पाक एजेंसियां हनी ट्रैप में इस तरफ फँसाती हैं भारतीय सेना से जुड़े लोगों को

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अजय कुमार । Oct 17 2018 2:59PM

हुस्न के लाखों रंगों में एक रंग ''हनी ट्रैप'' भी है। हनी ट्रैप का इतिहास पुराना है तो धर्म ग्रंथों में भी थोड़े बदले स्वरूप में इसका वर्णन देखने को मिलता है। कभी विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिये भगवान इंद्र ने मेनका को भेजा था।

हुस्न के लाखों रंगों में एक रंग 'हनी ट्रैप' भी है। हनी ट्रैप का इतिहास पुराना है तो धर्म ग्रंथों में भी थोड़े बदले स्वरूप में इसका वर्णन देखने को मिलता है। कभी विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिये भगवान इंद्र ने मेनका को भेजा था। यह बात उस समय की है जब महर्षि विश्वामित्र वन में कठोर तपस्या में लीन थे। उनके चेहरे पर तेज नजर आ रहा था। तन शांत था। उनके आसपास जंगली जानवर घूम रहे थे। चिड़िया चहक रही थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने का साहस किसी के पास नहीं था। किसी ने महर्षि विश्वामित्र की तपस्या की सूचना देवताओं के राजा इंद्र को इंद्रलोक में दी। इस पर इंद्र देव ने खुद आकर ऋषि विश्वामित्र की तपस्या देखी। उन्हें विश्वामित्र की तपस्या देखकर बेहद हैरानी हुई। इंद्र देव को भय सताने लगा कि अगर विश्वामित्र की तपस्या सफल हो गई तो उनका अस्तित्व भी खत्म हो सकता था। इसकी वजह थी, ऋषि विश्वामित्र अपने कठोर तप से एक नए संसार का निर्माण करने की कोशिश कर रहे थे। इंद्र देव को यह चिंता थी कि यदि ऋषि विश्वामित्र अपने इस उद्देश्य में सफल हुए तो समस्त सृष्टि के देवता तो वह खुद ही बन जाएंगे।

   

पौराणिक मान्यता है कि इसके बाद देवराज इंद्र ने स्वर्ग की एक सबसे सुंदर अप्सरा मेनका को अपने पास में बुलाया। उसे नारी शरीर धारण कर मृत्युलोक (पृथ्वी लोक) में रहने का आदेश दिया। इंद्रदेव ने अप्सरा मेनका से कहा कि वह पृथ्वी लोक पर जाकर अपने सौंदर्य से ऋषि विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करें ताकि उनकी तपस्या को भांग किया जा सके। इंद्र देव की आज्ञा पाकर वह ऋषि विश्वामित्र के सामने प्रकट हुईं। ऋषि विश्वामित्र का तप भंग करना आसान नहीं था। परंतु अप्सरा मेनका देवराज इंद्र के आदेश का पालन करने तथा इंद्रलोक में अपनी धाक जमाने का यह अवसर खोना नहीं चाहती थी। इसलिए अप्सरा मेनका ने ऋषि विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करने का हर संभव प्रयास किया। वह कभी मौका पाकर ऋषि विश्वामित्र की आंखों का केंद्र बनती। तो कभी कामुकता पूर्वक होकर अपने वस्त्र को हवा के साथ उड़ने देती ताकि ऋषि विश्वामित्र की नजर उस पर पड़ जाए लेकिन उस समय तक तपस्या के प्रभाव से ऋषि विश्वामित्र का शरीर कठोर हो चुका था। उसमें किसी भी प्रकार की भावना और कामना बिल्कुल नहीं थी। परंतु स्वर्ग की अप्सरा मेनका के निरंतर प्रयासों से ऋषि विश्वामित्र के शरीर में धीरे-धीरे बदलाव आने लगा था।


सुंदरता और कामाग्नि की प्रतीक

अप्सरा मेनका के प्रतिदिन के प्रयासों से ऋषि विश्वामित्र के शरीर में काम शक्ति की भावना धीरे−धीरे जागने लगी थी। ऋषि का मन धिरे धीरे−धीरे कामाग्नि के तरफ अग्रसित होने लगा था और अप्सरा मेनका के प्रतिदिन के प्रयास के बाद एक दिन वह समय भी आया जब ऋषि विश्वामित्र सृष्टि को बदलने के अपने दृढ़ निश्चय को भूल अपनी तपस्या से उठ खड़े हुए। ऋषि विश्वामित्र सृष्टि के निर्माण के अपने फैसले को भूल कर उस स्त्री के प्यार में मगन हो गए थे जोकि स्वर्ग की एक सुंदर अप्सरा मेनका थी। इस सच से वंचित ऋषि विश्वामित्र उस अप्सरा मेनका रूपी स्त्री में अपनी अर्धांगिनी देखने लगे थे। ऋषि विश्वामित्र की तपस्या तो टूट चुकी थी फिर भी अप्सरा मेनका स्वर्ग लोक वापस नहीं लौटी, क्योंकि अप्सरा मेनका ने सोचा कि अगर वह अभी स्वर्ग लोग लौट गई तो हो सकता है ऋषि विश्वामित्र फिर से तपस्या करने बैठ जाएं। इस कारण से अप्सरा मेनका ने पृथ्वी लोक पर ही रहकर ऋषि विश्वामित्र के साथ कुछ वर्ष बिताने का निर्णय लिया। अप्सरा मेनका और ऋषि विश्वामित्र दोनों वर्षों साथ रहे। संभवता हनी ट्रैप का यह पहला मामला रहा होगा, जो आज तक थोड़ा−बहुत बदले स्वरूप में कहीं न कहीं नजर आ जाता है।

हनी ट्रैप का ताजा शिकार हुआ है 26 वर्षीय युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल (निवासी बीएसएम चौक रुड़की, उत्तर प्रदेश)। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश एटीएस ने रुड़की−देहरादून रोड पर डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) के वैज्ञानिक के घर छापा मारकर तलाशी ली और उसका लैपटॉप अपने कब्जे में ले लिया। वैज्ञानिक पर ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी सूचनाएं पाकिस्तानी एजेंसी को भेजने के आरोप हैं। निशांत अग्रवाल होनहार छात्र रहा है। चार साल से डीआरडीओ में बतौर सिस्टम इंजीनियर तैनात निशांत अग्रवाल को 2017−18 में यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वैज्ञानिक के फेसबुक अकाउंट पर पाकिस्तान की महिलाओं से उसकी दोस्ती के प्रमाण भी मिले हैं। यह महिलाएं हनी ट्रैप थीं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम करती हैं। शुरुआती पड़ताल में यह भी पता चला है कि निशांत अग्रवाल फेसबुक के जरिए पाकिस्तान के हनी ट्रैप में फंसकर देश की गोपनीय सूचना दे रहा था। पुलिस अब इस बात की भी जानकारी जुटा रही है कि शहर में कौन−कौन लोग निशांत अग्रवाल के संपर्क में थे।

हनी ट्रैप का दायरा कभी छोटा तो कभी−कभी बड़ा भले नजर आता हो, लेकिन इसका विस्तार बहुत हो गया है। कोई व्यक्ति देश के भीतर हनी ट्रैप का शिकार होता है तो इससे देश की सुरक्षा पर किसी तरह का खतरा नहीं मंडराता है, लेकिन जब हनी ट्रैप का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है तो देश की सैन्य सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगता है। वैज्ञानिक जानकारियां लीक हो जाती हैं। देश के प्रमुख नेताओं/हस्तियों की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगता है। दुनिया का हर देश हर वक्त हनी ट्रैप के माध्यम से अपने दुश्मन को मात देने की कोशिशों में लगा रहता है। गौरतलब है कि हर वक्त देशों के बीच सीधी जंग नहीं होती। हर बार केवल जंग के मैदान में ही मात नहीं दी जाती। खुफिया तरीकों से भी दुश्मन को मात दी जाती है। इस खुफिया खेल में हनी ट्रैप बहुत बड़ी भमिका निभाती है। जैसा नाम से ही जाहिर है हनी यानि शहद और ट्रैप मतलब जाल। एक ऐसा मीठा जाल जिसमें फंसने वाले को अंदाजा भी नहीं होता कि वो कहां फंस गया है ? किसका शिकार बनने वाला है? खूबसूरत महिला एजेंट्स दुश्मन देश की सेना के अधिकारियों, खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों, राजनेताओं आदि को अपने हुस्न के जाल में फंसाती हैं और उनसे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर लेती हैं।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी अक्सर भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना से जुड़े लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश करती रहती है। कुछ समय पूर्व वायुसेना के अरुण मारवाह को हनी ट्रैप में फंसाया गया था। उनसे काफी जानकारी हासिल कर ली गई। अमूमन इस तरह की जानकारियों का इस्तेमाल आतंकी हमले में किया जाता है। दुश्मन जानकारी का क्या इस्तेमाल करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि जानकारी क्या है और कितनी गोपनीय है। अभी तक का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि सोशल मीडिया के जरिए सेना से जुड़े लोगों को फंसाया जाता है। ये जरूरी नहीं कि सामने जो लड़की बातें कर रही है वो वास्तव में लड़की ही हो। कई बार पुरुष एजेंट, महिला बन कर बातें करते हैं। इसके लिए फेक प्रोफाइल्स बनाई जाती हैं। ये इस कदर असली दिखती हैं कि इन पर भरोसा कर लिया जाता है।

इसी प्रकार इससे पहले सितंबर महीने में दिल्ली−एनसीआर में तैनात एक बीएसएफ जवान को भी यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था। जवान ने फेसबुक पर रक्षा पत्रकार की गलत पहचान वाली एक महिला पाकिस्तानी हैंडलर को संवेदनशील जानकारी लीक कर दी थी। जवान ने अपनी यूनिट की लोकेशन, तस्वीरें, ट्रेनिंग सुविधा की फोटो और अन्य संवेदनशील जानकारियां लीक की थीं। यूपी एटीएस ऐसे मामलों पर पैनी नजर रख रही है। एटीएस की रिपोर्ट के मुताबिक सूचना लीक करने वाले वैज्ञानिक और हनी ट्रैप में फंसे बीएसएफ जवान का हैंडलर एक ही आईएसआई एजेंट है।

  

14 मार्च 2018 को राजस्थान में अलवर के एनईबी थाना क्षेत्र के अंतर्गत 60 फीट रोड स्थित एक मोबाइल की दुकान से एक नाबालिग को यूपी और दिल्ली एटीएस की टीम ने अलवर पुलिस की मदद से हिरासत में लिया। मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने वाले नाबालिग युवक के पाकिस्तानी युवती से फेसबुक और वॉट्सएप के जरिए पिछले कुछ समय से लगातार बातचीत चल रही थी। युवक की संदिग्ध बातचीत और सुरक्षा से जुड़े अहम दस्तावेज भेजने की बात सामने आने के बाद यूपी एटीएस ने अलवर पुलिस की मदद से युवक को हिरासत में लिया था।

भारतीय सेना में सूबेदार के तौर पर काम करने वाले पाटन कुमार पोद्दार भी हनी ट्रैप में फंस चुके हैं। पाटन तब संयुक्त आंध्र प्रदेश के सिंकदाराबद छावनी में पोस्टेड थे। पाटन कुमार ने भी हुस्न के जाल में फंसकर कई सैन्य जानकारियां लीक कर दी थीं। इससे पहले चर्चित पठानकोट हमले में भी हनी ट्रैप की भूमिका सामने आई थी। एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात एयरमैन सुनील कुमार पर जानकारियां लीक करने का आरोप लगा था। इस मामले में मीना रैना नाम की लड़की की भूमिका सामने आई थी जिसने सुनील कुमार को जानकारियों के एवज में रकम भी अदा की थी।

30 दिसंबर 2015 को इंडियन एयरफोर्स के एक एयरक्राफ्ट मैन को भारतीय खुफिया एजेंसी ने हनी ट्रैप का शिकार बताया था। भठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात एक वायु सैनिक रंजीत को फेसबुक पर एक दामिनी नाम की अनजान महिला ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर अपने जाल मे फंसाया था। महिला ने रंजीत से बेस से जुड़ी कई जानकारियां हासिल की थीं। जिसके कुछ समय बाद ही पंजाब के एक एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकियों ने हमला बोल दिया था।

जुलाई 2012 में भारतीय सेना के अफसर के बांग्लादेशी महिला के साथ ऑनलाइन चैट के कुछ रिकॉर्ड मिले थे। भारतीय सेना के 82वीं बख्तरबंद रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर राजस्थान में तैनात अधिकारी से शीबा नाम की जिस महिला ने संपर्क साधने की कोशिश की थी उसके संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से होने की बात सामने आई थी। हालांकि सेना द्वारा की गई जांच में अधिकारी को बाद में क्लीन चिट दे दी गई थी।

हनी ट्रैप में सोशल मीडिया की भूमिका भी अहम है। हनी ट्रैपर सेना से जुड़े लोगों का भरोसा हासिल करने के लिए मोबाइल नंबरों का भी आदान प्रदान करते हैं। फेसबुक, वाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे टूल्स से भी चैटिंग की जाती है। इस तरह की चैटिंग के दौरान अंतरंग तस्वीरें, बेहद निजी राज आदि जान लिए जाते हैं और फिर ब्लैकमेल करने में इनका इस्तेमाल किया जाता है। कई केसों में देखा गया है कि लड़की खुद को किसी यूरोपियन देश या फिर अमेरिका का बताती है। कई बार लड़की खुद को किसी अखबार या मैगजीन से जुड़ा बताती है। ऐसे में यह लोग सेना अधिकारियों को थोड़ी जानकारी देने के एवज में अच्छा पैसा ऑफर करते हैं। सैन्य प्रतिष्ठानों की तस्वीरें शेयर करने को भी कहा जाता है।

-अजय कुमार

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