प्रदूषण रोकने में कारगर रहेगा यह छोटा-सा कदम, रुपए भी बहुत बचेंगे

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दिल्ली में कुछ स्थानों पर लाल बत्ती पर गाड़ी का इंजन बंद करने के लिए प्रेरित करने का परिणाम यह रहा कि जहां 14 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन में कमी आई वहीं मोटे अनुमान के अनुसार केवल दिल्ली में ही 32 लाख रुपए मूल्य के ईंधन की बचत देखी गई।

बात छोटी सी लगती है, यह हमारी समझ में भी है, इसके लिए कोई खास प्रयास करने की भी जरूरत नहीं होने के बावजूद अनजाने में हम प्रदूषण को बढ़ावा देने के साथ ही लाखों करोड़ों रुपए फूंक रहे हैं। केवल और केवल लाल बत्ती पर अपने वाहनों का इंजन बंद करने मात्र से प्रदूषण को स्तर को कुछ कम किया जा सकता है तो लाखों करोड़ों रुपए के पेट्रोल-डीजल को बचाया जा सकता है। यह कोई हवा हवाई बात नहीं है बल्कि दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले दिनों किए गए एक प्रयोग से सामने आया है। माना कि दिल्ली देश का व्यस्ततम शहर है पर कमोबेश यही स्थिति समूचे देश की है। दिल्ली में कुछ स्थानों पर लाल बत्ती पर गाड़ी का इंजन बंद करने के लिए प्रेरित करने का परिणाम यह रहा कि जहां एक और 14 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन में कमी आई वहीं एक मोटे अनुमान के अनुसार केवल और केवल दिल्ली में ही 32 लाख रुपए मूल्य के ईंधन की बचत देखी गई। यह भी केवल कुछ प्रतिशत लोगों को प्रेरित करने से हासिल हो सका है।

यह कोई खयाली विचार नहीं है बल्कि गौर किया जाए तो हम यह छोटे से प्रयास करें जो शायद हम अनजाने या नासमझी के कारण नहीं कर पाते तो देश में कई अरबों रुपए के पेट्रोल, डीजल के आयात की बचत कर सकते हैं वहीं पेट्रोल, डीजल की वजह से होने वाले प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है। यह तो केवल दिल्ली के हालात हैं, देश के महानगरों का ही हाल देखा जाए तो करोड़ों रुपए का र्इंधन प्रतिदिन ट्रैफिक जाम या लालबत्ती के हवाले हो जाता है। दरअसल देश में महानगरों में जिस तेजी से आबादी का विस्तार हो रहा है और जिस तेजी से दुपहिया, तिपहिया और चौपहिया वाहन सड़कों पर आने लगे हैं उसे देखते हुए लगता है कि हमारे महानगरों की तैयारी अभी नहीं है। देश के महानगरों में आबादी का दबाव बढ़ता जा रहा है। महानगरों के विस्तार व आबादी के दबाव के साथ ही लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने या दूसरे शब्दों में कहें कि सहज सुलभता होने से वाहनों की रेलमपेल होने लगी है। इसके साथ ही महानगरों में अभी भी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था इतनी सशक्त या कारगर नहीं हो पाई है कि जिससे यातायात पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सके। जिस तरह से शहरों का विस्तार हो रहा है और शहर तेजी से महानगरों का आकार लेते जा रहे हैं उस विजन के साथ शहरों का नियोजित विकास नहीं हो पा रहा है।

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दरअसल शहरीकरण के साथ ही सहज यातायात एक चुनौती बनता जा रहा है। हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि बड़े शहरों में तो दिन रात आवागमन होने लगा है। शहरों की पुरानी बसावट वाले इलाकों में जहां प्रमुख व्यावसायिक केन्द्र व शहरी परकोटे के आसपास ही सरकारी कार्यालयों को जमावड़ा होने से पौ फटने के साथ ही आवाजाही शुरु हो जाती है। अधिक दबाव वाले इलाकों के बंगलों को जिस तेजी से बहुमंजिली इमारतों में बदला जा रहा है, उससे स्थानीय स्तर पर तो यातायात का दबाव बढ़ता ही जा रहा हैं वहीं दूर दराज की कॉलोनियों को जोड़ने वाले रास्तों पर भी यातायात का दबाव इस कारण से बढ़ता जा रहा है कि लोग निजी वाहनों से आवाजाही को अधिक सुविधाजनक मानते हैं।

  

दरअसल महानगरों में ट्रैफिक लाइट के स्थानों में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी है। यह जरूरी भी हो गया है। यातायात को नियंत्रण करने का एकमात्र साधन यही है। यह अच्छी बात है कि अधिकांश महानगरों व मेट्रेपॉलिटिन शहरों में ट्रैफिक सिग्नलों वाले स्थानों पर टाइमर भी लगे हैं। पर यातायात का दबाव इस कदर होने लगा है कि कई सिग्नलों पर तो दो से तीन बार लाइट होने पर जाकर वहां से निकलना संभव हो पाता है। होता यह है कि यह अकसर पता नहीं चलता कि कितनी देर लाल बत्ती रहेगी इसलिए गाड़ी चालू रहती है और महंगे मोल का ईंधन हवा में फुंक जाता है इससे ईंधन की बर्बादी, पैसों की बर्बादी और प्रदूषण की खराब स्थिति का सामना करना पड़ता है।

पीसीआरआई और केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संगठन द्वारा दिल्ली में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार केवल 18 फीसदी दो पहिया और 11 फीसदी चौपहिया वाहन वाले लोग ही लाल बत्ती पर अपने वाहन का इंजन बंद करते हैं। यही स्थिति लगभग देश के सभी स्थानों की है। जिस तरह से बिजली की बचत ही बिजली का उत्पादन है या पानी की बचत के लिए अवेयरनेस कार्यक्रम चलाए जाते रहे हैं ठीक उसी तरह से लालबत्ती या ट्रैफिक जाम वाले स्थानों पर इंजन बंद करने की आदत ड़ाल ली जाए तो देश में लाखों अरबों रुपए के पेट्रोल डीजल को बचाया जा सकता है। पैसे की बर्बादी रोकी जा सकती है और यह नहीं भूलना चाहिए कि वाहनों से प्रदूषण का जो स्तर लगातार बढ़ रहा है उसे भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है। सरकार व गैरसरकारी संस्थाओं को लोगों को यह साधारण टिप्स काम में लेने की आदत आम आदमी में डालनी होगी और इसका जो लाभ मिलेगा व स्वयं वाहन चालक को, स्थानीय लोगों को और पूरे देश को मिलेगा और धन, वातावरण की बचत होगी वह अलग। केवल और केवल अवेयरनेस से सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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