कोरोना से बचना है तो नियमों के प्रति लापरवाही और वैक्सीन की बर्बादी बंद करनी होगी

corona vaccine

समस्या यह है कि लोग अब अधिक लापरवाह हो गए हैं। लोग भूल रहे हैं कि कोरोना अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। बल्कि मार्च का महीना तो कोरोना विस्फोट के रूप में सामने आया है। आंकड़ों के बढ़ने का बड़ा कारण लापरवाही को ही माना जा सकता है।

लाख प्रयासों के बावजूद देश में कोरोना की दूसरी लहर आ ही गई है और वह भी पहले से भी अधिक तेजी के साथ। हालांकि देश में कोरोना वैक्शीनेशन में भी तेजी आई है। पर जिस तरह से कोरोना के नए मामले चिंता का कारण बन रहे हैं वहीं करीब साढ़े छह फीसदी टीकों की बर्बादी भी चिंता का कारण बनती जा रही है। दुनिया के देशों में कोरोना वैक्सीन की मांग बढ़ती जा रही है। भारत द्वारा दुनिया के देशों को निःशुल्क व सशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ सहित दुनिया के देशों द्वारा भारत की खुले दिल से सराहना की जा रही है। पर वैक्सीन की बर्बादी को लेकर सरकार अब गंभीर हो गई है तो दूसरी और यह गंभीर चिंता का कारण भी है।

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दरअसल वैक्सीन की एक शीशी से चार लोगों का वैक्शीनेशन किया जा सकता है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि वैक्सीन की शीशी के खुलने के बाद चार घंटे में उसका उपयोग किया जाना जरूरी होता है। अब वैक्शीनेशन केन्द्र पर चार की गणना में टीका लगवाने वाले उपलब्ध नहीं होते हैं तो वैक्सीन को खराब होने से बचाया नहीं जा सकता। देश में जहां समग्र आंकड़े देखें तो करीब साढ़े छह प्रतिशत वैक्सीन खराब हो रही है वहीं राज्यवार विश्लेषण करने पर यह उभर कर आता है कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि में वैक्सीन के बर्बाद होने का प्रतिशत अधिक है। तेलंगाना में तो 17 प्रतिशत से भी अधिक टीकों की बर्बादी हो रही है वहीं आंध्र प्रदेश में साढ़े ग्यारह और उत्तर प्रदेश में 9.4 प्रतिशत वैक्सीन की बर्बादी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार यह स्थिति अपने आप में चिंतनीय हो जाती है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि दुनिया के देश जहां एक और वैक्सीन पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, दूसरी ओर कोरोना पर प्रभावी रोकथाम के लिए वैक्शीनेशन जरूरी बताया जा रहा है। ऐसे में वैक्सीन की एक भी डोज खराब होती है तो यह अपने आप में बड़ी हानि से कम नहीं है।

देश के दस राज्यों में कोरोना की पहली सालगिरह पर या यों कहें कि मार्च माह में जिस तेजी से कोरोना विस्फोट हो रहा है वह गंभीर चिंता का सबब बनता जा रहा है। महाराष्ट्र में हालात ज्यादा ही चिंताजनक होते जा रहे हैं तो कोरोना के कारण मौत के पंजाब के आंकड़े चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। हालांकि केन्द्र और राज्य सरकारें सजग हो गई हैं और देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन तो कुछ हिस्सों में रात्रिकालीन पाबंदियां लगाई जा रही हैं। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना के नए मामलों को लेकर गंभीर हैं और राज्यों क मुख्यमंत्रियों से संवाद कायम कर ठोस कदम उठाने को कहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो कोरोना के नए मामलों को देखते हुए गंभीर होने के साथ ही लोगों से कोरोना प्रोटोकाल की सख्ती से पालना को कहा है। दो गज की दूरी-मास्क जरूरी और बार-बार हाथ धोने के संदेश दिए जा रहे हैं तो कोरोना प्रोटोकाल की सख्ती से पालना के निर्देश भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिए हैं। इसी तरह से अन्य प्रदेशों की सरकारें भी गंभीर हो रही हैं।

समस्या यह है कि लोग अब अधिक लापरवाह हो गए हैं। लोग भूल रहे हैं कि कोरोना अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। बल्कि मार्च का महीना तो कोरोना विस्फोट के रूप में सामने आया है। आंकड़ों के बढ़ने का बड़ा कारण लापरवाही को ही माना जा सकता है। सब कुछ कोरोना से पहले वाली स्थिति में आना लगा है तो चाहे सार्वजनिक परिवहन साधन हों या बाजार के हालात, माल्स हों या अन्य स्थान, मास्क के प्रति लापरवाही साफ देखी जा सकती है। या तो मास्क लगा ही नहीं रखा होगा व यदि मास्क लगा भी होगा तो मात्र औपचारिकता के लिए, ऐसे में कोरोना संक्रमण से बचने की कल्पना किसी भी हालत में नहीं की जा सकती। जब मास्क ही सही तरीके से नहीं लगा हो तो फिर दो गज की दूरी की बात करना ही बेमानी हो जाती है। सभी चाहते हैं कि कोरोना का भय खत्म हो, सब कुछ सामान्य हो जाए तो यह हमारा दायित्व हो जाता है कि हम एहतियाती उपायों यानी मास्क का प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, सेनेटाइजर का उपयोग आदि के लिए गंभीर होना ही पड़ेगा। पुलिस प्रशासन को भी अब सख्ती दिखानी होगी और जो नियमों की पालना नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। नहीं तो हालात और अधिक बिगड़ेंगे और देश एक बार फिर लंबे लॉकडाउन के दौर में चला जाएगा।

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जहां तक वैक्शीनेशन की बात है तो लोगों में अभी भ्रम का वातावरण बना हुआ है। वैक्सीन लगवाएं या नहीं यह ऊहापोह की स्थिति है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र में यह स्थिति अधिक है। ऐसे में वैक्शीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित करने के साथ ही इस तरह की रणनीति बनानी होगी जिससे चार-चार के समूह में वैक्शीनेशन किया जाए ताकि वैक्सीन की एक बूंद भी बर्बाद ना हो सके। हमें एक और कोरोना प्रोटोकाल की पालना के लिए गंभीर होना होगा तो दूसरी और वैक्शीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित करना होगा। भ्रान्तियों और दुष्प्रचार को प्रचारित होने से रोकना होगा क्योंकि कोरोना संपूर्ण मानवता के लिए संकट का कारण है।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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