ईयरफोन लगाकर मस्ती में मस्त युवा जीवन से खिलवाड़ कर रहे

earphone is dangerous for youths

इसमें कोई दो राय नहीं कि मोबाइल आज परस्पर संवाद का सबसे सुविधाजनक साधन हो गया है। पर यही मोबाइल ज्ञान, मनोरंजन और संवाद का माध्यम होने से मौत का कारण भी बनता जा रहा है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मोबाइल आज परस्पर संवाद का सबसे सुविधाजनक साधन हो गया है। पर यही मोबाइल ज्ञान, मनोरंजन और संवाद का माध्यम होने से मौत का कारण भी बनता जा रहा है। लगता है जैसे सुविधा का दुरुपयोग अब मौत का कारण भी बनता जा रहा है। अभी पिछले दिनों ही आश्रम रेलवे ओवरब्रिज पर उजियाली संध्या में सात बजे तीन युवक ट्रेन से कटकर मर गए वहीं पिछले दिनों ही जयपुर में एक विधायक पुत्र मोबाइल के कारण ही ट्रेन से टकरा कर मौत के शिकार बन गए। उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों बच्चों की स्कूल बस के दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण भी चालक द्वारा वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना रहा और ध्यान भंग होने से मासूम बच्चों की जिंदगी चली गयी। यह तो उदाहरण मात्र है जबकि इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं।

सरकार और न्यायालय इससे बेखबर नहीं हैं और यही कारण है कि न्यायालय ने मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने पर सख्त कदम उठाते हुए ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश सरकार को दिए हैं। आए दिन मोबाइल के कारण दुर्घटनाओें की खबरों के बावजूद वाहन चलाते समय या कानों में ईयरफोन लगाकर आम रास्ते पर चलते हुए मौत से साक्षात्कार के उदाहरण आम होते जा रहे हैं। ट्रेन से दुर्घटना वाली घटना कान में ईयरफोन लगाकर कुछ सुनते हुए ध्यान मग्न होने का परिणाम है कि सामने या पीछे से ट्रेन आ रही है या कोई अन्य इसका पता तक नहीं रहता। एक समय था जब रेडियो या टेलीविजन आया तो न्यूज, गाने या अन्य घर पर बैठकर ही देखे जा सकते थे। फिर ट्रांजिस्टर आया और यह एक तरह से मोबाइल ही था और समूह से एकाकी करने में इसकी भूमिका बनी। अब तो मोबाइल के आए दिन आने वाले वर्जन कैमरे, टीवी चैनल्स, रेडियो, एफएम, डिजिटल मीडिया आदि को अपने में समाये हुए हैं। यह अच्छी बात इस मायने में है कि आपकी हथेली पर सारी दुनिया के ज्ञान से लेकर मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। खबरों से रूबरू होने के लिए भी मोहताज नहीं होना पड़ता पर इस सुविधा का असंयमित उपयोग ही मौत का कारण बनता जा रहा है।

सुविधा के मौत में तब्दील होने का जीता जागता उदाहरण मोबाइल है। केवल बात करने या वीडियो गेम खेलकर समय काटने वाले मोबाइल में जब से नए−नए एप्स आए हैं खासतौर से एंड्रायड फोन की मल्टीपरपज गतिविधियां सुविधा के साथ दुर्घटना का कारण बनती जा रही हैं। वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना या गाने सुनना या वीडियो देखना या वाट्सएप मैसेजेस को देखना फैशन बनने के साथ ही जानलेवा होता जा रहा है। सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण अब मोबाइल बनता जा रहा है। मजे की बात है कि पैदल चलते युवाओं द्वारा ईयरफोन लगाकार मस्ती में मशगूल होने से चलती राह, रेलवे ट्रैक आदि पर दुर्घटनाओं की घटनाओं में तेजी आई है। वाहन चलाते समय मोबाइल उपयोग के कारण बढ़ती दुर्घटनाओं से चिंतित न्यायालय तक ने सख्ती का संदेश देते हुए ड्राइविंग लाइसेंस तक निरस्त करने को कह दिया है। मनोविज्ञानियों की हालिया रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि मोबाइल से बात करते हुए वाहन चलाते समय व्यक्ति की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है और इस कारण से दुर्घटना होना आम बात हो जाती है।

मोबाईल हमारी सुविधा का साधन होने के साथ ही अब मौत का कारण भी बनता जा रहा है। मोबाईल में एप्स के माध्यम से अनेक सुविधाओं का विस्तार हुआ है। गाने, वीडियो और एमएमएस देखना आम होता जा रहा है। ईयर फोन कान में लगाकर गानों की मस्ती या बातों में इस कदर मशगूल हो जाना कि राह में कोई वाहन भी चल रहा है या क्या इसका भी पता नहीं रहता है। समूचे देश में ईयरफोन के कारण रेलवे ट्रैक पर मौत का कारण बनने के समाचार आए दिन समाचार पत्रों में देखने को मिल रहे हैं। इसी तरह की घटनाएं सारे देश में चाहे छोटी जगह हों या बड़ी सभी जगहों पर होने लगी हैं। कुछ लोग तो दिखावे के चक्कर में ईयरफोन के कारण दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। अब सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक कारण मोबाइल बनता जा रहा है। दूसरे शब्दों में अपनी दुर्घटना का कारण स्वयं बनते जा रहे हैं।

यातायात नियमों की अवहेलना या किसी भी नियम की अवहेलना के बाद जिस तरह की स्थिति बनती है यह हमारी मानसिकता को दर्शाती है। मोबाइल चलाते हुए वाहन चालक को यातायात पुलिस द्वारा रोकने और चालान की स्थिति में सबसे आसान तरीका तो कुछ ले देकर सुलझाना हमारी मानसिकता है। दूसरी थोड़ी जान पहचान है तो सिफारिश कराने के प्रयास किए जाते हैं। आखिर जानलेवा कारकों में भी सिफारिश या अन्य हथकंडे अपनाए जाते हैं तो इस तरह के प्रयासों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। बेसक मोबाइल आज हमारी जरूरत है पर यदि यही मोबाइल हमारी या सामने वाले की मौत का कारण बनता है तो समाज को माफ नहीं किया जा सकता। समाज को मैं इसलिए कह रहा हूं कि जब तक हमारी सामाजिक मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक लाख कानून बन जाएं, सिफारिशों या ले देकर रफा दफा करने का सिलसिला रुक नहीं सकता और जब तक यह सिलसिला रुकेगा नहीं तब तक बीच चौराहे या रेलवे ट्रैकों पर होने वाली दुर्घटनाओें को नहीं रोका जा सकता।

      

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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