पाक सेना की खतरनाक टुकड़ी बैट का जम्मू सीमा पर हमला बड़े खतरे का संकेत

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सुरेश डुग्गर । Sep 21 2018 1:06PM

पाकिस्तानी सेना की खतरनाक टुकड़ी बैट अर्थात बॉर्डर एक्शन टीम कह लिजिए या फिर बॉर्डर रेडर्स द्वारा जम्मू सीमा पर पहली बार किए गए हमले को अधिकारी आने वाले दिनों में खतरे के संकेत के तौर पर ले रहे हैं।

जम्मू। पाकिस्तानी सेना की खतरनाक टुकड़ी बैट अर्थात बॉर्डर एक्शन टीम कह लिजिए या फिर बॉर्डर रेडर्स द्वारा जम्मू सीमा पर पहली बार किए गए हमले को अधिकारी आने वाले दिनों में खतरे के संकेत के तौर पर ले रहे हैं। अभी तक करगिल युद्ध के बाद आरंभ हुए बैट हमले एलओसी अर्थाल लाइन आफ कंट्रोल तक ही सीमति थे।

बीएसएफ के जवान नरेंद्र कुमार को पाक रेंजर्स व बैट के सदस्य अपने इलाके में ले गए और देर शाम शव को क्षत-विक्षत हालत में बरामद किया गया। घंटों तक दी गई यातनाओं के निशान जवान के शरीर पर साफ दिखाई दे रहे थे। शहीद जवान के बदन में तीन गोलियों के निशान पाए गए हैं। देर रात मिले जवान के शव को देखने पर साफ था कि गला रेतने से पहले उसकी आंख में गोली मारी गई है। बिजली का करंट देने अथवा खौलता पानी डाले जाने जैसी हरकत के कारण जवान के पेट व सीने की चमड़ी तक जल गई थी। कलाई व बांह के ऊपरी हिस्सों पर रस्सी से बांधने के भी निशान पाए गए हैं। 

अभी तक जम्मू सीमा या फिर इंटरनेशनल बॉर्डर पर पाकिस्तानी सेना द्वारा इस प्रकार के हमले को अंजाम दिए जाने की कभी कोई आशंका भी नहीं हुई थी। यही कारण है कि करगिल युद्ध के 19 साल के बाद जम्मू सीमा पर पहली बार हुए इस प्रकार के हमले ने अगर अधिकारियों के पांव तले से जमीन खिसका दी है तो वे अपनी रणनीति को भी बदलने को मजबूर हुए हैं। वैसे यह एक कड़वी सच्चाई है कि जम्मू सीमा पर पाक सेना की बैट टुकड़ी के इस प्रकार के हमले ने सीमावासियों में डर पैदा कर दिया है।

सच तो यह है कि करगिल युद्ध के समय से शुरू हुई पाकिस्तान की अमानवीय हरकतें अब तक जारी हैं। पाकिस्तान सेना, रेंजर और आतंकी मिलकर काम करते हैं और तीन साल में तीन बार भारतीय जवानों के साथ बर्बरता कर चुके हैं। पांच साल पहले बर्बरता से पाकिस्तानी सेना ने सिपाही हेमराज का सिर काट दिया था। अब बीएसएफ के जवान नरेंद्र कुमार का गला रेतकर उसके शव से बर्बरता की।

8 जनवरी 2013 को पाकिस्तान की बैट टीम ने पुंछ जिले के मेंढर इलाके में एलओसी पर मनकोट नाले के पास सेना के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया। इसमें लांस नायक हेमराज और लांस नायक सुधाकर सिंह शहीद हो गए। बैट टीम हेमराज का सिर काट कर अपने साथ ले गई। इसके बाद 5 अगस्त 2013 में सरला एरिया के पास पाकिस्तान की बैट टीम 500 मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आई। 22 सदस्यों वाली बैट टीम में पाकिस्तानी सेना, आतंकी, स्पेशल ग्रुप के कमांडो शामिल थे, जिन्होंने सेना के पांच जवानों को शहीद कर दिया। 

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के क्षेत्र में भटक कर पहुंचे कैप्टन सौरभ कालिया और पांच सिपाहियों को 20 से 22 दिन तक अमानवीय प्रताड़ना के बाद 6 और 7 जून 1999 के दौरान पाकिस्तानी सेना ने हत्या कर दी। बाद में शवों को सौंपा था। तब से लेकर अब तक ऐसा चलता आ रहा है। 

कौन है पाकिस्तान की खूनी टुकड़ी बैट ?

-बैट अर्थात् बॉर्डर एक्शन टीम कह लिजिए या फिर बॉर्डर रेडर्स, यह एलओसी पर छापामार युद्ध में माहिर है।

-ये पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप के साथ काम करती है।

-पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसे सूचनाएं मुहैया करवाती है।

-बैट एलओसी या सीमा पर दुश्मन के इलाके में एक से तीन किमी अंदर जाकर हमले करती है।

-चार हफ्ते हवाई युद्ध के साथ ही इनकी कुल ट्रेनिंग करीब 8 महीनों की होती है।

-इस टीम का मकसद सीमा पार जाकर छोटे छोटे हमलों को अंजाम देकर दुश्मन में दहशत फैलाना है। हमलों के दौरान बैट इनाम के तौर पर दुश्मन के सिपाहियों का सिर काट कर अपने साथ ले जाती है।

भारतीय सीमा में पाकिस्तानी बैट टीम की बर्बरता की घटनाएं-

-एक मई 2017 को कृष्णा घाटी में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम पर हमला किया गया। दो जवान शहीद हुए। नायब सूबेदार परमजीत सिंह और हेड कांस्टेबल प्रेम सागर के शवों को क्षत-विक्षप्त किया गया।

-22 नवम्बर 2016 को मच्छेल सेक्टर में बैट के हमले में 3 भारतीय जवान शहीद हुए और एक जवान का सिर काट लिया गया और सिर को वह अपने साथ ले गई।

-28 अक्तूबर 2016 को एलओसी पर बीएसएफ के सिपाही मनदीप के शव के साथ बर्बरता की गई और फिर वही घटनाक्रम दोहराया गया।

-8 जनवरी 2013 को पुंछ में एलओसी के पास लांसनायक हेमराज सिंह तथा सुधाकर सिंह की हत्या की गई। बैट टीम हेमराज का सिर काट कर अपने साथ ले गई।

-30 जुलाई 2011 को कुपवाड़ा की गुलदार चोटी पर बैट का हमला हुआ, 6 जवान शहीद हो गए। हमलावर बैट टीम हवलदार जयपाल सिंह तथा देवेंदर सिंह के सिर काट कर अपने साथ ले गई।

-जून 2008 को 2/8 गोरखा राइफल के जवान को केल सेक्टर में पकड़ा गया और फिर उसका सिर काट कर अपने साथ ले गई।

-मई व जून 1999 को करगिल में तैनात कैप्टन सौरभ कालिया और उनके 5 साथियों को बंदी बनाया गया था। करीब 22 दिनों तक जवानों को यातनाएं दी गई थीं और बाद में क्षत-विक्षप्त शवों को भारतीय इलाके में फैंक दिया गया था।

-सुरेश डुग्गर

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