अमेजन को उसकी हिमाकत के लिए सबक तो सिखाना चाहिए

दरअसल यह पहला मौका नहीं है। पहले भी भारतीय देवी देवताओं को अपमानित करते चित्र वाले उत्पादों को बाजार में उतारा जाता रहा है। समय−समय पर उसका विरोध भी किया जाता रहा है।

अमेजन द्वारा भारत की चेतावनी के बाद भारतीय ध्वज का अपमान करते तिरंगे झंडे सरीखे दिखने वाले पायदान भले ही वेबसाइट से हटा दिए हों पर इतने मात्र से संतोष नहीं किया जा सकता। एक जागरूक भारतीय निर्यातक वैभव अग्रवाल ने अमेजन की वेबसाइट पर तिरंगे की डिजाइन जैसे पायदान देखे तो राष्ट्रक्ति जोर मार गई और उन्होंने टि्वट कर इसकी जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दी। हालांकि इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मामला संज्ञान में आते ही कनाडा सरकार और अमेजन को कड़ी चेतावनी देते हुए तत्काल इसे वेबसाइट से हटाने को कहा और अन्यथा स्थिति में अमेजन के किसी भी व्यक्ति को वीजा नहीं देने और पहले से वीजा प्राप्त लोगों के वीजा रद्द करने की चेतावनी दी। उसका असर भी दिखा। पर राष्ट्रध्वज के अपमान पर इतनी सी कार्यवाही नाकाफी है। यह हमें सोचने को मजबूर कर देती है। दरअसल यह पहला मौका नहीं है। पहले भी भारतीय देवी देवताओं को अपमानित करते चित्र वाले उत्पादों को बाजार में उतारा जाता रहा है। समय−समय पर उसका विरोध भी किया जाता रहा है। विरोध होने पर तात्कालिक कदम उठा लिए जाते हैं और उसके थोड़े दिनों बाद वहीं ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है।

अमेजन दुनिया की जानी मानी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में भी अमेजन का कारोबार दिन दूने, रात चौगुने तरीके से बढ़ता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण लोगों में ऑनलाईन शॉपिंग की बढ़ती प्रवृति है। इसे उचित भी माना जा सकता है। सीधे उत्पादक से उपभोक्ता को जोड़ने में ऑनलाईन शॉपिंग एक अच्छी कड़ी मानी जा सकती है। बिचौलियों के शोषण से बचाने में यह कारगर व्यवस्था हो सकती है पर केवल व्यापार के नाम पर इन जैसी संस्थाओं द्वारा किसी राष्ट्र की अस्मिता, सांस्कृतिक विरासत और गौरव से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। सरकार भले ही उनकी चेतावनी पर की गयी कार्यवाही पर संतोष व्यक्त कर ले, पर इस तरह की कंपनियों को सही जवाब देशवासी ही दे सकते हैं।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब चीन की गतिविधियों से नाराज देशवासियों ने जिस तरह से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का निर्णय किया उससे जिस तरह से चीन के कारोबार पर असर पड़ा और जिस तरह से चीन सरकार तिलमिला गई, वैसे ही देशवासियों को देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने वाली संस्थाओं को सबक सिखाने के लिए आगे आना चाहिए। यदि एक सप्ताह भी अमेजन जैसी संस्थाएं, जो हमारे देश के हितों के खिलाफ और देशवासियों की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाली गतिविधियां करती हैं, उनसे किसी तरह का लेन−देन करना बंद कर दें तो, इन्हें सही मायने में सबक मिल सकता है। दीपावली पर चीनी उत्पादों का बहिष्कार और इससे चीनी कारोबार में 40 प्रतिशत तक की गिरावट ताजा और महत्वपूर्ण उदाहरण है। आखिर यह कंपनियां समझती क्या हैं? दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकार के निर्णय या सरकार के कदम को लेकर तो बहस हो जाएगी, पर किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। किसी ने कनाडा की इस संस्था के खिलाफ विरोध दर्ज नहीं कराया, किसी राजनीतिक दल या प्रतिक्रियावादी को इसके लिए समय ही नहीं मिला। अरे भाई जब नोटबंदी के खिलाफ या काले धन के पक्ष में आए दिन आंदोलन, प्रदर्शन किए जा सकते हैं तो देश विरोधी गतिविधियां करने वाली संस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाने में क्यों पीछे रह जाते र्हैं? सरकार के छोटे से कदम पर तूफान सिर पर उठाने वाले प्रतिक्रियावादी पता नहीं कहां चले जाते हैं? आखिर हमें राष्ट्रीयता व राष्ट्र के प्रति हमारे दायित्व को भी समझना होगा।

अमेजन ने भले ही भारत सरकार खासतौर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सख्त रवैये के कारण अपने व्यावसायिक हितों को देखते हुए अपनी वेबसाइट से तात्कालीक रूप से तिंरगे सरीखे 1500 रुपए वाले डोरमेट हटा लिए हों, पर इससे पहले भारतीय देवी देवताओं के चित्रों के चप्पल−स्लीपर भी उतार चुके हैं। उसका भी विरोध हुआ। आखिर विदेशी कंपनियां जिनको हमारे देश में बड़ा बाजार मिलता है, जिनका कारोबार दिन प्रतिदिन भारत में फल फूल रहा हैं, वे कारोबार करने को तो तैयार हैं पर यहां की भावनाओं, संवेदनाओं, विरासत और संस्कृति से खिलवाड़ करने में तनिक भी देरी नहीं लगाते। आखिर ऐसा कब तक चलेगा?

अमेजन जैसी संस्थाओं को देशवासी आसानी से सबक सिखा सकते हैं। देश में आज ऑनलाईन कारोबार करने वाली अमेजन एकमात्र संस्था नहीं है। ऐसे में आम नागरिकों के पास बहुविकल्प हैं। सप्ताह दो सप्ताह के लिए भी ऑनलाईन वस्तुएं मंगाना बंद कर दिया जाए खासतौर से अमेजन से एक माह के लिए भी कारोबार का बहिष्कार कर दिया जाए तो अमेजन को भविष्य के लिए कड़ा संदेश मिल सकता है। इसका दूसरा प्रभाव यह भी होगा कि अमेजन के बहाने दूसरी विदेशी ऑनलाईन कारोबार करने वाली संस्थाओं को भी साफ संदेश मिल जाएगा और उस स्थिति में राष्ट्र विरोधी व देश की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाली गतिविधियां आसानी से रोकी जा सकेंगी। अमेजन जैसी संस्थाएं विशुद्ध कारोबारी संस्थाएं हैं और केवल और केवल मात्र इन संस्थाओं का उद्देश्य पैसा कमाना है। ऐसे में जब इनका कारोबार प्रभावित होगा तो यह अपने आप सीधे रास्ते आ जाएंगे। इसके लिए सरकार को नहीं देशवासियों को पहल करनी होगी। आम नागरिकों को आगे आना होगा। इन संस्थाओं ने सवा सौ करोड़ के देश को केवल व्यापारिक केन्द्र बनाकर छोड़ दिया है जिसे समय रहते सबक सिखाना जरूरी होगा।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा 

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