योगी मंत्रिमंडल से हो सकती है कई लोगों की छुट्टी, बड़े बदलाव करेगी भाजपा
उन लोगों को करारा झटका लगा है जो यह कयास लगा रहे थे कि राज्य में भाजपा को सम्मानजनक जीत नहीं मिली तो योगी की कुर्सी जा सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद योगी का कद और बढ़ा है। अब योगी और भी सख्ती के साथ अपने फैसले ले सकेंगे।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन शानदार-जानदार रहा। यूपी के बल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा रिकॉर्ड जीत के साथ सत्ता में वापसी करने में सफल रहे। सीटों को लेकर सभी राजनैतिक पंडितों की भविष्यवाणी गलत साबित हुई। न कांग्रेस का तुरूप का इक्का प्रियंका चलीं, न माया-अखिलेश गठबंधन को जनता ने गले लगाया। अगर फायदे में कोई एक शख्स रहा तो उसका नाम योगी आदित्यनाथ है। यूपी में बीजेपी की शानदार जीत के साथ ही उन लोगों को करारा झटका लगा है जो यह कयास लगा रहे थे कि राज्य में भाजपा को सम्मानजनक जीत नहीं मिली तो योगी की कुर्सी जा सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद योगी का कद और बढ़ा है। अब योगी और भी सख्ती के साथ अपने फैसले ले सकेंगे।
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संभवतः दिल्ली में मोदी सरकार के शपथ ग्रहण करने के बाद यूपी की योगी सरकार भी कई महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है। इसमें मंत्रिमंडल में फेरबदल के अलावा ब्यूरोक्रेसी में बदलाव और शासन को और अधिक जवाबदेह बनाए जाने के लिए भी कुछ अहम कदम उठाए जा सकते हैं। अब योगी का पूरा ध्यान 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव पर रहेगा। इसके अलावा 11 विधायकों के सांसद बनने के बाद विधान सभा की इतनी ही सीटों के लिए होने वाले उप-चुनाव में भी योगी की परीक्षा होनी है। वैसे भी उप-चुनावों के नतीजे बीजेपी के लिए हमेशा कड़वे ही साबित होते रहे हैं। पिछले साल तीन लोकसभा सीटों- कैराना, फूलपुर और इलाहाबाद में हुए उप-चुनाव के नतीजों का दाग अब जाकर बीजेपी धो पाई है।
बात बदलाव की कि जाए तो सबसे पहले उन मंत्रियों-विधायकों के पेंच कसे जाएंगे जिनके क्षेत्र में बीजेपी के प्रत्याशी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। इस कड़ी में कुछ मंत्रियों को बाहर का भी रास्ता दिखाया जा सकता है। वहीं जहां पार्टी का अच्छा प्रदर्शन रहा है, वहां के नेताओं को सम्मान स्वरूप मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना संभावित है। इसके साथ ही भाजपा संगठन में भी फेरबदल होना सुनिश्चित है। अच्छा काम करने वालों को तरक्की देकर या राष्ट्रीय संगठन में समायोजित करके पुरस्कृत किया जा सकता है। वहीं कुछ नए चेहरों को प्रदेश में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
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गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के तीन मंत्री सांसद चुन लिए गए हैं। एक मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जा चुका है। यही नहीं, प्रदेश मंत्रिमंडल में पहले से ही 13 स्थान खाली पड़े हैं। इसलिए प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल या पुनर्गठन निश्चित है। मुख्यमंत्री ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में यूपी से शामिल होने वाले चेहरों के मद्देनजर प्रदेश कैबिनेट का पुनर्गठन कर क्षेत्रीय और जातीय प्रतिनिधित्व का संतुलन साधा जाए। जिन क्षेत्रों व जातियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी न मिल पाए, उन्हें प्रदेश में महत्वपूर्ण भागीदारी दी जाए।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय भी फिर सांसद चुन लिए गए हैं। उन्हें मंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ पदाधिकारियों को राष्ट्रीय संगठन में लिया जा सकता है। प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों को भी संगठन में भेजने की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो कुछ लोगों को इस बारे में संकेत भी दे दिए गए हैं।
पिछली बार केंद्र में सबसे ज्यादा मंत्री उत्तर प्रदेश से ही थे, इस बार भी ऐसी किसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश से आठ से दस चेहरों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी दी जा सकती है। कारण, प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन के बावजूद भाजपा ने यूपी में अपना दल के दो सांसदों सहित 64 सीटें जीती हैं। इसलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मंत्रिमंडल के जरिये भी संदेश देने की कोशिश करेगा कि वह यूपी के महत्व को पूरी तरह स्वीकार करता है।
उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल पर भी काम किया जाएगा। संगठन के लोग अकसर सरकार के साथ समन्वय की कमी की शिकायत करते हैं। इसी प्रकार कुछ जिलों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि वहां के जिला प्रशासन ने सरकार के कामों और योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में अपना पूरा योगदान नहीं दिया़। जनप्रतिनिधियों से भी ऐसे अधिकारियों का संवाद-व्यवहार बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। कुछ जगह से ऐसी भी खबरें आ रही हैं जहां, सरकारी अधिकारियों ने समाजवादी पार्टी या फिर बसपा के एजेंट के रूप मे भी काम किया था।
लोकसभा चुनाव से मुक्त हो जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर विभाग की पिछले दो सालों में किए गए कामों की समीक्षा करेंगे। साथ ही विभागों को जो लक्ष्य दिए गए थे, उन विभागों के अफसरों की जवाबदेही भी तय होगी। योगी यह भी जांचे-परखेंगे कि प्रदेश में चल रही विकास परियोजनाओं में क्या प्रगति हुई है। जिन विभागों ने लक्ष्य के मुताबिक काम नहीं किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा ऐसे अफसर, जिन्होंने कई मामलों में सरकार की बदनामी करवाई उनकी भी जवाबदेही तय की जा रही है।
योगी सरकार के कुछ नौकरशाह जिनकी गिनती अच्छे अधिकारियों के रूप में होती है, के पास एक से लेकर कई-कई विभाग की जिम्मेदारी है, जिस कारण यह अधिकारी अपनी योग्यता के अनुसार नतीजे नहीं दे पा रहे हैं, इनके ऊपर से भी काम का बोझ कम किया जाएगा। जैसे राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के पास बेसिक शिक्षा विभाग का अतिरिक्त चार्ज है। 1986 बैच के आईएएस अफसर आलोक सिन्हा के पास वाणिज्य कर विभाग के साथ-साथ आईटी ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग का भी चार्ज है। 1987 बैच के अफसर महेश कुमार गुप्ता के पास भी पिछड़ा वर्ग कल्याण, विकलांग कल्याण के साथ-साथ सचिवालय प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी भी है। 1989 बैच के मनोज कुमार सिंह के पास समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग दोनों के प्रमुख सचिव का चार्ज है। 1990 बैच के हिमांशु कुमार के पास स्टांप ऐंड रजिस्ट्रेशन विभाग के साथ-साथ माइनिंग विभाग का भी अतिरिक्त चार्ज है। चर्चा यह भी है कि यूपी के कुछ दिग्गज ब्यूरोक्रेट्स प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जा सकते हैं। इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के कई अफसर भी शामिल हैं।
-अजय कुमार
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