पर अभी इस दिशा में ठोस मानस नहीं बन पाया है।

देश के सर्वोच्च न्याय के मंदिर ने एक टिप्पणी में कहा कि जो व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करता उसे सरकार को कोसने या सरकार से किसी तरह की अपेक्षा रखने का हक भी नहीं है। दरअसल हमारी मानसिकता में ही दोहरापन है। हम अधिकारों की बात तो बढ़−चढ़ कर करते हैं पर जब दो कदम जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर आता है तो पीछे हट जाते हैं। आखिर ऐसा कब तक चलेगा। देश के जिम्मेदार नागरिक होने का दायित्व निभाने के लिए स्वप्रेरित आगे आने की पहल कब होगी, यह अभी तक यक्ष प्रश्न ही बना हुआ है। चुनाव आयोग और मीडिया के सभी माध्यम यहां तक कि सोशियल मीडिया तक अतिसक्रियता से मतदान के लिए प्रेरित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा, सुरक्षा और शांतिपूर्ण चुनावों की चाकचोबंद व्यवस्था के बावजूद मतदान केन्द्र तक जाने का कष्ट नहीं उठाते हैं तो इससे ज्यादा गैरजिम्मेदाराना काम क्या होगा। 

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17 वीं लोकसभा के आगामी तीन चरणों में शेष रही लोकसभा सीटों के मतदाताओं को आओं मतदान करें संकल्प के साथ आगे आने की पहल करनी होगी, मताधिकार का उपयोग करना होगा और एक मिसाल रखनी होगी कि लोकतंत्र के इस यज्ञ में मतदान करके ही हम हमारी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि अब शेष तीन चरणों के प्रत्येक मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केन्द्र तक जाने को प्रेरित करे और मताधिकार के माध्यम से लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। आपका हमारा एक वोट किसी भाग्य विधाता से कम नहीं है ऐसे में हमारा दायित्व बढ़ जाता है। आओ मतदान करें का संकल्प लेकर मतदान केन्द्र तक पहुंच कर अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करने में भागीदारी निभाएं।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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