अब अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान दें विराट कोहली

Virat Kohli

भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी रही है विदेशी मैदानों पर जीत नहीं पाना। मगर, विराट की कप्तानी में टीम ने इस तस्वीर को बदला है। पिछले साल इंग्लैंड को इंग्लैंड में हराया। 2018 में ऑस्टेलिया को उसी की धरती पर हरा कर टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की।

विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ कर देश को हैरान कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका दौरे में टेस्ट सीरीज में पराजय को इसकी पृष्ठ भूमि में रखा जा सकता है। उससे पहले उठे विवाद ने भी कोहली को मानसिक रूप से इसके लिए तैयार किया होगा। विराट के टी−20 प्रारूप की कप्तानी छोड़ने के बाद से ही जिस तरह की खबरें आईं वह मान सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली थीं। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और बाद में चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा के बयानों से भ्रम की स्थित बिनी। उन्हें वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया। रोहित शर्मा और विराट कोहली के बीच अनबन की रिपोर्ट भी आई। कुल मिला कर देखें तो विराट ने यह निर्णय सोच समझ कर ही किया है। यदि टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका में सीरीज जीत जाती तो स्थित अिलग होती। फिर शायद विराट कप्तान बने रहते। मगर, इस हार ने उन्हें निर्णय करने पर विवश कर दिया। वैसे भी पराजय के बाद कप्तान पर ही ठीकरा फूटता है। भारतीय टीम उस टीम से हार गई जिसे कमजोर माना जा रहा था। बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन से टीम हारी है और चूंकि कप्तान विराट भी रन बनाने में नाकाम चल रहे हैं, इसलिए उन पर भी अंगुली उठ रही थी। टेस्ट मैचों में कप्तानी का एक बढि़या रिकॉर्ड विराट कोहली ने बनाया है। उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में कप्तानी की जिसमें से 40 में विजय हासिल हुई। इस नाते उनकी यह उपलब्धि उन्हें सबसे आगे कर देती है। इसमें शक नहीं कि बतौर कप्तान विराट का सफर शानदार रहा है। वह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक स्थान हासिल किया।

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विदेशों में भारत को दिलाई जीत 

भारतीय टीम की सबसे बड़ी कमजोरी रही है विदेशी मैदानों पर जीत नहीं पाना। मगर, विराट की कप्तानी में टीम ने इस तस्वीर को बदला है। पिछले साल इंग्लैंड को इंग्लैंड में हराया। 2018 में ऑस्टेलिया को उसी की धरती पर हरा कर टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की। 2019 में वेस्ट इंडीज को उसी के मैदान पर टेस्ट सीरीज में हराया। दक्षिण अफ्रीका से सीरीज जीतने का सुनहरा मौका इस बार था लेकिन यह अवसर हाथ से फिसल गया। टीम को जूझारू नेतृत्व उन्होंने दिया। मैदान पर विराट के आक्रामक व्यहार की आलोचना होती है लेकिन इसी नाते वह विपक्षी टीम को दबाव में रखते हैं। पहले हमारी टीम कंगारू खिलाडि़यों की फब्तियां सुन कर चुप रह जाती थी लेकिन विराट उनको उसी भाषा में जवाब देते हैं। ये चीजें बहुत मायने रखती हैं।

लचर बल्लेबाजी से हो रही थी आलोचना

दक्षिण अफ्रीका दौरे में या इससे पहले नवम्बर 2021 में हुए टी−20 विश्व कप में लचर बल्लेबाजी के कारण भारत की हार हुई है। कप्तान विराट कोहली का बल्ला भी काफी दिनों से खामोश चल रहा है। इसे लेकर उनकी आलोचना भी हो रही थी। विराट का पिछला शतक नवम्बर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में बना था। उसके बाद से किसी भी फार्मेट में उन्होंने शतक नहीं लगाया। कप्तान के अच्छे प्रदर्शन से टीम का मनोबल बढ़ता है। पर, उनकी खराब बल्लेबाजी खेल प्रेमियों को खटकने लगी। चूंकि टीम जीत रही थी इसलिए यह बात ढकी रह गई थी। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे भी लगातार नाकाम हो रहे हैं। उस पर यदि कप्तान का बल्ला भी रूठ जाए तो यह कोढ़ में खाज वाली स्थित हिो जाती है। कप्तानी का बोझ हटने के बाद विराट को अब अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना होगा। अभी चार−पांच साल वह आराम से खेल सकते हैं। अपने अनुभव से नए खिलाडि़यों को लाभान्वित करें। वह भारतीय टीम को जिस मुकाम पर ले गए हैं, उसे बनाए रखना होगा।

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विश्व कप नहीं जीत पाने का मलाल 

विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने आईसीसी का कोई भी विश्व कप नहीं जीता। यह मलाल बना रहेगा पर इसका अफसोस करने का अब कोई फायदा नहीं होगा। अकेले कप्तान के हाथ में सब कुछ नहीं होता। पूरी टीम मेहनत करती है तब नतीजा हासिल होता है। क्रिकेट के खेल में  किस्मत का बड़ा योगदान रहता है। जीवन में इनसान की हर ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती। विराट ने कोई कसर नहीं रखी लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था। मजबूत टीम बनाने में कई साल लगते हैं। विराट के योगदान की सराहना करनी चाहिए कि उन्होंने भारतीय टीम को लड़ने के लायक बनाया। कप्तानी से हटाए जाने पर ज्यादा दुख होता लेकिन उन्होंने खुद इस पद को त्याग दिया है इसलिए अब यह प्रकरण बंद हो जाना चाहिए। देश से बड़ा कोई नहीं है। इसी भावना के साथ बीसीसीआई को भी सभी का सम्मान करना चाहिए। 

दक्षिण अफ्रीका में हार खलेगी

भारत की जो टीम दक्षिण अफ्रीका गई थी उसे देख कर हर कोई कह रहा था कि यह टीम टेस्ट सीरीज जीत कर लौटेगी। पर, मेजबान टीम ने बाजी पलट दी। कप्तान डीन एल्गर और तेज गेंदबाज रबादा को छोड़ उनकी टीम में कोई स्थापित खिलाड़ी नहीं था। उनके कई वरिष्ठ खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं। विकेटकीपर क्विंटन डी काक ने पहले टेस्ट के बाद संन्यास ले लिया। ऐसे में भारत के पास सीरीज जीतने का सुनहरा मौका था। हमारे बल्लेबाजों ने काफी निराश किया। ऐसा चुनौती वाला स्कोर नहीं दिया कि गेंदबाज विपक्षी टीम को आउट कर पाते। सेंचूरियन में पहला टेस्ट जीत कर जो उम्मीद जगाई वह आगे चल कर हवा में उड़ गई। अनुभवी पुजारा और रहाणे टीम के लिए बोझ बनते जा रहे हैं। चयन समिति को इन्हें हटाने पर विचार करना चाहिए। ये लगातार मौके पाकर भी विफल हो रहे हैं। अनुभव के बूते कब तक टीम में बने रहेंगे? इन दोनों ने कई युवा खिलाडि़यों का रास्ता रोक रखा है। इनके बजाय श्रेयस अय्यर और हनुमा बिहारी को मौका देना चाहिए।

− आदर्श प्रकाश सिंह

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