सर्वाधिक मतों से निर्वाचित प्रधानमंत्री और सबसे शक्तिशाली विश्व नेता बन गये हैं मोदी

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मोदी ने 2014 की जीत के आंकड़े को भी पार कर लिया है और इस पृथ्वी पर जितने भी लोकतांत्रिक देशों के निर्वाचित राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हैं उनमें मोदी सबसे ज्यादा मतों से चुने जाने वाले प्रधानमंत्री हैं। यही नहीं मोदी अब विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता भी बन गये हैं।

2014 के लोकसभा चुनावों में जब भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर 284 सीटें जीत कर सरकार बनाने में कामयाब रही तो पूरे विश्व में नरेंद्र मोदी के नाम की धाक हो गयी थी। उस वर्ष म्यांमार में आसियान की बैठक से इतर जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई तब ओबामा ने कहा था कि मोदी को हम सबसे बड़ी चुनावी जीत मिली है। लेकिन अब 2019 को देखिये, मोदी ने 2014 की जीत के आंकड़े को भी पार कर लिया है और इस पृथ्वी पर जितने भी लोकतांत्रिक देशों के निर्वाचित राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हैं उनमें मोदी सबसे ज्यादा मतों से चुने जाने वाले प्रधानमंत्री हैं। यही नहीं मोदी अब विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता भी बन गये हैं।

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विश्व के अन्य नेताओं का हाल जानिये

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि विश्व के किसी अन्य नेता के पास इतना बड़ा जनसमर्थन नहीं है। नरेंद्र मोदी के अभिन्न मित्र और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में इजराइली चुनावों में जीत तो हासिल की लेकिन 65 सीटों के बहुमत के आंकड़े को हासिल करने के लिए उन्हें कुछ क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन लेना पड़ा। दूसरी ओर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जिनसे मोदी की गहरी दोस्ती जगजाहिर है, वह भी हाल ही में पुनः निर्वाचित हुए हैं लेकिन उनकी पार्टी की सीटों की संख्या पहले से कम हो गयी है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो जरूर हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने में सफल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात करें तो हालिया मध्यावधि चुनावों में उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा इसके साथ ही अमेरिका में कई घरेलू चुनौतियां भी उनके समक्ष खड़ी हैं और अगला चुनाव उनके लिए आसान नहीं रहने वाला है। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन जरूर सत्ता में वापस आ गये हैं लेकिन उनकी पार्टी को गठबंधन सरकार बनानी पड़ी है। ब्रिटेन को देखें तो वहां की प्रधानमंत्री थेरेसा मे को ब्रेक्जिट मुद्दे पर लगातार मिल रही नाकामियों के चलते इस्तीफा देना पड़ गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों हों या जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, दोनों ही अपने-अपने देश के पहले जैसे ताकतवर नेता नहीं रह गये हैं और घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यही हाल तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन का है। कभी एकछत्र राज करने वाले एर्दोगन के सामने अब काफी मुश्किलें हैं और तुर्की के संविधान में संशोधन के बाद वहां वास्तविक लोकतंत्र के होने पर भी सवाल हैं। गौरतलब है कि अब तुर्की में संसदीय प्रणाली की जगह पर अध्यक्षीय प्रणाली लागू हो गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने-अपने देश में भले मजबूत राजनीतिक ताकत हों लेकिन वैश्विक नेता के तौर पर इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि जहां चीन में लोकतंत्र नहीं है वहीं रूस पर आरोप लगते हैं कि वहां के चुनाव निष्पक्ष नहीं होते।

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मोदी के लिए दुनिया है उतावली

दूसर तरफ, यह एक सामान्य प्रोटोकॉल है कि किसी भी देश के नये निर्वाचित राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को विश्व के अन्य देशों से बधाई संदेश आते हैं। भारत भी ऐसा ही करता है और भारत में जब कोई राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री निर्वाचित होता है तो विश्व नेताओं की ओर से बधाइयां मिलती ही हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए इस बार विश्व के कई नेता प्रोटोकॉल तोड़ते नजर आये। सबसे पहले चीन को लीजिये। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए चुनाव नतीजे घोषित होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुभकामनाएं दे दी थीं। आमतौर पर चीनी नेता नतीजों की घोषणा किए जाने के बाद विदेशी नेताओं को बधाई देते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके तो बधाई दी ही साथ ही ट्वीट कर भी बधाई दी और कहा कि भारत के लोग भाग्यशाली हैं कि उनके पास नरेंद्र मोदी हैं। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मोदी को बधाई देने वाले पहले राष्ट्र प्रमुख थे। बेंजामिन नेतन्याहू ने हिब्रू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में भी मोदी को ट्वीट कर बधाई दी। 

विश्व नेताओं ने दी बधाई

मोदी को बधाई देने वाले प्रमुख नेताओं की बात करें तो उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना, सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, इंडोनशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, नाइजीरिया के राष्ट्रपति एम बुहारी, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस आदि शामिल हैं।

भारत करेगा अगुवाई

अब आगामी दिनों में SCO, G20, G7 की बैठकें होने वाली हैं जिनमें वैश्विक चुनौतियों, आपसी सहभागिता से हल किये जाने वाले मुद्दों आदि पर गंभीर मंथन होगा। उम्मीद है कि अब दुनिया में सबसे ज्यादा मतों से निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत विश्व की अगुवाई करेगा।

-नीरज कुमार दुबे

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