नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के लिए रोल मॉडल बन सकता है भारत

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भारत चूँकि एनएसजी का सदस्य नहीं है, अतः उसे ईंधन के आपूर्ति की जो सुविधा रहनी चाहिए, वह नहीं रहती है। अगर भारत की यह समस्या हल हो जाये तो भारत, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में शायद पूरी दुनिया में एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।

दिनांक 25 सितम्बर 2019 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में भारत के प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने ब्लूमबर्ग को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत की जीवन पद्धति दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है। भारतीय मूल के लोग, सिद्धांततः इस बात को मानने वाले लोग हैं कि पृथ्वी हमारी माता है और हमें उसका शोषण करने का अधिकार नहीं है हमें सिर्फ़ उसके दोहन का ही अधिकार है। भारत मूलतः उस चिंतन से जुड़ा हुआ है, जहाँ आवश्यकता समझ सकते हैं परंतु लालच का कोई स्थान नहीं है। ये मूलभूत तत्व ज्ञान है। दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग नाम की गम्भीर चुनौती को सरकारें और बाक़ी व्यवस्थाओं से ज़्यादा, नागरिकों का व्यवहार ही इन विपरीत परिस्थितियों से दुनिया को बाहर निकाल सकता है इसलिए मानव व्यवहार को हमें प्रकृति के साथ जोड़ कर चलने की आदत बनानी पड़ेगी।

देश में हाल ही में लागू किए गए कई नए कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए माननीय प्रधान मंत्री महोदय ने आगे बताया कि ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने के उद्देश्य से भारत ने पहले तय किया था कि देश में 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना की जायगी। इस लक्ष्य को हासिल करने की ओर भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अभी तक देश में क़रीब क़रीब 120 GW नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना की जा चुकी है। अब भारत ने अपने लिए देश में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना के लिए एक नया लक्ष्य, अर्थात 450 GW निर्धारित किया है। उक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश ने एक तो कई नीतिगत पहल की हैं, दूसरे, कई तरह के प्रोत्साहन दिए हैं और तीसरे, इसके लिए जो आवश्यक संभावनाएँ हैं उनको बल दिया जा रहा है। भारत के सामने हालाँकि एक चुनौती अभी भी बनी हुई है और वो चुनौती है नाभिकीय ऊर्जा के कमी की। भारत चूँकि एनएसजी का सदस्य नहीं है, अतः उसे ईंधन के आपूर्ति की जो सुविधा रहनी चाहिए, वह नहीं रहती है। अगर भारत की यह समस्या हल हो जाये तो भारत, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में शायद पूरी दुनिया में एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।

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लेकिन जलवायु परिवर्तन के साथ, एक दूसरा विषय भी जुड़ा हुआ है, जिसकी गम्भीरता की तरफ़ शायद विश्व में अभी किसी का ध्यान गया नहीं है, और वो विषय है पानी सम्बंधी समस्या का। भारत ने अभी हाल ही में जल जीवन मिशन का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम हाथ में लिया है। इसके अंतर्गत देश में वर्षा के जल का संचयन, संरक्षण एवं रीसाइक्लिंग आदि चीज़ों पर बल देकर देश में एक बहुत बड़ा अभियान चालू कर दिया गया है। देश में आवश्यकता के अनुसार, नदियों को पुनर्जीवित करने एवं नदियों का एक ग्रिड बनाए जाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।

इसी प्रकार, देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को प्रतिबंधित किये जाने की तैयारियाँ की जा रही हैं एवं इसके उपयोग को निरुत्साहित किया जा रहा है। 2 अक्तूबर 2019 को महात्मा गांधी के जन्म उत्सव पर पूरे देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग के ख़िलाफ़ एक बहुत बड़ी मुहिम सफलता पूर्वक प्रारम्भ कर दी गई है। यानी, देश जलवायु एवं वातावरण के साथ ही अनेक क्षेत्रों में एक साथ आगे बढ़ रहा है।

माननीय प्रधान मंत्री ने भारत की विशेषताओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज दुनिया में कोई भी देश पृथक रूप से कोई गतिविधि नहीं कर सकता बल्कि आज हम आपस में एक दूसरे पर आश्रित होने के दौर से गुज़र रहे हैं। हमें वैश्विक बैंचमार्किंग के साथ ही चलना होगा। अतः भारत भी आज अपने क़ानून, नियम, व्यवस्थाएँ, दक्षता स्तर, गवर्नेंस आदि को वैश्विक बैंचमार्किंग से जोड़ने का प्रयास कर रहा है ताकि दुनिया के अन्य देशों को सरलता के साथ अपने साथ जोड़ा जा सके एवं इन देशों को भारत में लागू क़ानून पर भी विश्वास हो सके। इसलिए, देश में आज क़ानूनों में जो सुधार करना पड़े वो किये जा रहे हैं। इसी संदर्भ में कई प्रकार की नई पहल भी की जा रही हैं। दूसरे, निवेशकों के लिए निवेश की सुरक्षा एक अहम मुद्दा बनता है। उनको सुरक्षा के साथ उनके निवेश पर पर्याप्त रिटर्न मिलना चाहिए। भारत की दो चीज़ें, देश को दुनिया से अलग करती हैं- एक है डिमॉक्रेसी और दूसरी न्यायिक प्रणाली और वो भी अंग्रेज़ी भाषा में। इसके कारण किसी भी निवेशक के लिए यदि किसी प्रकार के विवाद का कोई कारण बनता है तो उक्त दोनों चीज़ें उसमें भरोसा पैदा करती हैं। अंग्रेज़ी भाषा लागू होने के कारण उसको क़ानूनी व्याख्या की समस्या नहीं होती है। अमेरिका में बैठा हुआ व्यक्ति या ब्रिटेन में बैठा हुआ व्यक्ति क़ानूनी व्याख्या उसी तरीक़े से करता है, जिस प्रकार भारत में बैठा हुआ व्यक्ति।

साथ ही, भारत अपने बुनियादी ढाँचे को आगे आने वाली नई पीढ़ी की सोच के अनुसार आगे बढ़ा रहा है। रेल वाहनों को द्रुत गति दी जा रही है, रेल वाहनों को बिजली ऊर्जा के साथ चलाया जा रहा है। देश में कई नई-नई सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। देश नए-नए हवाई अड्डों के निर्माण करने की और बढ़ रहा है। देश में समस्त परिवारों को अपना घर प्रदान करने की ओर भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। कृषि के क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयों की बहुत आवश्यकता है, यदि कोशिश की जाये तो भारत विश्व में एक खाद्य बास्केट के तौर पर उभर सकता है। देश जैविक खेती की ओर भी तेज़ी से आगे बढ़ना चाह रहा है। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी असीम सम्भावनाएँ मौजूद हैं। देश में हाल ही में आयुष्मान भारत नाम से विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना प्रारम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत देश के 50 करोड़ नागरिकों को इस स्वास्थ्य योजना में शामिल किया जा रहा है। इसका मतलब देश को 2000 अति आधुनिक सुविधाओं से युक्त नए अस्पतालों की जरूरत है। इस प्रकार, नए अस्पताल निर्माण की अपार सम्भावनाएँ पैदा हुई हैं। देश अब तेज़ी से डिजिटल इंडिया की ओर आगे बढ़ रहा है। देश के 600,000 गांवों में ऑप्टिकल फ़ाइबर नेटवर्क बिछाया जा रहा है। देश में स्टार्ट-अप को भी बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। आज भारत, स्टार्ट-अप ईको सिस्टम में विश्व में तीसरे स्थान पर पहुँच गया है। इसको और आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उक्त वर्णित समस्त क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों के कारण ऐसा लगता है कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगी और 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक देश प्राप्त कर लेगा।

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भारत को सबसे बड़ा फ़ायदा है कि देश के पास युवा प्रतिभा मौजूद है। नवोन्मेष को देश में बल दिया जा रहा है। शायद पिछले 300 सालों में जो आविष्कार हुए होंगे, उससे ज़्यादा आविष्कार पिछले 60 सालों में हुए हैं, और आने वाले दिनों में शायद उससे भी ज़्यादा आविष्कार तेज़ी से होंगे। उसके लिए, ग्राउंड लेवल तैयार करना आवश्यक है और प्रतिभा का उपयोग भी उसी अनुसार करना होगा, इसलिए मानव संसाधन को भी विकसित करना होगा। पूरी दुनिया में धीरे-धीरे डिग्री से ज़्यादा स्किल का महत्व बढ़ता चला जा रहा है। भारत में भी हर स्तर पर स्किल विकसित करने पर बल दिया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर किस प्रकार के मानव संसाधन की ज़रूरत है उसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर ही देश में काम किया जा रहा है, ताकि भविष्य में भारत पूरे विश्व को मानव संसाधन उपलब्ध कराने में सक्षम हो सके।

-प्रह्लाद सबनानी

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