महिला−शिशु कल्याण पर विशेष ध्यान दे रहीं हैं रीता

रीता बहुगुणा जोशी का मंत्रालय आधी आबादी के साथ−साथ भावी पीढी के कल्याण से जुड़ा है। बसपा और सपा की सरकारों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया इसलिये उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में पिछड़ गया।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा विपक्ष में हों या सत्ता में, अपने दायित्वों का बड़ी सक्रियता से निर्वाह करती हैं। विपक्ष में रहते हुए वह बसपा व सपा सरकार पर हमलावर रहती थीं। उनकी इस राजनीति से उस समय कांग्रेस के अनेक प्रमुख नेता नाखुश थे। मतभेद इतना बढ़ा कि उन्हें कांग्रेस से त्याग पत्र देना पड़ा। वह भाजपा में शामिल हुईं। इस समय उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से बनी भाजपा सरकार में वह मातृत्व एवं शिशु कल्याण मंत्री हैं। उनका मंत्रालय आधी आबादी के साथ−साथ भावी पीढी के कल्याण से जुड़ा है। बसपा और सपा की सरकारों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया इसलिये उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में पिछड़ गया। योगी सरकार ने कमियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है।

रीता लंबे समय से महिलाओं के बीच कार्य कर रही हैं। वह कहती हैं कि कोई देश आधी आबादी को उपेक्षित रखकर महान नहीं बन सकता। प्रदेश की महिलायें भी आगे बढ़ना चाहती हैं उन्हें अवसर मिले तो वह पीछे नहीं रहेंगीं। सरकार इस ओर ध्यान देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके प्रति गंभीर रहे हैं। उज्जवला योजना महिलाओं के हित को ध्यान में रखकर शुरू की गयी थी। धीरे−धीरे यह देश की क्रान्तिकारी योजना बन गयी। विकास यात्रा में स्त्री पुरूष के टकराव की स्थिति नहीं होनी चाहिए।

यह संयोग था कि रीता बहुगुणा ने जब पदभार संभाला, उस समय से तीन तलाक का मुद्दा गर्म चल रहा है। उनसे भी पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने मुलाकात की। कोई अन्य सरकार होती तो ऐसी मुलाकातों या इन बातों से परहेज करती। वह इसे भी वोट बैंक के नजरिए से देखती। लेकिन रीता बहुगुणा ने ना केवल तलाक पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की, वरन् उनके प्रति सहानुभूति दिखाई। उनके अनुसार तीन तलाक का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है ऐसे में सरकार अपनी तरफ से कोई फैसला नहीं ले सकती लेकिन वह पीड़ित महिलाओें के साथ भावनात्मक लगाव रखती है। इसी आधार पर उनके हित के लिए जितना संभव होगा सरकार उसमें कसर नहीं छोड़ेगी।

इस तथ्य को नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता कि यह विषय केन्द्र सरकार ने अपनी तरफ से नहीं उठाया था। मुस्लिम महिलाओं ने ही तीन तलाक पर प्रतिबन्ध लगाने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का विचार जानना चाहा था। केन्द्र सरकार ने इसे वोट बैंक के नजरिए से नहीं देखा। उसने इसे मानवीय आधार पर देखा। अनके इस्लामी मुल्कों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस आधार पर भारत में फैसला होना चाहिए। रीता बहुगुणा ने केन्द्र सरकार के इसी विचार को ध्यान में रखा। उनसे मुलाकात के बाद पीड़ित मुस्लिम महिलाओं में विश्वास का संचार हुआ है। वह कहती हैं कि महिलाओं का उत्पीड़न, छेड़छाड आदि पर कड़ाई से रोक लगाने के प्रति योगी सरकार गंभीर है। सरकार ने प्रारम्भ में ही इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। 

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

(लेख रीता बहुगुणा जोशी से बातचीत पर आधारित है)

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