स्वच्छ भारत अभियान है हाथ से निकला अवसरः विशेषज्ञ

[email protected] । Jul 27 2016 2:52PM

‘‘स्वच्छ भारत मिशन’’ को हाथ से निकला एक अवसर बताते हुए जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ गौरी शंकर घोष ने आज कहा कि यह अभियान ‘‘शौचालयों की गणना का कार्यक्रम’’ बनकर रह गया है।

औरंगाबाद। ‘‘स्वच्छ भारत मिशन’’ को हाथ से निकला एक अवसर बताते हुए जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ गौरी शंकर घोष ने आज कहा कि यह अभियान जनता का आंदोलन नहीं बन सका और ‘‘शौचालयों की गणना का कार्यक्रम’’ बनकर रह गया है। राष्ट्रीय पेयजल अभियान के पहले मिशन निदेशक ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए इसका गंगा एक्शन प्लान जैसे सरकार के बड़े कार्यक्रमों के साथ जुड़ाव और इसमें जनता की भागीदारी महत्वपूर्ण है।

एफईजेआई और यूनिसेफ द्वारा आयोजित वॉश (डब्ल्यूएएसएच) मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का प्रयास ‘ईमानदार’ है लेकिन स्वच्छ भारत मिशन ‘एक सरकारी योजना’ बनकर रह गया है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वच्छ भारत अभियान संपूर्ण स्वच्छता का संदेश देता है लेकिन यह नये रूप में शौचालय गणना कार्यक्रम बन गया है।’’

घोष ने कहा, ‘‘बहुत से लोग कहते हैं कि भारत में स्वच्छता की खोज दो साल पहले हुई लेकिन यह सच नहीं है। देश की स्वच्छता का कार्यक्रम तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1986 में बनाया था और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों से धन लेकर शौचालय निर्माण का काम शुरू किया गया था।’’ घोष एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। यूनिसेफ की पहली जल नीति के दौरान यूनिसेफ के वैश्विक ऑपरेशन की जिम्मेदारी उन पर थी। वॉश- वाटर, सेनिटेशन एंड हाइजीन (जल, सफाई एवं स्वच्छता) शब्द भी तभी आया। घोष ने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद है कि एक अवसर हाथ से निकल गया। स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत के समय मैं बहुत उत्साहित था क्योंकि प्रधानमंत्री सार्वजनिक तौर पर सामने आए थे और वह वाकई कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध थे।’’

गुजरात में पेयजल आपूर्ति के सचिव और गुजरात जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड अध्यक्ष रहे घोष ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान अपने दम पर सफल नहीं हो सकता। न्यूयार्क स्थित यूएन वाटर के अध्यक्ष रहे घोष ने कहा, ‘‘स्वच्छ भारत अभियान और गंगा एक्शन प्लान की तरह किन्हीं भी कार्यक्रमों में आपस में कोई जुड़ाव नहीं है। स्वच्छता और स्कूल शिक्षा कार्यक्रम में जुड़ाव नहीं है। प्रभाव के आकलन का अभाव है। यह जनता का आंदोलन बनने में विफल रहा है और एक सरकारी कार्यक्रम बनकर रह गया है।’’ यूनिसेफ की फील्ड चीफ ऑफिसर राजेश्वरी चंद्रशेखर ने कहा कि यह कार्यशाला सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों का समर्थन करती है और नवजात बच्चों से लेकर 18 साल तक के किशोरों में तीन चरणों के तहत स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के लिए काम करती है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत दो अक्तूबर 2014 को की थी ताकि सार्वभौमिक स्वच्छता की दिशा में प्रयासों को तेज किया जा सके।

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