अखिलेश को ही दोष क्यों? और भी नेताओं ने पहुँचाया है नुकसान

Why blame Akhilesh only? More politicians have transported losses
संजय तिवारी । Jun 15 2018 5:01PM

चौर्यकला को लेकर प्रचुर साहित्य भी लिखा गया है। राजा भोज के समय में सर्वश्रेष्ठ चोर के चुने जाने की कथा भी बहुत दिलचस्प है लेकिन उस कथा के बारे में चर्चा फिर कभी। अभी तो चोरी की प्रवृत्ति पर बात करनी है।

राजाओं के समय में देश के सर्वश्रेष्ठ चोर को राजकीय सम्मान प्रदान किया जाता था। यानी चौर्य कर्म भी एक कला है। चौर्यकला को लेकर प्रचुर साहित्य भी लिखा गया है। राजा भोज के समय में सर्वश्रेष्ठ चोर के चुने जाने की कथा भी बहुत दिलचस्प है लेकिन उस कथा के बारे में चर्चा फिर कभी। अभी तो चोरी की प्रवृत्ति पर बात करनी है। इस विषय को थोड़ी सी हवा दे दी है हमारे सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वह नल की टोटी दिखा रहे थे। उनके ऊपर आभासी दुनिया में खबरें चल रही थीं कि जब उन्होंने सरकारी बंगला खाली किया तो साथ में बहुत कुछ उठा ले गए। उस बंगले की तस्वीरें भी वायरल हुईं जिनमें बंगला खँडहर जैसा दिख रहा है। अपने ऊपर लग रहे इन आरोपों के बाद अखिलेश जी मीडिया के सामने आकर सफाई दे रहे थे। अखिलेश के बहाने कुछ और भी ऐसी चोरियां याद आ गयीं जिन पर अब बहुत गंभीरता से विचार करने का मन हो रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत उम्दा ट्रेन चलाई। नाम था तेजस। इस ट्रेन में पहले ही दिन यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को चोर तो कतई नहीं कहा जा सकता। लेकिन पहली यात्रा में ही ट्रेन की जो दुर्गति हुई उससे दुःख भी होता है। ट्रेन में एलईडी लगी थी, सुंदर सुंदर और भी सामान थे, स्क्रीन थे, तौलिया थीं, लेकिन पहली यात्रा के यात्रियों ने ही सिर्फ इन सबका सुख भोगा। दूसरे दिन यह ट्रेन अत्यंत दयनीय अवस्था में थी। वे सामान यात्री उखाड़ ले गए थे। इसी तरह की दूसरी ट्रेन चली बनारस से दिल्ली के लिए। नाम था महामना एक्सप्रेस। बहुत ही सुंदर बनायी गयी थी। इसको भी लोगों ने विधवा बना दिया। होटलों से तौलिये और चम्मच चुराने वाले तो अपनी कहानियां खुद ही गाया करते हैं। ट्रेनों से बेडरोल चुराकर बैग में ले जाने वाले भी गरीब तो नहीं ही होते हैं। अभी ताज़ी घटना है उस सड़क का जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री ने हाल ही में किया है। खबर है कि इस सड़क पर लगे सोलर पैनल, फेंसिंग, एलईडी आदि कीमती सामान लोग उठा ले गए। इस सड़क के लोकार्पण की कथा तो चैनलों पर खूब चली लेकिन इस चोरी पर कोई कथा नहीं दिखाई जा रही। सिर्फ एक चैनल ने इसे दिखाया है। इसी क्रम में एक घटना और भी याद आ रही है। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने जान राष्ट्रपति भवन छोड़ा था तो वह भी बहुत सा सामान लेकर चली गयी थीं।

दरअसल ये घटनाएं यह साबित कर रही हैं कि समाज में एक बहुत बड़े तबके की मूल प्रवृत्ति ही चोरी की है। हमारे समाज का निर्माण ऐसी प्रवृत्ति वालों को लेकर ही हुआ है। वजह यह कि इन बड़े चोरों पर अंकुश लगाने का कोई प्रयास नहीं होता। सब कुछ जान लेने के बाद भी हम आँख मूँद लेते हैं। देश में एक तेजस, एक महामना नहीं चल पा रही तो भला किस मुँह से मोदी की सुपर स्पीड वाली ट्रेन को लेकर लोग सवाल उठाते हैं ? क्या मुँह है इनका ? सड़क के सामान तक लोग उठा ले जाते हैं और फिर सड़क न बनाने पर शिकायत भी करते हैं। ट्रेनों और होटलों से तौलिया, चादर और चम्मच चुराने वाले न तो व्यावसायिक चोर हैं न ही गरीब। फिर भी वे ऐसा करते हैं। बार बार करते हैं। यह प्रवृत्ति है। यह उनके भीतर बैठी उस अनैतिकता का प्रमाण है जिसे लेकर वे ही बहुत लम्बे चौड़े भाषण दिया करते हैं। एक तरफ समाज के अगुवा बनते हैं, और दूसरी तरफ समाज को विकृत भी करते हैं। यदि ऐसे चोरों को सजा मिला सकती तो वास्तविक चोरों में भी भय व्याप्त होता लेकिन हमारी व्यवस्था ऐसा नहीं करती। 

यह भी विडम्बना ही है कि अखिलेश यादव के मामले को संज्ञान में लेकर राज्यपाल ने सरकार को पत्र भी लिखा है। यद्यपि इस पत्र पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है लेकिन अब इस प्रकरण में राज्य संपत्ति विभाग को सामने आकर बताना चाहिए कि हकीकत क्या है। जनता के सामने जनता के अलम्बरदारों की यह भूमिका बहुत चिंतित कर रही है। राज्य संपत्ति विभाग को इस डिलेमा को स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि अखिलेश यादव का कहना है कि वह बंगले से केवल वह सामान ले गए जिसको उन्होंने अपने पैसे से खरीदा था। यदि यह सही है तो राज्य संपत्ति विभाग स्थिति स्पष्ट करे।

-संजय तिवारी

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