साक्षात्कारः अनुराग ठाकुर ने कहा- हिंदुस्तान की आत्मनिर्भर मुहिम को नई गति देगा बजट

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केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि आम बजट से पूर्व देश के प्रत्येक क्षेत्रों का सर्वे किया गया। गैर-भाजपा शासित राज्यों से सुझाव नहीं मिले, तो वहां हमने अपने कैडर्स का सहारा लिया। कुल मिलाकर किसी भी क्षेत्र से कोई भेदभाव नहीं किया गया।

बेशक केंद्र सरकार मौजूदा बजट को आत्मनिर्भर भारत पर केंद्रित बताए, लेकिन विपक्ष ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखता। बजट अच्छा है इसे मानने को राजी नहीं? फरवरी की पहली तारीख को जब संसद में बजट पेश हुआ तो विपक्षी दलों ने हंगामा काटते हुए बजट को नकारा। जबकि, सरकार बजट को अर्थव्यवस्था के लिए नई गति व आगे बढ़ाने वाला बता रही है। शिक्षा, रेलवे व स्वास्थ्य ऐसे तीन क्षेत्र हैं जिन पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। विपक्षी दलों के विरोध पर सरकार के पक्ष को जानने के लिए डॉ. रमेश ठाकुर ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-

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प्रश्न- विपक्ष के विरोध के बावजूद सरकार बजट को सराह रही है, इसमें क्या कुछ खास है?

उत्तर- महामारी से उथल-पुथल हुई व्यवस्था को दोबारा से उभारने पर हमने ज्यादा फोकस किया है। आत्मनिर्भर भारत में महामारी से बचने और अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने का काम मौजूदा बजट से हो ऐसी हमें उम्मीद है। दूसरी बात ये है कि यह बजट भारतवासियों की उम्मीदों के अनुरूप है। विभिन्न क्षेत्रों में सर्वेक्षण कराने के बाद बजट को अंतिम रूप दिया। सरकार अपने पुराने एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रही है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ ही हमारा मुख्य एजेंडा है। इसी मूल मंत्र को अपना कर हम आगे बढ़ रहे हैं। विपक्ष अगर फिर भी विरोध करता है तो करे, हमें 130 करोड़ देशवासियों की चिंता है। उनकी ज़रूरतों को आधार बनाकर हमने बजट पेश किया है।

प्रश्न- किन जरूरी मुद्दों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया गया?

उत्तर- देखिए, इस बार बजट तैयार करने के तरीकों में काफी बदलाव हुआ। विभिन्न क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया है। वह क्षेत्र जिसमें बजट को बढ़ाने की आवश्यकता थी, हमने बढ़ाया। राज्यों से सुझाव मांगे थे, उनके सुझावों के आधार पर केंद्रीय बजट का आर्थिक मसौदा तैयार हुआ। बजट से पूर्व देश के प्रत्येक क्षेत्रों का सर्वे किया गया। गैर-भाजपा शासित राज्यों से सुझाव नहीं मिले, तो वहां हमने अपने कैडर्स का सहारा लिया। कुल मिलाकर किसी भी क्षेत्र से कोई भेदभाव नहीं किया गया।

प्रश्न- नई योजनाओं की झड़ी लगाई गईं, लेकिन इतना पैसा कहां से आएगा?

उत्तर- हां, ये सही बात है धन को जुटाना किसी चुनौती से कम नहीं? लेकिन मुझे लगता है कोई दिक्कत आएगी नहीं, इस बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं। सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में आम आदमी को राहत देने की कोशिशें की हैं। कोरोना महामारी के बाद स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि जरूरी क्षेत्र बेहाल हुए हैं। इस बजट से स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे तथा रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाया जाएगा। निश्चित रूप से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में फिर से तेजी देगा मौजूदा आम बजट।

प्रश्न- कोरोना संकट से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को ज्यादा ध्यान में रखा गया होगा?

उत्तर- निश्चित रूप से कोविडकाल में किसी एक नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रों में बुरा असर पड़ा। इसे उभारने में एकाध वर्ष लगेंगे। वैसे, केंद्रीय बजट में किसी क्षेत्र को छोड़ा नहीं गया। ग़रीबों के कल्याण और विकास में संतुलन साधने का प्रयास किया गया। गांव, गरीब व किसानों पर ज्यादा फोकस किया गया। इसके अलावा आधरभूत ढांचे और उद्योगों के विकास पर भी जोर दिया। पूरा बजट अर्थशात्रियों, एक्सपर्ट आदि के सर्वेक्षण को ध्यान में रखकर बनाया गया।

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प्रश्न- सैनिक स्कूलों को खोला जाएगा, लेकिन उनके संचालन की कमान निजी हाथों में देना कुछ हजम नहीं होता?

उत्तर- डिफेंस एक्सपर्ट और इस क्षेत्र में कार्यरत निजी स्वयं सेवी संस्थाओं को ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी। पर, सब कुछ सरकार की निगरानी में ही होगा। ये स्कूल उन क्षेत्रों में खोले जाएंगे जहां कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। दूर-दराज के गाँवों के बच्चे भी सैनिक स्कूलों में दाख़िला ले सकेंगे और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद देश की सेवा में अपना योगदान दे सकेंगे। ये बहुत पहले किया जाना चाहिए था, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों की उदासीनता के चलते ऐसा फैसला नहीं लिया जा सका। डिफेंस, आर्मी में कई युवक जाना चाहते हैं, लेकिन सही रास्ता नहीं मिलने से उनका सपना पूरा नहीं हो पाता। उनके सपनों को हम पूरा करेंगे।

प्रश्न- बात फिर वहीं आ जाती है इतना धन आएगा कहां से, हालात तो खराब हैं?

उत्तर- हालात इतने भी खराब नहीं हैं जितना दुष्प्रचार किया जा रहा है। तुलनात्मक रूप से देखें, तो आमदनी के हिसाब से भारत अब भी दूसरे देशों के मुकाबले कहीं आगे है। जनता के बीच विपक्ष सही तस्वीर पेश नहीं करता। विरोधी नेता लोगों में भ्रम फैलाते हैं। अगर ऐसा न हो तो स्थिति कुछ और हो। केंद्र सरकार ने तय किया है कि उच्चवर्गीय आय वर्गों का सहयोग लिया जाएगा। सालाना दो करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर तीन फीसदी और पांच करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सात प्रतिशत का सर चार्ज लगाए जाने का प्रावधान है। नए भारत के विकास में अपने श्रम का योगदान कोई भी देना चाहेगा।

प्रश्न- पेपरलेस बजट के पीछे कोई खास मकसद था?

उत्तर- हां, इस बार नया प्रयोग किया गया। देश में पहली दफे पूर्णतः कागज रहित बजट पेश किया गया। पेपर की जगह टैब का इस्तेमाल हुआ। मकसद कोई खास नहीं था। कागज की बचत और कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखकर किया गया। पेपर पढ़ने से कहीं ज्यादा सरलता टैब में अंकित चीजों को पढ़कर हुई। प्रयोग सफल हुआ, आगे भी जारी रहेगा।

-जैसा डॉ. रमेश ठाकुर से केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बातचीत में कहा।

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