लोकसभा चुनाव भी आकर्षित कर रहे हैं विदेशी सैलानियों को

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दुनिया के अधिकांश देशों के चुनावों और हमारी चुनावों में बड़ा अंतर यह है कि पाकिस्तान सहित कई देशों में होने वाले चुनावों की निष्पक्षता को लेकर प्रश्न उठते रहे हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ सहित कई संस्थाओं को उन देशों में चुनावों की निष्पक्षता जांचने के लिए दूसरे देशों से पर्यवेक्षक भेजे जाते हैं।

सात चरणों के लोकसभा चुनावों के पहले चरण का मतदान जहां 11 अप्रैल को हो रहा है वहीं हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को जानने, देखने और परखने के लिए 700 विदेशी सैलानियों का पहला दल भारत आ चुका है। मजे की बात यह है कि यह दल कोई ऐतिहासिक या पुरातात्विक महत्व के स्थानों या महलों−किलों या हवेलियों को देखने नहीं आ रहा बल्कि यह दल हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हो रहे लोकसभा के चुनावों की प्रक्रिया देखने आ रहा है। खासबात यह कि इन्हें भारत सरकार या किसी देश की एजेन्सी द्वारा नहीं बुलाया या भेजा जा रहा है बल्कि यह तो नए ट्रेंड के रुप में इलेक्शन टूरिज्म पैकेज के रुप में आ रहा है। दरअसल सारी दुनिया में हमारी चुनाव व्यवस्था को आदर्श व्यवस्था के रुम में जाना जाता है। यही कारण है कि पर्यटकों के ट्यूर आयोजकों द्वारा हमारे देश में हो रहे चुनावों को भी पर्यटन के रुप में प्रस्तुत किया जा रहा है और इलेक्शन ट्यूर आयोजित किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि देश के करीब 35 ट्यूर आपरेटर देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा के चुनावों का ट्यूर पैकेज बनाकर विदेशी पर्यटकों के सामने रखा गया है और मजे की बात यह है कि लगभग 1600 लोगों ने तो अपनी बुकिेंग करवा भी ली है जिसमें पहले चरण में 700 पर्यटकों का दल 10 अप्रेल को हमारे देश आ रहा है। ट्यूर ऑपरेटरों का कयास है कि सात चरणों के इस चुनावी सीजन में एक मोटे अनुमान के अनुसार दस हजार से अधिक पर्यटक इलेक्शन टूरिज्म पैकेज के तहत आने वाले हैं। 

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ट्यूर ऑपरेटरों द्वारा इलेक्शन ट्यूर पैकेज को जिस तरह से तैयार किया गया है उसमें पर्यटकों द्वारा तय किए गए क्षेत्रों में चुनाव की तैयारियों, चुनावी सभाओं, रैलियों, रोड शो के साथ ही मतदान होते हुए भी विदेशी सैलानियों को दिखाया जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारे देश में हैं। इसमें भी दो राय नहीं हो सकती की दुनिया के देशों में हमारी चुनाव प्रणाली और व्यवस्था को आदर्श माना जाता है। निष्पक्ष और निडर मतदान की व्यवस्था हमारी विशेषता है। ऐसे में दुनिया के देशों की हमारे चुनावों पर नजर रहती है। माना जा रहा है कि अमेरिका, इंग्लैण्ड सहित यूरोपीय देशों के साथ ही रुस आदि देशों के सैलानी इलेक्शन टूरिज्म पैकेज से प्रमुखता से जुडेंगे। 

दुनिया के अधिकांश देशों के चुनावों और हमारी चुनावों में बड़ा अंतर यह है कि पाकिस्तान सहित कई देशों में होने वाले चुनावों की निष्पक्षता को लेकर प्रश्न उठते रहे हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ सहित कई संस्थाओं को उन देशों में चुनावों की निष्पक्षता जांचने के लिए दूसरे देशों से पर्यवेक्षक भेजे जाते हैं। हमारे देश से भी अन्य देशों में बतौर पर्यवेक्षक जाते रहे हैं। अमेरिका में वहां के आम चुनाव दिखाने का चलन कई सालों से चल रहा हैं। वहां की कई संस्थाएं अपने खर्चें पर पत्रकारों और राजनेताओं सहित दूसरे देश के प्रबुद्ध जनों को वहां के चुनाव देखने के लिए बुलाया जाता है। इसी तरह से कुछ अन्य देशों द्वारा भी बुलाया जाता रहा है। 

हमारे देश में आम चुनाव किसी महोत्सव से कम नहीं होते। नामांकन से लेकर मतदान और फिर मतगणना तक अलग ही तरह की फिजा बनी रहती है। इलेक्शन कमीशन ने जिस तरह से चुनाव प्रक्रिया को आसान व सहज बनाया है उससे लोगों में मतदान के प्रति रुझान बढ़ा है। युवाओं में तो अलग ही जोश देखने को मिलता है। फिर राजनीतिक दलों द्वारा जिस तरह से इलेक्शन केंपेन चलाया जाने लगा है और जिस तरह से रोड शो और चुनावी रैलियों के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन किया जाता है वह विदेशियों के लिए निश्चित रुप से किसी आश्चर्य से कम नहीं माना जा सकता। चुनाव आयोग द्वारा जिस तरह से निष्पक्ष चुनाव की तैयारियां की जा रही है। और चुनाव से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी मतदाताओं तक अभियान चलाकर पहुंचाई जा रही है वह चुनावों की निष्पक्षता को और अधिक पुष्ट करती है। लोकसभा क्षेत्रों में जिस तरह से कार्मिकों का नियोजन किया जाता है और जिस तरह से पर्यवेक्षकों जिम्मे पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी जाती है वह अनुकरणीय है। इसके साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती और मतदाताओं में विश्वास पैदा करने के लिए फ्लेग मार्च आदि की व्यवस्था से लोग निडर होकर मतदान करने लगे हैं। ईवीएम और अब तो वीवीपेट ने चुनावों की रंगत ही बदल दी है। मतदाताओं को चुनाव आयोग की परची से मतदान केन्द्र से लेकर सभी जानकारी सहज ही मिल जाती है। ऐसे में मतदान का प्रतिशत बढ़ना समय की मांग हो गई है। 

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दुनिया के देशों में जिस तरह की हमारे लोकतंत्र और चुनावों की पहचान और गरिमा है उसे देखते हुए चुनाव पर्व को दुनिया के देशों के पर्यटकों के लिए इलेक्शन टूरिज्म पर्व के रुप में प्रचारित प्रसारित किया जा सकता है। चूंकि हमारे चुनावों में पूरी तरह से ग्लेमर है तो दूसरी और चुनावों में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं होने से इलेक्शन टूरिज्म को बड़े और व्यापक स्तर पर प्रसारित किया जा सकता है। हांलाकि लोकसभा के पांच साल में चुनाव होते हैं पर हमारे देश में विधानसभाओं के चुनाव तो किसी ना किसी राज्य में प्रतिवर्ष होते रहते हैं, ऐसे में राज्य विशेष को फोकस करके भी इलेक्शन टूरिज्म से लोगों को आकर्षित किया जा सकता है। माना जाना चाहिए कि आने वाले समय में इलेक्शन टूरिज्म भी एक बड़े आयोजन के रुप में दुनिया के देशों के पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब होगा। इससे सबसे बड़ा लाभ जहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से होगी वहीं हमारी लोकतांत्रिक व चुनावी व्यवस्था को विदेशी लोग नजदीक से देख सकेंगे। इससे हमारी व्यवस्था और लोकतंत्र की गरिमा में ही बढ़ोतरी होगी।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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