इस दिव्य कुम्भ और भव्य कुम्भ के लिए मोदी और योगी बधाई के पात्र

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दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुम्भ इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि इसकी भव्यता, गंगा की निर्मलता और साफ सफाई की पूरी दुनिया में चर्चा रही। कुम्भ मेले का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2018 को गंगा पूजन कर किया था।

दिव्य कुम्भ, भव्य कुम्भ। प्रयागराज में मकर संक्रांति से शुरू हुआ कुम्भ मेला महाशिवरात्रि पर समाप्त हुआ। शिवरात्रि को आखिरी स्नान पर्व था और इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पृथ्वी पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मेला कुम्भ इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि इसकी भव्यता, गंगा की निर्मलता और साफ सफाई की पूरी दुनिया में चर्चा रही। कुम्भ मेले का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसंबर 2018 को गंगा पूजन कर किया था। उसी दिन 450 साल बाद ऐतिहासिक अक्षयवट और सरस्वती कूप खोलने की भी घोषणा की गयी थी।

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इस कुम्भ मेले में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुँचे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संगम में स्नान किया और गंगा आरती की। यही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार के तो सभी मंत्री एक साथ कुम्भ नहाने पहुँचे और साथ ही प्रदेश के इतिहास में पहली बार कैबिनेट की बैठक राजधानी लखनऊ के बाहर प्रयागराज में हुई। कुम्भ मेले ने उत्तर प्रदेश को तो बहुत कुछ दिया ही इस मेले के लिए खासतौर पर प्रयागराज को एअरपोर्ट और एक नया रेलवे स्टेशन भी मिला।

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कुम्भ मेला इस कदर रौशनी में नहाया रहा कि दुनिया आश्चर्यचकित रह गयी। हर स्नान पर्व पर एक साथ ढाई से तीन करोड़ लोगों का आना और बिना किसी समस्या के स्नान पर्व का निपटना, बेहतरीन सुविधाओं वाली टैंट नगरी, विभिन्न अखाड़ों के शाही स्नान, उनकी पेशवाई और अखाड़ों की चहल-पहल तथा आचार्य महामंडलेश्वरों की शानौ शौकत, पंडालों में गूंजते वैदिक मंत्र और घंटे घड़ियाल, सुंदर झाकियों को देखने के लिए लगी लाइनें, नागा बाबाओं को हैरत से देखती भीड़, पहली बार लगे किन्नर अखाड़े में आचार्य महामंडलेश्वर से आशीर्वाद लेने के लिए लगी भक्तों की भीड़, हठयोगियों के हठ को आश्चर्य से देखते लोग, ठंड के बावजूद खुले आसमान के नीचे डेरा जमाए सुबह का इंतजार करते श्रद्धालु, घाटों पर साफ-सफाई और लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाकर्मी, जल पुलिस की चौकस निगाहें, स्नान पर्वों पर स्नानार्थियों पर फूल बरसाते हेलीकॉप्टर, पुलिस और प्रशासन के लोगों का लखनवी अंदाज, हर पचास कदम पर कूड़ेदान की व्यवस्था, जगह-जगह बने शौचालय, अस्पताल, एटीएम, खोया पाया केंद्र आदि हर तरह की सुविधाओं वाला यह महाकुम्भ पर्व वर्षों तक याद रखा जायेगा।

इस कुम्भ में लोगों ने वह दृश्य भी देखा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद अक्षयवट की पूजा की। बाद में बड़े हनुमानजी के दर्शन किए और फिर कुम्भ में स्वच्छाग्रहियों के पैर धोए। इन्हीं सफाईकर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर कुम्भ में स्वच्छता की ऐसी मिसाल कायम की जो पहले कभी नहीं देखी गई। मोदी ने कुम्भ के दौरान स्वच्छाग्रहियों के पैर धोकर ना सिर्फ उनका आशीष ग्रहण किया बल्कि एक संदेश भी दिया। इस दौरान सफाई कर्मचारी कुर्सियों पर बैठे थे जबकि मोदी नीचे एक पटरे पर बैठे थे। इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी संगम तट पर पूजा-पाठ किया और गंगा आरती कर विश्व कल्याण की कामना की। राष्ट्रपति ने साधु-संतों से भी मुलाकात की। राष्ट्रपति ने संगम नोज से ही महर्षि भारद्वाज की प्रतिमा का बटन दबाकर अनावरण किया। राष्ट्रपति कोविंद कुम्भ में आने वाले देश के दूसरे राष्ट्रपति हैं। इससे पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1953 में कुंभ मेला आए थे।

कुम्भ मेले में यात्रियों की निःशुल्क सेवा के लिए लगाई गईं 500 से अधिक शटल बसों ने गत सप्ताह एक साथ परेड कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इससे पूर्व सबसे बड़े बेड़े का रिकॉर्ड अबु धाबी के नाम था जहां दिसंबर, 2010 में 390 बसों ने परेड कर रिकॉर्ड बनाया था। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिनिर्णायक ऋषि नाथ ने बताया कि परेड के लिए 510 बसें लगाई गई थीं जिसमें सात बसें मानक के अनुरूप नहीं चल सकीं। 503 बसें मानक के अनुरूप चलीं।

कुम्भ मेला यहाँ हुई धर्म संसदों को लेकर सुर्खियों में भी रहा। क्योंकि जनवरी-फरवरी माह के दौरान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए साधु संतों ने जोरदार आंदोलन चलाया हुआ था। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की एक टिप्पणी- इस संगम में सभी नंगे हैं को लेकर भी भारी विवाद हुआ। लेकिन कुल मिलाकर देखा जाये तो पिछले कई आयोजनों से यह आयोजन बेहतरीन रहा। लगभग 45 किलोमीटर के दायरे में बसायी गयी कुम्भ नगरी में यदि दो माह में 25 करोड़ से ज्यादा लोग आयें और बिना किसी असुविधा के स्नान और पूजन करके जाएं तो यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ लोगों के आने से यहाँ के लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिला और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को जोरदार फायदा हुआ। रेल, विमान, यात्री बसों की सुविधाएं बेहतरीन रहीं। यही कारण रहा कि इस बार वाराणसी में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद जब बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों ने कुम्भ में स्नान किया तो यहाँ की सुविधाओं की तारीफ करते नहीं थके। खुद प्रभासाक्षी की टीम ने कुम्भ मेले में लंबा समय बिताया और गंगा मैय्या की जय के उद्घोष के बीच हर व्यक्ति चाहे वह साधु हो या श्रद्धालु, मोदी और योगी की तारीफों के पुल बांधते हुए दिखे। वाकई एक दिव्य और भव्य तथा श्रेष्ठ आयोजन के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को बधाई।

- नीरज कुमार दुबे

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